City Headlines

Home Uttarakhand स्वामी रामदेव बोले, गुरुकुल एक संस्था नहीं, आंदोलन है यह

स्वामी रामदेव बोले, गुरुकुल एक संस्था नहीं, आंदोलन है यह

स्वामी श्रद्धानंद की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

by City Headline
Violent, Clash, Parties, Workers, Injured, BJP, TMC, Nandigram Cooperative Election

हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी सम विश्वविद्यालय में स्वामी श्रद्धानंद के 96वें बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। दयानंद स्टेडियम में आयोजित श्रद्धांजलि सभा का प्रारम्भ यज्ञ से किया गया। यज्ञ के पश्चात विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों और विभागों के द्वारा एक शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें विश्वविद्यालय और शिक्षक, शिक्षेतरकर्मियों और छात्रों ने प्रतिभाग किया।
श्रद्धांजलि सभा के मुख्य अतिथि स्वामी रामदेव ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द ने गुरुकुल की स्थापना आत्मबोध और वेदबोध के लिए की थी, तत्कालीन समय अंग्रेजी शासन के विरुद्ध गुरुकुल की स्थापना करना एक क्रांतिकारी घटना थी। गुरुकुल मात्र एक संस्था नहीं है, यह एक आंदोलन है। स्वामी रामदेव ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द की विचारधारा में एक बहुत बड़ा दर्शन है और प्रत्येक गुरुकुल के छात्र को इस गौरव को याद रखना चाहिए, यह एक जिम्मेदारी है।
स्वामी रामदेव ने कहा कि सामाजिक, राजनीतिक, शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में भारतीय शिक्षा परंपरा को लागू करने का स्वामी श्रद्धानन्द ने किया था। ऋषि दयानंद की गुरुकुलीय शिक्षा परंपरा को स्वामी श्रद्धानन्द ने धरातल पर उतारा। हमें ऐसे महापुरुष के प्रति गहरी कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए। स्वामी रामदेव ने कहा कि आर्य समाज और गुरुकुल का देश के स्वाधीनता के संग्राम में बड़ा योगदान रहा है साथ ही दलितोद्धार, हिन्दू एकता और स्त्री शिक्षा के लिए भी इसने उल्लेखनीय कार्य किया है। स्वामी रामदेव ने आह्वान किया कि गुरुकुल को स्वामी श्रद्धानन्द और ऋषि दयानंद के सपनों के अनुसार एक पूरी पीढ़ी गढ़ने का महनीय कार्य करना होगा।
पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द ने स्वाधीनता के संग्राम में अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया था, उनके जीवन की विराटता को जानने के लिए गुरुकुल के प्रत्येक कर्मचारी और छात्र को स्वामी श्रद्धानन्द द्वारा लिखित साहित्य का अवश्य ही अध्ययन करना चाहिए।
कुलपति प्रो. सोमदेव शतांशु ने कहा कि भारतीय भाषा, संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान और सभ्यता को नष्ट करने के अंग्रेजों के प्रयासों को निष्फल करने के उद्देश्य से स्वामी श्रद्धानन्द ने एक क्रांति यज्ञ के रूप में गुरुकुल की स्थापना की थी। प्रो. शतांशु ने कहा कि गुरुकुल का इतिहास गौरवशाली है और गुरुकुल के स्नातकों के बिना देश का इतिहास नहीं लिखा जा सकता है।
इस अवसर पर गुरुकुल शोध पत्रिका का विमोचन भी स्वामी रामदेव द्वारा किया गया। श्रद्धांजलि सभा में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। सभा का संचालन प्रो. विनय विद्यालंकार ने किया।