गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पर्यावरण के प्रत्येक क्षेत्र में दिख रहे प्रदूषण पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार अपने स्तर पर गंभीर प्रयास कर रही है, लेकिन प्रदूषण के घातक दुष्परिणामों से बचने के लिए हर व्यक्ति को पर्यावरण अनुकूल आचरण करना होगा।
मुख्यमंत्री योगी सोमवार को वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की तरफ से आयोजित विश्व पर्यावरण दिवस समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में आयोजित ‘रेस फॉर लाइफ : सर्कुलर इकॉनमी एवं लोकल क्लाइमेट एक्शन’ विषयक कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस के आयोजन की शुरुआत के साथ पर्यावरण संकट पर 51 वर्ष पूर्व से चिंता की जा रही है। 51 वर्षों की आर्थिक विकास यात्रा में पर्यावरण कहां छूट गया, यह चिंतनीय है।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण पृथ्वी, जल, वायु, पेड़-पौध सबका समन्वित रूप है। हम सबकी रचना भी पंचतत्वों के इर्द-गिर्द हुई है। हमारा जीवन चक्र व सृष्टि एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, लेकिन हमने सृष्टि के तत्वों जल, वायु को प्रदूषित किया। इसका खामियाजा हमें विभिन्न प्रकार की बीमारियों के रूप में भुगतना पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय मनीषा के मंत्र इस बात के प्रमाण हैं कि हमारे पूर्वजों ने सृष्टि के प्रत्येक वस्तु के कल्याण की बात की है। कल्याण मतलब कोई भी वस्तु प्रदूषित न होने पाए। पहले हम यज्ञ करते थे, घर-घर हवन होता था। इन सबको तिलांजलि देकर हमने ऐसी जीवन पद्धति अपना ली जो आज हमारे लिए ही घातक हो गई।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ करने का दुष्परिणाम प्रदेश के कुछ हिस्सों में सितंबर-अक्टूबर की असमय बाढ़ या दिल्ली में नवंबर-दिसंबर के स्मॉग के रूप में सामने है। उद्योगों को बंद करना पड़ता है। कभी सूखा तो कभी अतिवृष्टि से अन्न का संकट भी खड़ा हो सकता है।
पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा को प्रोत्साहित कर रही है सरकार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन कम कर पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से सरकार पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा को प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए शहर ही नहीं गांवों में एलईडी लाइट की व्यवस्था हो रही है। एलईडी कार्बन उत्सर्जन कम करने का माध्यम बन रहा है। इसी तरह सोलर पावर को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
नमामि गंगे से निर्मल एवं अविरल हुई गंगा
मुख्यमंत्री योगी ने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में नमामि गंगे प्रोजेक्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि आज प्रयागराज, काशी में गंगा जी का जल स्वच्छ व अविरल हो गया है। लोग प्रसन्नता से इसका आचमन व स्नान कर रहे हैं। जबकि पहले लोग प्रयागराज कुंभ में आचमन, स्नान नहीं कर पाते थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण के लिए आजादी के अमृत महोत्सव में गांव-गांव अमृत सरोवर बन रहे हैं। उन्होंने ग्राम प्रधानों से तालाबों के संरक्षण और उनके चारों तरफ पौधरोपण का आह्वान भी किया। साथ ही हर घर नल योजना में भी पानी की बर्बादी रोकने की अपील की।
प्रदूषण व गंदगी थे इंसेफेलाइटिस के कारण
मुख्यमंत्री योगी ने चार दशक में पूर्वी उत्तर प्रदेश में पचास हजार मासूमों को असमय काल कवलित करने वाली बीमारी इंसेफेलाइटिस का जिक्र करते हुए कहा इसके कारण प्रदूषण व गंदगी थे। पर्यावरण व स्वच्छता के प्रति जागरूक होकर इसे दोबारा पैर पसारने से रोकने के लिए सबको प्रयास करना होगा।
सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल पाप के समान
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस का ध्येय वाक्य है, सॉल्यूशन फॉर प्लास्टिक पॉल्यूशन’ है। प्रदेश में इसे 2018 में ही बैन कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल पाप के समान है। फेंके गए प्लास्टिक को गाय खाकर मर जाती हैं तो गोमाता की हत्या का पाप लगता है। कभी नष्ट न होने से यह प्लास्टिक धरती मां के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालती है।
पर्यावरण संरक्षण को सिक्स आर का मंत्र दिया
मुख्यमंत्री ने प्लास्टिक से पर्यावरण के संरक्षण के लिए सिक्स आर का मंत्र दिया। उन्होंने रिड्यूस, रियूज, रिसाइकल, रिकवर, रिफैब्रिकेट और रिपेयर के फार्मूले को अपनाने की अपील की।
हर ग्राम पंचायत लगवाए एक हजार पौधे
मुख्यमंत्री ने जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में चलाए जाने वाले वन महोत्सव की जानकारी भी साझा की। बताया कि प्रदेश सरकार ने 35 करोड़ पौधरोपण का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में कम से कम एक-एक हजार पौधरोपण होना चाहिए। यदि सभी ग्राम पंचायत और नगर निकाय इस लक्ष्य को अपना लें तो छह करोड़ पौधरोपण इनके द्वारा ही हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 करोड़ की आबादी वाले राज्य में 35 करोड़ पौधरोपण कोई चुनौती नहीं है। हर व्यक्ति एक पौधा लगाए तो 25 करोड़ पौधरोपण अपने आप दिखेगा। मुख्यमंत्री ने पौधे लगाने के साथ उनकी रक्षा का दायित्व लेने की भी अपील की।
इसका महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि वन आच्छादित क्षेत्र में तापमान 05 से 06 डिग्री कम रहता है और भीषण गर्मी से राहत मिलती है। उन्होंने पौधरोपण में पीपल, बरगद, पाकड़, नीम, जामुन, देसी आम जैसे पारंपरिक वृक्षों को प्राथमिकता देने का अनुरोध किया।