प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर कंस्ट्रक्शन डिवीजन एनसीआर झांसी पर एक करोड़ रुपये का हर्जाना लगाया है। यह हर्जाना 2014 से रेलवे द्वारा कोर्ट को गुमराह करने व याची को परेशान करने के लिए लगाया है। कोर्ट ने एनसीआर झांसी को कानूनी प्रक्रिया अपनाये बगैर जबरन कब्जा की गई खेती की जमीन का मय ब्याज नये सिरे से मुआवजा तय करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने भारत सरकार के अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह से कहा है कि चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर कंस्ट्रक्शन डिवीजन एनसीआर झांसी याची के नाम एक करोड़ के डिमांड ड्राफ्ट के साथ व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें। कोर्ट ने कहा है कि यदि इस आदेश का पालन नहीं किया गया तो रेलवे के सम्बंधित अधिकारी के खिलाफ कोर्ट को गुमराह करने पर प्रतिकूल आदेश पारित किया जायेगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति नंद प्रभा शुक्ला की खंडपीठ ने महोबा के चंदन चांदपुर गांव के चिरंजी लाल की याचिका पर दिया है। मालूम हो कि कोर्ट ने 31 जनवरी 23 को रेलवे को मार्केट रेट से नियमानुसार जमीन का मुआवजा तय करने का आदेश देते हुए पूछा था कि क्यों न याची को एक करोड़ रुपये हर्जाना दिया जाय।
मुख्य प्रोजेक्ट मैनेजर कंस्ट्रक्शन ने व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर बताया कि जिला प्रशासन को जमीन अधिग्रहण करने के लिए अनुरोध किया गया गया है, किंतु हर्जाने के मुद्दे पर कोई सफाई नहीं दी। उन्होंने कहा कि सहमति से मुआवजा तय किया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा बिना कानूनी कार्यवाही किए जबरन जमीन हथिया लिया तो सहमति का प्रश्न नहीं उठता। कोर्ट ने जिलाधिकारी को राजस्व अधिकारियों की मदद लेकर मार्केट रेट से ब्याज सहित मुआवजा तय करने का निर्देश दिया है। याचिका की सुनवाई 2 मार्च को होगी।