मुंबई। बाजार नियामक सेबी ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि अडाणी समूह के खिलाफ दो को छोड़कर सभी आरोपों की जांच पूरी कर ली गई है। इस समूह की कंपनियों में निवेश करने वाली विदेशी कंपनियों के असली मालिकों के बारे में पांच देशों से जानकारी आने का उसे अभी इंतजार है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने उच्चतम न्यायालय को सौंपी एक एक स्थिति रिपोर्ट में कहा कि वह अडाणी समूह से संबंधित जिन 24 मामलों की जांच कर रहा है, उनमें से 22 मामलों के अंतिम निष्कर्ष आ चुके हैं।
जांच नतीजों का खुलासा नहीं किया गया
हालांकि सेबी ने इन जांच नतीजों का खुलासा नहीं किया लेकिन उसने संबंधित पक्षों के बीच लेनदेन के साथ जांच में उठाए गए कदमों का विस्तृत ब्योरा दिया है। बाजार नियामक ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “सेबी इस जांच के नतीजों के आधार पर कानून के अनुरूप उचित कार्रवाई करेगा।” यह रिपोर्ट अडाणी समूह की कंपनियों की शेयरों के भाव में हेराफेरी, संबंधित पक्षों के साथ लेनदेन का खुलासा करने में कथित नाकामी और समूह के कुछ शेयरों में भेदिया कारोबार प्रावधानों के उल्लंघन के आरोपों पर अपनी अंतिम राय रखती है। हालांकि विदेशी फर्जी कंपनियों के जरिये अपनी ही कंपनियों में निवेश करके न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी के प्रावधान का उल्लंघन करने के आरोप पर सेबी ने कहा कि इस मामले में 13 विदेशी संस्थाएं शामिल हैं जिनमें 12 विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) और एक विदेशी कंपनी है। इन 13 विदेशी इकाइयों को अडाणी समूह की कंपनियों के सार्वजनिक शेयरधारकों के रूप में वर्गीकृत किया गया था। लेकिन अमेरिकी शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट में इनमें से कुछ इकाइयों को अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी द्वारा संचालित या उनकी सहयोगी बताया गया था।
‘टैक्स हेवन’ देशों से जानकारी जुटाना चुनौती
सेबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “इन विदेशी निवेशकों से जुड़ी कई संस्थाओं के ‘टैक्स हेवन’ देशों में स्थित होने से 12 एफपीआई के शेयरधारकों के आर्थिक हित को स्थापित करना एक चुनौती बनी हुई है।” ‘टैक्स हेवन’ के रूप में वे देश शामिल हैं जिसे कर चोरी करने वालों के लिये पनाहगाह माना जाता है। इन देशों में पंजीकृत कंपनियों पर बहुत कम दर से अथवा कोई कर नहीं लगाया जाता है। इस वजह से कई कंपनियां कर से बचने के लिए इन देशों में अपना पंजीकरण कराती रही हैं। बाजार नियामक ने कहा कि इन विदेशी निवेश कंपनियों के असली मालिकों के बारे में पांच देशों से सूचनाएं जुटाने की कोशिशें जारी हैं। ऐसा न होने तक यह जांच रिपोर्ट अंतरिम है। सेबी ने यह भी कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने से पहले और उसके बाद में अडाणी समूह के शेयरों में कारोबार से संबंधित एक अंतरिम रिपोर्ट को सक्षम प्राधिकारी ने मंजूरी दे दी है। यह रिपोर्ट 24 अगस्त को स्वीकृत की गई है। सेबी ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पहले और बाद में अडाणी समूह के शेयरों में हुए कारोबार के संदर्भ में जानकारी जुटाने के लिए विदेशी एजेंसियों एवं इकाइयों से भी संपर्क साधा गया। सेबी ने कहा कि अब भी कुछ सूचनाएं मिलने का इंतजार है।
हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी को आई थी
हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी को आई एक रिपोर्ट में अडाणी समूह पर शेयरों के भाव में हेराफेरी करने और बहीखाते में धोखाधड़ी के अलावा विदेशी फर्मों के जरिए हस्तक्षेप के आरोप लगाए गए थे। इन आरोपों के बाद समूह की कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में दो महीनों के भीतर 150 अरब डॉलर तक की भारी गिरावट आ गई थी। हालांकि अडाणी समूह ने इन सभी आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा था कि यह रिपोर्ट उसे निशाना बनाने की नीयत से जारी की गई और वह सभी नियामकीय प्रावधानों का पालन करता है। उच्चतम न्यायालय ने बाजार नियामक सेबी को इन आरोपों पर गौर करने और अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करने को कहा था। सेबी को अपनी जांच पूरी करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए 14 अगस्त की समय सीमा तय की गई थी। नियामक ने जांच पूरी करने के लिए उच्चतम न्यायालय से 15 दिनों की मोहलत मांगी थी। अब सेबी ने अपनी जांच पर एक स्थिति रिपोर्ट पेश कर दी है। इन आरोपों के नियामकीय पहलुओं पर विचार करने के लिए मार्च में एक अलग छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति भी बनायी गयी थी। उस समिति ने मई में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नियामक अब तक अपनी जांच में किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है और मामले में जारी उसकी जांच ‘बिना गंतव्य की यात्रा’ है।
ADANI HINDENBERG ISSUE
नई दिल्ली। सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर अडानी-हिंडनबर्ग जांच रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 15 दिनों का समय मांगा है। सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के मुताबिक यह रिपोर्ट आज यानी 14 अगस्त तक दाखिल होनी थी। सुप्रीम कोर्ट में मामला 29 अगस्त को सुनवाई के लिए लिस्टेड है।
सेबी ने कहा है कि अडानी-हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जांच में खासी प्रगति हुई है। एक मामले में अंतरिम रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। उसे दूसरे देशों के रेगुलेटर्स से कुछ जानकारियां चाहिए। विदेशी रेगुलेटर्स से जानकारी मिलने पर ही वे आगे की रणनीति तय करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को जांच पूरी करने के लिए 14 अगस्त तक का समय देकर जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सेबी की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा था कि सेबी की तरफ से जो जांच चल रही है, उसका स्टेटस क्या है। तब मेहता ने मामले की सुनवाई टालने की मांग करते हुए कहा था कि 10 जुलाई की शाम को हमने जवाब ई-फाइलिंग के तहत दाखिल किया है। इस पर कोर्ट ने कहा था कि सेबी सभी पक्षों को जवाब की कॉपी उपलब्ध कराए।
प्रशांत भूषण ने कहा था कि कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक सेबी की जांच फेल है। सेबी किसी सकारात्मक नतीजे तक नहीं पहुंच सकती। चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता की उस दलील को नकार दिया था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि कमेटी को एजेंसी सपोर्ट नहीं कर रही है। उन्होंने कहा था कि हमने 14 अगस्त तक जांच पूरी करने के का समय सेबी को दिया है। ऐसे में जांच रिपोर्ट को आने दे। चीफ जस्टिस ने कहा था कि हमें भी सेबी का दाखिल हलफनामा पढ़ने के लिए भी समय चाहिए। बिना जवाब पढ़े सुनवाई उचित नहीं होगा।
सेबी ने 10 जुलाई को अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट सौंप दी थी। सेबी ने कहा था कि प्रतिभूति नियमों का उल्लंघन करने वालों पर तुरंत कार्रवाई की जरूरत है, ताकि बाजार में पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सके। सेबी ने कहा था कि विशेषज्ञ कमेटी ने सिफारिश की है कि एक मजबूत और सभी को स्वीकार्य नीति बनाई जाए, जो इस बात का फैसला करे कि किसी समझौते में किसी नियम का उल्लंघन तो नहीं किया गया।
अडानी-हिंडनबर्ग मामले में गठित विशेषज्ञ समिति ने 19 मई को सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अभी तक सेबी की सफाई और उपलब्ध डेटा के आधार पर कमेटी के लिए इस निष्कर्ष पर पहुंच पाना संभव नहीं होगा कि मौजूदा नियामक तंत्र (सेबी) की विफलता रही है। कमेटी ने कहा था कि सेबी की तरफ से की जा रही जांच अभी जारी है।
कमेटी ने कहा कि अभी तक की जांच में सेबी को अडानी ग्रुप के खिलाफ केस नजर नहीं आ रहा है। हालांकि अडानी से जुड़ी 13 विदेशी संस्थाओं पर पूरी रिपोर्ट मिलनी अभी बाकी है। 2018 में नियमों में हुए बदलाव से विदेशों से जानकारी जुटाने में सेबी को समस्या आ रही है। कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी को अपने आंतरिक सिस्टम से अडानी पर चार रिपोर्ट मिली है। इनमें दो रिपोर्ट हिंडनबर्ग से पहले और दो रिपोर्ट बाद की हैं। इस बारे में की गई जांच में सेबी ने अडानी की ओर से कोई गड़बड़ी नहीं पाई। हालांकि कमेटी ने कहा था कि सेबी के पास काफी शक्तियां हैं, पर उसे और बेहतर बनाया जा सकता है।