ममता बनर्जी के बयान पर बांग्लादेश सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए अपना विरोध जताया है। उन्होंने 21 जुलाई को एक रैली में टीएमसी की शहीद दिवस के मौके पर कहा था कि वे हिंसाग्रस्त बांग्लादेश से भागने वालों को अपने राज्य में शरण देंगी। इसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश के विदेश मंत्री हसन महमूद ने इसे भ्रमकारी माना और भारत सरकार को एक आधिकारिक नोट भेजा है।
ममता बनर्जी ने बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा और विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए कहा था कि पड़ोसी देश से आए संकटग्रस्त लोगों के लिए पश्चिम बंगाल अपने दरवाजे खुले रखेगा और उन्हें आश्रय देगा। उन्होंने इस निर्णय का समर्थन यहां तक किया कि बंगाल में अशांति वाले क्षेत्रों के आस-पास के क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के अनुसार उन्हें स्थानांतरित किया जाएगा।
बताया गया है कि बांग्लादेश में छात्र सरकारी नौकरियों में आरक्षण खत्म करने की मांग पर हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसमें अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इस दौरान 2580 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें कई विपक्षी दलों के नेता भी शामिल हैं। इस मामले में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कड़े कदम उठाए हैं, जैसे कि कर्फ्यू लगाने और सेना को तैनात करने का आदेश दिया है।
इस बीच, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने ममता बनर्जी से उनके बयान पर रिपोर्ट मांगी है, कहते हुए कि उनकी इस नीति से विदेशी मामलों के संबंध में केंद्र का विशेषाधिकार है।