नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में बदरीकाश्रम के जोशीमठ में स्थित ज्योतिष्पीठ के नए शंकराचार्य के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के 17 अक्तूबर को होने वाले पट्टाभिषेक अभिनंदन समारोह पर रोक लगा दिया है। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने अगले आदेश तक पट्टाभिषेक अभिनंदन समारोह पर रोक लगाने का आदेश दिया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए मुख्य मामले के साथ जोड़ते हुए 18 अक्टूबर को सुनवाई करने का आदेश दिया।
स्वामी वासुदेवानंद ने हस्तक्षेप याचिका दायर कर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को बदरीकाश्रम के शंकराचार्य के रूप में गद्दी सौंपे जाने को चुनौती दी है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस गवई की बेंच को बताया कि पुरी में गोवर्धन मठ के शंकराचार्य ने एक हलफनामा किया है। जिसमें कहा गया है कि ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य के रूप में अविमुक्तेश्वरानंद को विराजमान किए जाने समर्थन नहीं किया गया है।
दरअसल स्वामी स्वरूपानंद की वसीयत यानी इच्छापत्र के मुताबिक उनके ब्रह्मलीन होने के अगले दिन समाधि हो जाने के बाद उसके अगले दिन उनके दोनों पट्ट शिष्यों में से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य और स्वामी सदानंद सरस्वती को द्वारका गोवर्धन पीठ का शंकराचार्य नियुक्त कर दोनों को पीठ के शंकराचार्य के रूप में अभिषिक्त कर दिया गया। इसके बाद बदरीकाश्रम के शंकराचार्य के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को गद्दी सौंपे जाने को स्वामी वासुदेवानंद ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।