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कल अमेठी में रहेंगे राहुल, प्रियंका तीन मई तक प्रचार में व्यस्त; रायबरेली से कौन लड़ेगा चुनाव?

by Nikhil

सोनिया गांधी ने रायबरेली के लोगों को पत्र लिखकर नेहरू-गांधी परिवार से उम्मीदवार देने का भरोसा दिया था। अभी कांग्रेस पार्टी की तरफ से कोई नाम फाइनल नहीं हुआ है, लेकिन रायबरेली सीट के लिए आशीष कौल के नाम की चर्चा भी शुरू हो गई है।

भाई, बहन लोकसभा में और मां राज्यसभा में रहें, तो कैसा रहेगा? जनता के बीच में क्या संदेश जाएगा? या फिर प्रियंका गांधी रायबरेली में, राहुल गांधी और वरुण गांधी अमेठी की राजनीतिक लड़ाई में उलझेंगे, तो कांग्रेस का प्रचार कौन करेगा? क्या एक सीट के लिए 10 सीटों का नुकसान सहा जाए या फिर अमेठी और रायबरेली से राहुल, प्रियंका के चुनाव लड़ने से 10 अतिरिक्त सीटों का फायदा होगा? आजकल कांग्रेस मुख्यालय में कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का 10 जनपथ आवास इसी नफा-नुकसान में जुटा है। एक मई की सुबह तक बड़ा फैसला हो जाने की उम्मीद है।

एक मई को सुबह तक राहुल गांधी के अमेठी पहुंचने की संभावना है। उनके चुनाव लड़ने की भी घोषणा होने की उम्मीद है। एडवोकेट कौशिक अमेठी पहुंच चुके हैं। कांग्रेस के अमेठी, रायबरेली के रणनीतिकार केएल शर्मा भी अमेठी के लिए जाने की तैयारी कर रहे थे। सूत्र के हवाले से आई यह खबर पक्की है कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे। जल्द ही नामांकन दाखिल करेंगे। वहीं प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने पर मंथन चल रहा है।

क्या प्रियंका गांधी लड़ना चाहती हैं चुनाव?
सोनिया गांधी ने जिस दिन रायबरेली वासियों को चिट्ठी लिखी थी, उस दौरान प्रियंका गांधी वाड्रा के तीन करीबियों (संदीप सिंह समेत) ने उनसे (प्रियंका) रायबरेली में चुनाव प्रचार अभियान को लेकर इजाजत मांगी थी। लेकिन प्रियंका ने तब उन्हें रुकने के लिए कहा था। दो दिन पहले भी प्रियंका से जब उनकी टीम के लोगों ने पूछा, तो उन्हें रुकने के लिए कहा है। मंशा साफ है कि शायद प्रियंका रायबरेली से चुनाव लड़ने की कम इच्छुक हैं। हालांकि कांग्रेस पार्टी के चुनाव रणनीतिकारों में गिने जाने वाले सुनील कानूगोलू काफी उत्साहित हैं। सुनील कानूगोलू के करीबी का कहना है कि प्रियंका और राहुल गांधी दोनों को चुनाव मैदान में उतरना चाहिए। राहुल अमेठी से और प्रियंका रायबरेली से अच्छी बढ़त हासिल करेंगी। लेकिन पहले राहुल गांधी ने सवाल खड़ा किया। राहुल गांधी का सवाल था कि अमेठी और वायनाड दोनों जगह से चुनाव जीतने के बाद उन्हें एक सीट छोड़नी पड़ेगी। वह कौन सी होगी? राहुल गांधी का दक्षिण भारत की राजनीति को लेकर भी अपना एक तर्क है। लेकिन अंतत: वह अमेठी से नामांकन दाखिल करने के लिए तैयार हो गए हैं, ऐसा प्रतीत हो रहा है।

सवाल प्रियंका का है। कांग्रेस मुख्यालय और 10 जनपथ के सूत्र कह रहे हैं कि 24-48 घंटे के भीतर इसका निर्णय हो जाएगा। अभी संभावना खत्म नहीं हुई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अगले तीन दिन तक पार्टी के प्रचार अभियान में व्यस्त हैं। एक और दो मई को असम, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में जनसभा को संबोधित करेंगी। तीन मई को उड़ीसा और फतेहाबाद में प्रियंका को जनसभा को संबोधित करना है। फतेहाबाद में कांग्रेस प्रत्याशी रामनाथ सिकरवार के प्रचार में रोड शो भी करना है। गुजरात भी जाना है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि इस बारे में अंतिम निर्णय भी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को ही लेना है।

प्रियंका न लड़ीं तो फिर कांग्रेस क्या करेगी?
सोनिया गांधी ने रायबरेली के लोगों को पत्र लिखकर नेहरू-गांधी परिवार से उम्मीदवार देने का भरोसा दिया था। अभी कांग्रेस पार्टी की तरफ से कोई नाम फाइनल नहीं हुआ है, लेकिन रायबरेली सीट के लिए आशीष कौल के नाम की चर्चा भी शुरू हो गई है। आशीष मुंबई में रहते हैं। दीपा कौल के बेटे हैं। दीपा कौल पूर्व राज्यपाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मामी थीं। वह देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की रिश्ते में भाभी थीं। आशीष कौल टीवी का चर्चित चेहरा हैं और फिल्म अभिनेता हैं। घुटन, कुसुम, कहानी घर-घर की, कसौटी जिंदगी की, सीआईडी जैसे धारावाहिकों में अभिनेता के तौर पर काम किया है।

बड़ा सवाल कांग्रेस के प्रचार का है
कांग्रेस पार्टी के एक महासचिव कहते हैं कि हमारे पास बहुत स्टार प्रचारक हैं, लेकिन प्रचार अभियान की मुख्य जिम्मेदारी राहुल और प्रियंका के कंधे पर ही है। राहुल और प्रियंका दोनों की जनसभा में भारी भीड़ होती है। सूत्र का कहना है कि तमाम मुद्दों पर जनता से जुड़ने, संवाद करने में प्रियंका गांधी का कोई सानी नहीं है। यह बात सही है कि अमेठी और रायबरेली में चुनाव एक ही चरण में होने हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री का भी कहना है कि दोनों स्टार प्रचारकों के चुनाव लड़ने की दशा में दोनों का अपने क्षेत्र से चुनाव संपन्न होने तक निकलना मुश्किल होगा। ऐसे में देखना है कि पार्टी इस बारे में अंतिम निर्णय क्या लेती है?

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