नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सरकार और उसके मंत्रियों को हिदायत दी कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना करते समय संयम बरतें। जजों के चयन का यह सिस्टम फिलहाल देश का कानून है। सरकार को इसका पालन करना होगा। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा है कि वे मंत्रियों को सलाह दें कि वे कॉलेजियम सिस्टम पर सोच समझ कर बोले।
अगर ऐसा ही रहा तो देश में हर कोई कहने लग जाएगा कि वह किस कानून का पालन करना चाहता है और किसका नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने 28 नवंबर को अटार्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से कहा था कि आप लोग सरकार से बात कीजिए और कहिए कि कॉलेजियम की ओर से जिन नामों की सिफारिश की गई है सरकार उन पर फैसला करे। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि ऐसा लग रहा है कि नेशनल जुडिशियल अकाउंटेबिलिटी कमीशन (एनजेएसी) को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज करने के फैसले से सरकार खुश नहीं है। इसलिए सरकार जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की सिफारिशों पर निर्णय नहीं ले रही है। जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि समान्यतया मीडिया में दिए गए बयानों (क़ानून मंत्री के बयान के संदर्भ में) का हम संज्ञान नहीं लेते हैं, लेकिन सवाल कॉलेजियम की सिफारिशों पर सरकार द्वारा फैसला नहीं लेने का है। सिस्टम कैसे काम करेगा।
सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से जो अनुशंसाएं की जाती हैं उस पर केंद्र सरकार अनिश्चितकाल तक बैठ जाती है। याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने विभिन्न हाई कोर्ट के लिए जजों की नियुक्ति के लिए जिन नामों की अनुशंसा की है उनकी नियुक्ति लंबे समय से केंद्र सरकार ने नहीं की है। यहां तक कि छह हफ्ते बीतने के बावजूद केंद्र सरकार उन अनुशंसाओं पर कोई जवाब भी नहीं देती है। याचिका में कहा गया है कि देश के महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों को खाली नहीं रखा जा सकता है। सरकार जजों की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप करना चाहती है।
कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना करते समय संयम बरतें मंत्री : सुप्रीम कोर्ट ने दी हिदायत
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