नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के सर्वे के आदेश पर रोक लगा दी है। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट ने अस्पष्ट अर्जी पर आदेश दिया। इस अर्जी में कई मांगे की गई थीं। मामले की अगली सुनवाई 23 जनवरी को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति के फैसले पर रोक लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी लेकिन कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति पर अंतरिम रोक बरकरार रहेगी। कोर्ट ने हिन्दू पक्षकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि आपकी अर्जी बहुत अस्पष्ट है। आपको स्पष्ट रूप से बताना होगा कि आप क्या चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि मुस्लिम पक्ष ने शाही ईदगाह के सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग की थी।
ALLHABAD HIGH COURT
ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे को इलाहबाद हाई कोर्ट की मंजूरी , मुस्लिम पक्ष की सभी याचकाएँ ख़ारिज
प्रयागराज । ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को उच्च न्यायालय से तगड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को ज्ञानवापी मामले की सुनवाई करते हुए सर्वे पर रोक लगाने की मांग से सम्बंधित मुस्लिम पक्ष की अर्जी खारिज कर दी है। हाई कोर्ट ने कहा है कि ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे पर रोक नहीं होगी। साथ ही हाई कोर्ट ने सर्वे को जल्द शुरू करने को कहा है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि वाराणसी जिला कोर्ट का फैसला बरकरार रहेगा। सर्वे से ढांचे को कोई नुकसान नहीं होगा। खुदाई करनी होगी तो कोर्ट से इजाजत लेंगे। वहीं, मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। मस्जिद कमेटी हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा।
हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि हाई कोर्ट के फैसले के बाद जिला कोर्ट का फैसला प्रभावी हो चुका है। सर्वे के समय पर कहा कि हाई कोर्ट ने सर्वे के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है। आज से ही जिला कोर्ट का फैसला प्रभावी हो गया है।
उल्लेखनीय है कि जिला कोर्ट ने एएसआई से ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया था। उसी के आधार पर सर्वे शुरू किया गया था।
नई दिल्ली । सर्वोच्च न्यायालय ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी को 26 जुलाई तक ट्रायल कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती देने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 26 जुलाई तक ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगी रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई की उस दलील को नोट किया कि वो ज्ञानवापी मस्जिद की खुदाई नहीं करने जा रही है। एएसआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ये सूचित किया। आज मस्जिद कमेटी की ओर से वकील हुफैजा अहमदी ने चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मेंशन करते हुए आज ही सुनवाई की मांग की।
सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की ओर से पेश वकील श्याम दीवान ने कहा कि इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग जैसी संरचना की उम्र का पता लगाने के लिए साइंटिफिक सर्वे कराने के आदेश पर रोक लगाई थी। अब ट्रायल कोर्ट के सर्वे आदेश में शिवलिंग जैसी संरचना को शामिल नहीं किया गया है। तब अहमदी ने कहा कि एएसआई ने मस्जिद की खुदाई शुरू कर दी है। तब कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि आप एएसआई से पूछ कर बताइए कि क्या खुदाई हो रही है।
कुछ देर बाद मेहता ने कोर्ट को बताया कि मस्जिद की एक ईंट भी नहीं हटाई गई है। केवल पैमाइश और फोटोग्राफी हो रही है। उन्होंने कहा कि एएसआई की अभी मस्जिद की खुदाई की कोई योजना नहीं है। उसके बाद कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मस्जिद कमेटी को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने को कहा।
नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग के साइंटिफिक सर्वे और कॉर्बन डेटिंग के आदेश पर रोक लगा दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कोर्ट ने कहा- इस मामले में संभलकर चलने की जरूरत है। हाईकोर्ट के आदेश की बारीकी से जांच करनी होगी। मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त होगी।
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की तरफ से वकील हुजेफा अहमदी ने यह याचिका दायर की। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने इसकी सुनवाई की। हिंदू पक्ष सुप्रीम कोर्ट में पहले ही कैविएट दाखिल कर चुका है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 मई को कथित शिवलिंग की कॉर्बन डेटिंग और साइंटिफिक सर्वे का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि यह कैसे होगा? इस पर वाराणसी कोर्ट निर्णय लेगा। उन्हीं की निगरानी में यह काम किया जाएगा।
7 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
हिंदू पक्ष की तरफ से वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि कोर्ट कोई आदेश दे, तो उससे पहले ASI सर्वे की रिपोर्ट को मंगाकर एक बार उस पर विचार किया जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम ASI की रिपोर्ट को भी देखेंगे।मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पहले हम परिस्थिति को देखेंगे। हमें इस मामले को बेहद सावधानी से डील करना होगा।
मस्जिद समिति के वकील हुजैफा अहमदी ने जज की तारीफ की और कहा कि वह स्थिति को वाकई समझ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट 7 अगस्त को इस मामले पर अगली सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा कार्बन डेटिंग के आदेश को अगली सुनवाई तक लागू नहीं किया जाएगा। कार्बन डेटिंग पर यूपी और केंद्र सरकार सरकार को अपना जवाब दाखिल करना होगा।
