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‘दूसरों पर परोपकार करना ही भगवान बुद्ध का मूलमंत्र’

बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने बोधगया में कालचक्र पूजा के दौरान कहा, हमें हमेशा दूसरे के हित की बात करनी चाहिए

by City Headline
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गया। बिहार के बोधगया में काल-चक्र पूजा चल रही है। काल-चक्र पूजा के दौरान गुरुवार को बौद्ध धर्म के सबसे बड़े गुरु दलाई लामा ने अपने शिक्षण उद्बोधन में कहा कि दूसरे के ऊपर परोपकार करने से ही अपना कार्य सफल होता है। हमें हमेशा दूसरे के हित की बात करनी चाहिए। यही भगवान बुद्ध का मूल मंत्र है। खुद से पहले दूसरे को प्राथमिकता दें। कोई नुकसान देता है, फिर भी दूसरे के हित की बात करना चाहिए।
दलाई लामा ने कहा कि भगवान बुद्ध का ध्यान लगाया तो ऐसा लगा वे हमें मीठी चीज जैसे चॉकलेट दे रहे हैं। भगवान बुद्ध की ओर ध्यान व चेतना लगाई तो सुखद अनुभूति हुई।
इस मौके पर बोधिचित्त विषय पर 4 व्याख्यान धर्म गुरु दलाई लामा ने दिए। उन्होंने कहा कि प्यार, शांति व परहित के अलावा पूरे विश्व में कुछ नहीं है। यही भगवान बुद्ध का मूल मंत्र है। उन्होंने कहा कि बहुत प्रकार की समस्याओं पर ज्यादा विचार नहीं करना चाहिए।
इसके अलावा दलाई लामा ने अपने अनुयायियों को 36 मंत्र भी दिए तथा कहा कि इसका नित्य पाठ करें। श्रद्धालुओं ने जमीन पर एक पैर पर बैठकर दीक्षा ली। दलाई लामा ने कहा कि भगवान बुद्ध के पवित्र स्थल पर आज बौद्ध चित्त दीक्षा देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मुझे यदि आप मानते हैं तो मेरी बातों को मानें। उन्होंने कहा कि बौद्ध चित्त का अभ्यास करें।
दलाई लामा का प्रवचन दो दर्जन से अधिक देसी व विदेशी भाषाओं में एफएम रेडियो के माध्यम से भी सुना गया। यही वजह है कि सभी श्रद्धालुओं को एयर फोन अपने साथ लाने की नसीहत दी गई है। दालाई लामा के शिक्षण उद्बोधन सुनने के लिए कुल सात इंट्री प्वाइंट बनाए गए हैं। दलाई लामा की इंट्री विशेष प्रवेश द्वारा से हुई। जहां उनकी निजी सुरक्षा कर्मी के अलावा जिला पुलिस के जवान भी तैनात हैं। टीचिंग प्रोग्राम आज सुबह आठ बजे से शुरू हुआ जो करीब 10 बजे तक चला। कार्यक्रम में करीब 30 देशों के 70 हजार बौद्ध अनुयायी ने शिरकत की। कार्यक्रम बोधगया के काल चक्र मैदान में आयोजित किया गया।
काल चक्र में पूजा व कार्यक्रम को देखते हुए कई रूट भी आज डायवर्ट किए गए हैं। इस कार्यक्रम को लेकर बौद्ध भिक्षुओं के बीच गजब उत्साह देखने को मिल रहा है। कार्यक्रम स्थल के चारों ओर बौद्ध भिक्षु व लामा ही दिख रहे हैं। बोधगया बुद्धं शरणम गच्छामि की ध्वनि से गूंज रहा है।