पाकिस्तान में बैठे वहां की खुफिया एजेंसी ISI के एजेंट्स, आतंकी और ड्रग स्मगलर अपने नेटवर्क में बच्चों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत-पाक इंटरनेशनल बॉर्डर के नजदीकी गांवों में ऐसे बच्चों को चिन्हित करने का जिम्मा यहां एक्टिव लोकल तस्करों को दिया गया है। पंजाब पुलिस के इंटेलिजेंस विंग की टीम और अमृतसर रूरल पुलिस द्वारा अमृतसर में हथियारों और विस्फोटक सामग्री के साथ 4 लोगों की गिरफ्तारी में इसका खुलासा हुआ। इन आरोपियों में 8वीं कक्षा का एक स्टूडेंट भी है। इसके बाद भारत की सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं।
पुलिस की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, पकड़ा गया बच्चा अनाथ है। उसके माता-पिता की मौत काफी समय पहले हो गई थी। वह अमृतसर जिले के सरहदी गांव धनोए खुर्द में अपने रिश्तेदारों के पास रहता था। इस बच्चे का दिमाग काफी तेज है और वह मोबाइल पर इंटरनेट वगैरह चलाने में काफी होशियार है। इसी वजह से तस्करों ने उसे चुना और पैसों का लालच देकर अपने साथ मिला लिया है।
IG मोनीश चावला के अनुसार, पकड़े गए तस्करों ने इस बच्चे से ही मोबाइल पर इंटरनेट चलाना सीखा। पाकिस्तान में बैठे तस्कर हथियार भेजने के बाद उसकी लोकेशन शेयर करते तो तस्कर उसे समझने में भी बच्चे की मदद लेते हैं। लोकल तस्करों का मॉड्यूल पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से ऐसी एप्लीकेशन के जरिये बात करता जिन्हें ट्रेस करना काफी मुश्किल होता है। इन एप्लीकेशन को चलाने में भी तस्कर बच्चे की मदद लेते हैं।
बता दें कि इसके बदले में वह बच्चे को पैसे देते थे। हालांकि पुलिस ने यह नहीं बताया कि तस्करों की ओर से इस बच्चे को कितने पैसे दिए जाते थे? पुलिस इस बात की थी जांच कर रही है कि बच्चे की एक्टिवटी का पता उसके रिश्तेदारों को क्यों नहीं चला जिनके पास वह रहता था।
पंजाब पुलिस की बॉर्डर रेंज के आईजी मोनीश चावला ने बताया कि अमृतसर में पकड़े गए 4 आरोपियों में 8वीं कक्षा का एक स्टूडेंट भी है। पुलिस सबसे पहले इसी बच्चे तक पहुंची और उसके बाद पूरे मॉड्यूल को ब्रेक किया। बॉर्डर पार से हथियार मंगवाने और उन्हें आगे डिलीवर करने में इस बच्चे का कोई रोल सामने नहीं आया लेकिन पाकिस्तान और भारत में बैठे तस्कर आपस में संपर्क साधने के लिए उसी का इस्तेमाल कर रहे थे। फिलहाल पकड़े गए बच्चे को लुधियाना की जुवेनाइल जेल भेज दिया गया है।