नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा टेनी को जमानत देने से इंकार कर दिया है। लखीमपुर खीरी मामले के आरोपित आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से पूछा है कि मुकदमा पूरा होने में कितना और वक़्त लगेगा। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार से भी पूछा है कि कार में सवार लोगों की पीट-पीट कर मारने के मामले में जांच का क्या स्टेटस है। मामले की अगली सुनवाई जनवरी के दूसरे हफ्ते में होगी।
सुनवाई के दौरान आशीष मिश्रा की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। उन्होंने कहा घटना के दौरान आशीष कार मे नहीं था। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने एक साल पहले जमानत दी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद जमानत रद्द कर दी थी।तब जस्टिस सूर्यकांत ने रोहतगी से पूछा कि आरोपित कब से जेल में है। तब रोहतगी ने कहा लगभग एक साल से ज्यादा समय से जेल में है।
रोहतगी ने कहा कि प्राथमिकी में दावा किया गया है कि मिश्रा कार में थे जबकि तथ्य यह है कि वह कार में नहीं थे। वहां बंदूक से कोई फायरिंग नहीं हुई थी। यह रिकॉर्ड में भी है। तथ्य यह है कि गोली लगने से किसी की मृत्यु नहीं हुई है। यह भी साक्ष्य में है। इतना ही नही आशीष मिश्रा के पास लाइसेंसी बंदूक है, जिसका इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है। आरोपित के बंदूकों की जांच भी की गई। उन्होंने कहा कि वहां पर कार में सवार चालक को कार से बाहर खींच कर मार डाला गया। साथ ही कार में सवार एक अन्य सुमित जायसवाल नामक व्यक्ति को भी बाहर निकाला गया।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वो प्रभावशाली लोग हैं। आशीष मिश्रा के पिता ने खुलेआम देख लेने की धमकी दी थी। पांच लोगों की हत्या हुई थी। इस मामले में एक गवाह पर एक दिन पहले ही हमला हुआ है। तब जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह तो ट्रायल का मामला है। दुष्यंत दवे ने इस मामले में राज्य सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। इसका यूपी सरकार की वकील गरिमा प्रसाद ने विरोध करते हुए कहा कि यह गलत आरोप लगाया जा रहा है।
कोर्ट ने 6 सितंबर को यूपी सरकार को नोटिस जारी किया था। आशीष मिश्रा ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 26 जुलाई को आशीष मिश्रा को जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल को आशीष मिश्रा को हाई कोर्ट से मिली जमानत को निरस्त कर दिया था। जिसके बाद आशीष मिश्रा ने सरेंडर किया था।
लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर, 2021 को हुई हिंसा में आठ लोगों की जान चली गई थी। इस मामले में एसआईटी 3 जनवरी को लखीमपुर की कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। चार्जशीट में आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपित बनाया गया है।
bail application rejected
नई दिल्ली । ईडी ने मनी लांड्रिंग मामले में जेल में बंद दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान लेकर माना है कि पहली नजर में अपराध हुआ है। ईडी की ओर से एएसजी एसवी राजू ने ये दलीलें राऊज एवेन्यू कोर्ट में रखीं। जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी।
सुनवाई के दौरान राजू ने कहा कि सत्येंद्र जैन से जुड़ी पांच कंपनियां हैं। ये पांच कंपनियां सिर्फ कागजी थीं, जिनका इस्तेमाल पैसों को इधर-उधर करने के लिए किया जाता था। इन कंपनियों में व्यापार नहीं होता था, जिनकी कोलकाता की शेल कंपनी में फर्जी एंट्री कराई जाती थी। इनका मकसद कालाधन को सफेद धन में बदलना था।
सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा कि सत्येंद्र जैन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कंपनियों में एंट्री कराने में शामिल रहे। सभी शेल कंपनियां चेक पीरियड से पहले और बाद में अभी तक वैसी ही है। ईडी ने कहा कि सत्येंद्र जैन कोलकाता के हवाला ऑपरेटर को नकद पैसा मुहैया करा रहे थे। यह एक प्रभावशाली राजनेता से जुड़ा हुआ मामला है जो न सिर्फ पैसों का हेरफेर कर रहा था बल्कि कालेधन को सफेद कर रहा था। ईडी ने कहा कि जैन ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की।
जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान 28 अक्टूबर को जैन की ओर से वकील एन हरिहरन ने कहा था कि जैन के खिलाफ कोई आरोप नहीं है। उनकी केवल एक गलती है कि वे एक मंत्री बने और सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की। उन्होंने कहा था कि सत्येंद्र जैन को हिरासत में रखना पूरे तरीके से न्याय के खिलाफ होगा। उन्होंने कहा था कि क्या अल्प शेयरधारक किसी कंपनी को नियंत्रित कर सकता है। उन्होंने कहा कि एक डायरेक्टर किसी कंपनी का केवल एक प्रतिनिधि होता है। जिस समय का मामला है उस समय सत्येंद्र जैन कंपनी में थे भी नहीं। अगर जैन राजनीति में नहीं आए होते तो ये केस दर्ज नहीं हुआ होता।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 1 अक्टूबर को सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी थी। 24 सितंबर को प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज विनय कुमार ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। राऊज एवेन्यू कोर्ट के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज ने जैन की जमानत याचिका पर विकास धूल की कोर्ट में सुनवाई के लिए भेज दिया था