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर गुरुवार को रोक लगा दी, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार के दो आईएएस अधिकारियों को हिरासत में लेने का आदेश दिया गया था। हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों को कुछ लाभ देने के संबंध में नियम नहीं बना पाने पर उत्तर प्रदेश के वित्त सचिव एसएसए रिजवी और विशेष सचिव (वित्त) सरयू प्रसाद मिश्रा को बुधवार को हिरासत में ले लिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने आज दोनों अधिकारियों को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को आज पेश होने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर भी रोक लगा दी है। हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों को कुछ लाभ देने के संबंध में नियम नहीं बना पाने पर दोनों अधिकारियों को हिरासत में लेने का आदेश दिया था। आज एएसजी केएम नटराज ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मेंशन करते हुए कहा कि नियम बना लिये गए हैं और उन्हें राज्यपाल के यहां भेजा गया है। जब तक राज्यपाल उन नियमों की पड़ताल करते तब तक अधिकारियों को हिरासत में लेने का आदेश जारी कर दिया गया।
प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति के रूप में वरिष्ठ न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर को रविवार को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह चीफ जस्टिस की कोर्ट में सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर मंत्री सुरेश खन्ना, मुख्य सचिव, महाधिवक्ता अजय मिश्रा, अपर महाधिवक्ता एम. सी. चतुर्वेदी, नीरज त्रिपाठी, मनीष गोयल तथा न्यायिक अधिकारियों के अलावा बड़ी संख्या में वरिष्ठ व जूनियर अधिवक्ता उपस्थित रहे।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार शपथ ग्रहण समारोह ठीक 11 बजे चीफ जस्टिस कोर्ट में संपन्न हुआ। शपथ ग्रहण समारोह के बाद राज्यपाल ने सारे जगह से मुलाकात की। राज्यपाल के साथ फोटो सेशन का भी कार्यक्रम हुआ। समारोह में इलाहाबाद और लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति गण उपस्थित रहे। मुख्य न्यायाधीश के परिवारी जन तथा रिश्तेदार एवं मध्य प्रदेश के कार्यरत जज भी इस समारोह में शामिल हुए।
न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से विधि की पढ़ाई करने के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की थी। 2005 में वह बतौर वरिष्ठ अधिवक्ता नामित हुए थे। इसके बाद 2009 में वह छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जज बने। 2018 में उनका स्थानांतरण इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुख्य न्यायमूर्ति रहे राजेश बिंदल को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाए जाने के बाद वह यहां पर कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति नियुक्त हुए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की संस्तुति के बाद राष्ट्रपति ने उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त किया।
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश )। पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद की अपनी शिष्या से दुराचार मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत पर निर्णय सुरक्षित कर लिया है। अर्जी की सुनवाई न्यायमूर्ति समित गोपाल ने की।
मालूम हो कि स्वामी के खिलाफ वर्ष 2011 में आश्रम की एक शिष्या को बंधक बनाकर दुराचार करने के आरोप में शाहजहांपुर कोतवाली में एफआईआर दर्ज है। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। धारा 376 व 506 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया है। राज्य सरकार ने नौ मार्च 2018 को चिन्मयानंद के खिलाफ दर्ज दुराचार के केस को वापस लेने का फैसला लिया और कोर्ट में अर्जी दाखिल की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। निचली अदालत के इस फैसले को वर्ष 2018 में ही चुनौती दी गई थी।
स्वामी चिन्मयानंद की ओर से 76 साल की उम्र होने और कई गंभीर बीमारियां होने के आधार पर राहत की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने स्वामी चिन्मयानंद को 30 अक्टूबर तक शाहजहांपुर की अदालत में हाजिर होने को कहा और अर्जी देने पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था। इसके बाद स्वामी चिन्मयानंद की ओर से शाहजहांपुर की अदालत में अग्रिम जमानत अर्जी दी गई, जिसे निचली अदालत ने खारिज कर दिया। जिस पर यह अर्जी दाखिल की गई है।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहुजन समाज पार्टी से पूर्व सांसद रहे अकबर अहमद डंपी की अग्रिम जमानत की याचिका की मंजूर कर उन्हें बड़ी राहत दी है। वर्ष 1998 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान रमाकांत यादव व याची अकबर अहमद डंपी के बीच झगड़ा हो गया था और उसमें गोली भी चली थी। हालांकि फायरिंग में किसी को गोली नहीं लगी थी। इसी मामले में दर्ज केस को लेकर याची के खिलाफ वारंट जारी हुआ था। जारी वारंट के खिलाफ आजमगढ़ की एमपी-एमएलए कोर्ट ने याची पूर्व सांसद को कोई राहत नहीं दी थी और उनकी अर्जी को खारिज कर दिया था। निचली अदालत से अर्जी खारिज होने के बाद याची पूर्व सांसद ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर कोर्ट से अग्रिम जमानत की मांग की थी।
यह आदेश जस्टिस कृष्ण पहल ने पूर्व सांसद अकबर अहमद डंपी की अर्जी पर पारित किया। अकबर अहमद डंपी ने 1998 का लोकसभा चुनाव आजमगढ़ से लड़ा था। याची और सपा प्रत्याशी बाहुबली रमाकांत यादव के बीच मतदान के 1 दिन बाद जमकर फायरिंग हुई थी।
पुलिस ने अकबर अहमद डंपी और रमाकांत यादव दोनों के साथ ही उनके समर्थकों के खिलाफ भी केस दर्ज किया था। घटना आजमगढ़ के फूलपुर थाना क्षेत्र के अंबारी चौक इलाके के ईट भट्ठे पर हुई थी।
पहले इस मामले की सुनवाई जस्टिस समित गोपाल की बेंच में हुई थी, परन्तु कोर्ट ने पिछले माह इस मुकदमे को अपनी कोर्ट से रिलीज कर दिया था। चीफ जस्टिस के आदेश पर मामले की सुनवाई जस्टिस कृष्ण पहल की सिंगल बेंच में हुई। 1998 के जिस चुनाव में विवाद हुआ था उसमें याची आजमगढ़ सीट से बीएसपी के टिकट पर सांसद चुने गए थे। याची की ओर से सीनियर एडवोकेट गोपाल चतुर्वेदी ने की बहस की।