लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले नगर निकाय चुनाव के लिए लगभग सभी राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर प्रचार शुरू कर दिया है। इस बीच राजनीतिक गलियारों से खबर आ रही है कि बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने चुनाव प्रचार से खुद को दूर कर लिया है। जिससे अब अन्य दलों के नेताओं को सीधा फायदा होने वाला है।
कुछ राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कभी नगर निकाय चुनाव नहीं लड़ने वाली बसपा दूसरी बार निकाय चुनाव मैदान में उतरी है। बसपा ने इस बार अधिकांश सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं।
पार्टी जिस रणनीति के साथ चुनाव में उतरी थी, उसका उन्हें फायदा जरूर हुआ होगा लेकिन मायावती के चुनावी मैदान में प्रचार न करने का खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ सकता है। साथ ही भाजपा अपने कार्यकाल में किए गए कामों को लेकर हर तबके तक पहुंच रही है, जिसका फायदा पार्टी को मिलेगा।
सूत्रों के मुताबिक इस बार निकाय चुनाव में प्रचार नहीं करने के मायावती के फैसले का सपा भी सीधा फायदा उठा सकती है। इसके पीछे भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद भी सपा के साथ हर जगह नजर आ रहे हैं, इस वजह से सपा की कोशिश सफल होने की संभावना अधिक है।
प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल के लिए यह निकाय चुनाव चुनौतियों से भरा है, क्योंकि इस बार पूरी जिम्मेदारी उन्हीं पर और कोआर्डिनेटरों की होगी। बसपा इस चुनाव को आगामी लोकसभा-2024 की तैयारी मान रही है। इसके नतीजों के आधार पर पार्टी आगे की रणनीति बनाएगी।