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मुस्लिम समाज में प्रचलित एकतरफा तलाक के प्रावधानों के खिलाफ जनवरी के तीसरे हफ्ते में होगी सुनवाई

by Suyash

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट तलाक ए हसन समेत मुस्लिम समाज में प्रचलित एकतरफा तलाक के प्रावधानों को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर जनवरी के तीसरे हफ्ते में सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता बेनज़ीर के पति को दोनों के बीच समाधान के लिए मौजूद रहने को कहा था लेकिन उनके वकील ने सुलह से मना कर दिया। अब सुप्रीम कोर्ट व्यापक मुद्दे पर सुनवाई करेगा।
29 अगस्त को सुनवाई के दौरान पीड़िता बेनजीर हिना ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखी थी। बेनजीर ने कहा था कि मैं चाहती हूं कि मेरे पति साथ रहें। मेरी और बच्चे की ज़िम्मेदारी उठाएं। इस पर जस्टिस कौल ने कहा था कि हमने आपके पति को बुलाया है। देखते हैं कि क्या रास्ता निकलता है। 16 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने तलाक पीड़िता से पूछा था कि क्या आप आपसी सहमति से इस तरह तलाक लेना चाहेंगी, जिसमें आपको मेहर से अधिक मुआवजा दिलाया जाए। कोर्ट ने कहा था कि पहली नजर में तलाक ए हसन में गड़बड़ी नहीं है, क्योंकि महिला के पास खुला तलाक का विकल्प मौजूद है।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील पिंकी आनंद ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को गैरकानूनी करार दिया लेकिन तलाक ए हसन का मामला अनिर्णीत रहा। तब कोर्ट ने पूछा था कि क्या याचिकाकर्ता आपसी सहमति से इस तरह तलाक लेना चाहेंगी, जिसमें आपको मेहर से अधिक मुआवजा दिलाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम नहीं चाहते कि यह किसी और तरह का एजेंडा बने।
तलाक ए हसन की शिकार मुंबई की नाजरीन निशा और गाजियाबाद की रहने वाली बेनज़ीर हिना ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। याचिका में मांग की गई है कि मुस्लिम लड़कियों को भी बाकी लड़कियों जैसे अधिकार मिलने चाहिए। वकील अश्विनी उपाध्याय के जरिये दाखिल याचिका में बेनजीर ने बताया है कि उनकी 2020 में दिल्ली के यूसुफ नकी से शादी हुई थी। उनका सात महीने का बच्चा भी है। दिसंबर 2021 में पति ने एक घरेलू विवाद के बाद उन्हें घर से बाहर कर दिया था। पिछले पांच महीने से उनसे कोई संपर्क नहीं रखा। अब अचानक अपने वकील के जरिये डाक से एक पत्र मिला है, जिसमें कहा गया है कि वह तलाक-ए-हसन के तहत पहला तलाक दे रहे हैं।