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गीतांजलि ने हिंदी उपन्यास के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीत रचा इतिहास

by City Headline

लंदन

प्रख्यात भारतीय लेखिका गीतांजलि ने अपने हिंदी उपन्यास के लिए वर्ष 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीत कर इतिहास रच दिया है। किसी भारतीय भाषा की पुस्तक को पहली बार बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। गीतांजलि को यह पुरस्कार उनके हिन्दी उपन्यास के अंग्रेजी अनुवाद ‘टूम आफ सैंड के लिए दिया गया है। यह पुस्तक उनके मूल हिंदी उपन्यास ‘रेत समाधि का अंग्रेजी अनुवाद है।

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में जन्मी और दिल्ली की रहने वाली 64 वर्षीय लेखिका गीतांजलि श्री को लंदन में आयोजित एक समारोह में इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया। गीतांजलि ने हिंदी भाषा की पहली पुस्तक को बुकर पुरस्कार मिलने पर आभार और प्रसन्नता जताई है। गीतांजलि श्री की यह पुस्तक 2018 में मूल रूप से हिंदी में ‘रेत समाधि के नाम से प्रकाशित हुई थी। इसका अंग्रेजी अनुवाद ‘टूम आफ सैंड डेजी राकवेल ने किया है। जूरी के सदस्यों ने इसे ‘शानदार और अकाट्य बताया।

इस पुरस्कार के तहत 50,000 पाउंड (करीब 50 लाख रुपये) दिए गए, जो गीतांजलि ने उपन्यास का अंग्रेजी अनुवाद करने वाली डेजी राकवेल के साथ समान रूप से साझा किया। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भारतीय लेखिका अरुंधति राय को उनके अंग्रेजी उपन्यास ‘गाड आफ स्माल थिंग्स के लिए बुकर पुरस्कार से नवाजा गया था। टूम आफ सैंड भारत के विभाजन की त्रासदी को रेखांकित करती 80 वर्षीय उस महिला की कहानी है, जो अपने परिवार की व्याकुलता के कारण पाकिस्तान की यात्रा करती है और किशोर उम्र के अपने अनुभवों के अनसुलझे आघातों का सामना करती है। साथ ही साथ एक मां, एक बेटी होने का क्या मतलब है, इसका पुनर्मूल्यांकन करती है।

टूम आफ सैंड दुनिया के उन 13 पुस्तकों में शामिल थी, जिसे अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए लिस्ट में शामिल किया गया था। अंत में शार्टलिस्ट छह पुस्तकों में टूम आफ सैंड ने बाजी मारकर इतिहास रच दिया। लंदन पुस्तक मेले में घोषित अन्य शार्टलिस्ट किताबों में बोरा चुंग की ‘कस्र्ड बनी भी शामिल थी, जिसका कोरियाई भाषा से अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है।

गीतांजलि श्री तीन उपन्यास और कई कथा संग्रह लिख चुकी हैं। उनकी रचनाओं का अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, सर्ब और कोरियाई भाषाओं में अनुवाद हुआ है। वहीं, टूम आफ सैंड का अनुवाद करने वाली डेजी राकवेल एक चित्रकार और लेखिका हैं, जो अमेरिका में रहती हैं। उन्होंने हिंदी और उर्दू की कई साहित्यिक रचनाओं का अनुवाद किया है। उन्होंने इस किताब को हिंदी भाषा के लिए प्रेम पत्र कहा है।

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