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वाराणसी में योगी से राजभर की बंद कमरा मुलाकात ने यूपी की सियासत में सरगर्मी बढ़ाई

by City Headline
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वाराणसी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) प्रमुख ओम प्रकाश राजभर की बंद कमरे में मुलाकात से पूर्वांचल के सियासी गलियारे में हलचल मच गई है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 में सुभासपा भाजपा मिलकर चुनावी जंग में विरोधी दलों को चुनौती देंगे।

उत्तर प्रदेश की सियासी गलियारे में यह हलचल उस वक्त शुरू हुई जब गुरुवार को देर शाम प्रदेश के पूर्व मंत्री और शहर दक्षिणी के विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी के छोटे भाई की शादी के प्रीतिभोज में शामिल होने आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सर्किट हाउस में सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने बंद कमरे में मुलाकात की। बंद कमरे में मुख्यमंत्री से राजभर की बातचीत के बाद पूरे पूर्वांचल में सियासी कयासबाजी का दौर शुरू हो गया।

पिछले दिनों ओपी राजभर के छोटे बेटे अरुण राजभर की शादी के प्रीतिभोज में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी सहित अन्य दिग्गज नेताओं के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बधाई संदेश लेकर उनके सलाहकार अवनीश अवस्थी भी पहुंचे थे। इसके बाद से ही अटकलें लगाई जाने लगी थीं। चर्चा है कि सुभासपा भाजपा के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ेगी।

2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के सहयोगी रहे ओम प्रकाश राजभर के तीखे बोल और भाजपा पर जुबानी हमले को भाजपा नेतृत्व ने भी भुला दिया है। राजनीति में कोई स्थायी दोस्त और दुश्मन नहीं होता, यह कहावत भाजपा और सुभासपा की बढ़ती नजदीकियां सटीक बैठती हैं। मिशन 2024 फतह के लिए भाजपा शीर्ष नेतृत्व हर गिले शिकवे को भूल पुराने साथियों को एक बार फिर से एनडीए का हिस्सा बना रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लगभग आधे घंटे की बातचीत के बाद ओमप्रकाश राजभर ने भी पत्रकारों से इस बारे में बातचीत नहीं की।

सुभासपा इससे पहले भी भाजपा के गठबंधन का हिस्सा रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सहयोगी रहे ओपी राजभर को सरकार में मंत्री बनाया गया था लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा ने सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा और अच्छी सफलता भी पाई। चुनाव के बाद सपा से राजभर के संबंध बिगड़ गए। सपा ने सुभासपा से आखिरकार गठबंधन तोड़ लिया। अब वह अपनी सियासी रेल को पटरी पर लाना चाह रहे हैं। वहीं भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर जीत दर्ज करना चाह रही है। ऐसे में दोनों दलों की नजदीकियां बढ़ रही हैं।