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मशाल ही रहेगा उद्धव ठाकरे गुट का चुनाव चिह्न, समता पार्टी की याचिका खारिज

by Rashmi Singh

नई दिल्ली । दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को निर्वाचन आयोग की ओर से मशाल चुनाव चिह्न आवंटित करने के फैसले को चुनौती देने वाली समता पार्टी की याचिका खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ समता पार्टी की याचिका खारिज कर दी।
जस्टिस संजीव नरुला की सिंगल बेंच ने 19 अक्टूबर को याचिका खारिज करते हुए कहा था कि समता पार्टी मशाल चुनाव चिह्न पर अपना दावा खो चुकी है। सुनवाई के दौरान समता पार्टी की ओर से कहा गया कि उसने 2014 का चुनाव मशाल चुनाव चिह्न पर लड़ा था। ऐसे में ये निर्वाचन आयोग का दायित्व था कि वो मशाल चुनाव चिह्न को मुक्त करने से पहले एक नोटिस जारी करता। पार्टी ने मशाल चुनाव चिह्न को मुक्त करने के खिलाफ निर्वाचन आयोग को प्रतिवेदन भी दिया था लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया।
सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वकील ने कहा था कि समता पार्टी के प्रतिवेदन का जवाब देने की कोई जरूरत नहीं थी, क्योंकि ये पार्टी 2004 में ही एक मान्यता प्राप्त पार्टी का दर्जा खो चुकी थी। उसके बाद से चुनाव चिह्न आदेश की धारा 10ए के तहत छह सालों के बाद चुनाव चिह्न पर दावा भी खत्म हो जाता है। उसके बाद कोर्ट ने कहा था कि ऐसी परिस्थिति में समता पार्टी को ये अधिकार नहीं है कि वो चुनाव चिह्न पर दावा करे। 2014 में पार्टी के चुनाव लड़ने का ये मतलब नहीं है कि उसे चुनाव चिह्न का अधिकार मिल गया। गौरतलब है कि समता पार्टी का गठन 1994 में हुआ था। पार्टी को 24 अक्टूबर, 1994 को मान्यता मिली थी।

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