लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सूरत सीट पर बीजेपी ने एकतरफा जीत हासिल कर ली है और उम्मीदवार मुकेश दलाल ने एक तरफ़ा जीत हासिल की. चुनाव नतीजे सामने आने से पहले ही बीजेपी ने सूरत में जीत कर अपना खाता खोल दिया लेकिन अभी भी सूरत की जनता और कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता चुनाव आयोग के इस फैसले से नाखुश नज़र आ रहे हैं और इसे गलत ठहरा रहे हैं तो चलिए आपको बताते हैं कि क्या है पूरा मामला। ..
दरअसल, सूरत में 7 मई को चुनाव होने थे लेकिन चुनाव आयोग ने कांग्रेस उम्मीदवार निलेश कुम्बानी के नामांकन को अवैध घोषित कर दिया क्योंकि गवाहों के हस्ताक्षर अमान्य थे, इसके साथ ही आठ अन्य उम्मीदवारों ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली. जिसके बाद मुकेश दलाल इस सीट से एकमात्र उम्मीदवार बचे. और फिर 22 अप्रैल को मुकेश दलाल की जीत की घोसणा कर दी गयी. जिसके साथ ही सूरत के 18 लाख मतदाओं के अधिकारों का हनन हुआ है और मतदाता इस बात से हतास हैं.
ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस उम्मीदवार निलेश कुम्बानी ने बीजेपी के साथ मिल कर यह चाल चली है, क्योंकि निलेश कुम्बानी लापता हैं और उनका बीजेपी में शामिल होना यह खबर जोर पकड़े हुए है, लेकिन इसमें कितने सच्चाई है इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है…. खैर एक बात तो साफ़ है सूरत में जो हुआ है वो चंडीगढ़ से भी कई ज्यादा संदिग्ध है जिसकी जांच तक नहीं की गयी. ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल है कि क्या फर्जी हस्ताक्षर करवाने पर कोई निलेश कुम्बानी के खिलाफ कोई जांच होगी और इस पर करवाई कब होगी ? और अगर ऐसा नहीं हुआ तो यह सरासर लोकतंत्र की हत्या है …