नई दिल्ली । दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 2015 में दंगा करने और पुलिस के साथ मारपीट करने के मामले में दोषी ठहराए गए आम आदमी पार्टी के दो विधायकों अखिलेश पति त्रिपाठी और संजीव झा समेत 17 आरोपितों की सजा की अवधि पर सुनवाई टाल दी है। एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट वैभव मेहता ने दोषियों की सजा की अवधि पर 28 नवंबर को सुनवाई करने का आदेश दिया।
दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकार ने 5 नवंबर को दोषियों की आमदनी और अभियोजन के खर्चे की रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी। 21 सितंबर को कोर्ट ने सुनवाई के दौरान आम आदमी पार्टी के विधायकों संजीव झा और अखिलेश पति त्रिपाठी समेत 17 आरोपितों ने अपनी आमदनी का हलफनामा दाखिल किया था। दिल्ली पुलिस ने भी ट्रायल के दौरान अभियोजन पर खर्च का ब्यौरा कोर्ट को सौंपा था। कोर्ट ने दोषियों की आमदनी का हलफनामा और अभियोजन के खर्च का ब्यौरा दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकार को भेजने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने 7 सितंबर को इस मामले में 8 आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के विधायकों संजीव झा और अखिलेश पति त्रिपाठी के अलावा जिन आरोपियों को दोषी करार दिया उनमें बलराम झा, श्याम गोपाल गुप्ता, किशोर कुमार, ललित मिश्रा, जगदीश चंद्र जोशी, नरेंद्र सिंह रावत, नीरज पाठक, राजू मलिक, अशोक कुमार, रवि प्रकाश झा, इस्माइल इस्लाम, मनोज कुमार, विजय प्रताप सिंह, यशवंत उर्फ हर्ष भाटिया और हीरा देवी शामिल हैं। कोर्ट ने इन आरोपितों को भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 186, 332 और 149 के तहत दोषी करार दिया।
कोर्ट ने जिन आरोपितों को सभी आरोपों से बरी करने का आदेश दिया उनमें गोरा चंद दास, विनोद सिंह, आत्मा संतो, रौशन कुमार मिश्रा, नरेन्द्र कुमार ऊर्फ ठेकेदार, शशि मोहन, बसंत गोस्वामी, प्रेम शंकर और अरुण झा शामिल हैं।
149 पेजों के फैसले में कोर्ट ने कहा कि इस बात के पुख्ता साक्ष्य हैं कि विधायक संजीव झा और अखिलेश पति त्रिपाठी घटनास्थल पर मौजूद थे और उन्होंने भीड़ को हिंसा करने के लिए उकसाया। घटना 20 फरवरी 2015 की है जब एक भीड़ बुराड़ी पुलिस स्टेशन पहुंची और एक मामले में गिरफ्तार दो आरोपितों की पिटाई करने के लिए उन्हें सौंपने की मांग की। भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक पुलिस भीड़ को समझाकर शांत करा रही थी लेकिन ये दोनों विधायकों ने भीड़ का साथ दिया, जिसके बाद भीड़ ने पुलिसकर्मियों व थाने पर पत्थरबाजी की। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने 24 गवाहों को पेश किया था, जबकि बचाव पक्ष की ओर से 14 गवाहों को पेश किया गया था।