गोरखपुर । गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारी सनातन संस्कृति समाज, राष्ट्र व धर्म की समस्याओं से पलायन की आज्ञा नहीं देती है। समाज, राष्ट्र व धर्म की समस्या को हमें अपनी खुद की समस्या मानना होगा। हमें खुद को हर चुनौती से निरंतर जूझने के लिए तैयार रखना होगा क्योंकि समस्याओं से पलायन करने वाले, उनसे मुंह मोड़ने वाले जनविश्वास खो देते हैं। पलायन करने वालों को वर्तमान और भावी पीढ़ी कभी माफ नहीं करती है।
सीएम योगी युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 53वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 8वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के अंतिम दिन बुधवार (आश्विन कृष्ण चतुर्थी) को महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे थे। श्रद्धांजलि समारोह में अपने भावों को शब्दांकित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरक्षपीठ के पूज्य आचार्यद्वय ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने ने धर्म, समाज और राष्ट्र की समस्याओं से पलायन न करने का आदर्श स्थापित किया। उनके मूल्यों, सामर्थ्य और साधना की सिद्धि का परिणाम आज गोरखपुर के विभिन्न विकल्पों के माध्यम से देखा जा सकता है। उन्होंने गोरक्षपीठ को सिर्फ पूजा पद्धति और साधना स्थली तक सीमित नहीं रखा, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सेवा के विभिन्न आयामों से जोड़कर लोक कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया।
सीएम योगी ने कहा कि गोरक्षपीठ की परंपरा सनातन धर्म की महत्वपूर्ण कड़ी है। आश्रम पद्धति कैसे संचालित होनी चाहिए, समाज, देश और धर्म के प्रति हमारी क्या जिम्मेदारी होनी चाहिए, इसका मार्गदर्शन इस पीठ ने किया है। ऐसे दौर में जब बहुतायत लोग भौतिकता के पीछे दौड़ते हैं, देशकाल व समाज के अनुरूप कार्यक्रमों से जुड़कर यह पीठ ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ व ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ द्वारा स्थापित आदर्शों को युगानुकूल तरीके से आगे बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि जब देश पराधीन था तब यह धार्मिक पीठ सीमित संसाधनों से शिक्षा का अलख जगाने के अभियान से जुड़ती है। पूज्य संतों ने आजादी के आंदोलन को नेतृत्व दिया, उसने भागीदार बने और इस दिशा में गोरक्षपीठ की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। जब धर्म भी पराधीनता के दंश को झेल रहा था तो गोरक्षपीठ खुद को कैसे अलग रख सकती थी। सीएम योगी ने कहा कि आजादी का आंदोलन हो या आजादी मिलने के बाद राष्ट्र निर्माण के अभियान को गति देने की बात, गोरक्षपीठ ने महंत दिग्विजयनाथ व महंत अवेद्यनाथ के नेतृत्व में निरंतर प्रयास किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के मार्ग प्रशस्त होने से भारत के लोकतंत्र व न्यायपालिका की ताकत वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठित हुई है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन हो या फिर प्रयागराज दिव्य एवं भव्य कुंभ। हमारे सांस्कृतिक विजय के इस अभियान का हिस्सा है। यही नहीं अब भारतीय नस्ल के गोवंश संरक्षण की वकालत वैश्विक मंचों से की जा रही है। अति भौतिकता के पीछे पड़कर अर्जित की गई गंभीर बीमारियों से बचने के लिए प्राकृतिक खेती पर दुनिया जोर दे रही है और प्राकृतिक खेती के लिए भारतीय ही गोवंश आधार होगा। इससे गाय भी बचेगी और मानवता को बीमारियों से मुक्ति भी मिलेगी। कुल मिलाकर वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है और हम सभी को इस पर गौरव की अनुभूति करनी चाहिए।
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस से होने वाली मासूमों की मौतों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 1977 से 2017 तक प्रतिवर्ष 1200 से 1500 बच्चे इस बीमारी के चलते दम तोड़ देते थे। 40 साल में 50 हजार मौतें हुईं। दम तोड़ने वाले बच्चे इसी समाज की धरोहर थे। 2017 के बाद से सरकार ने स्वच्छता के प्रति जन जागरूकता बढ़ाकर,शासन-प्रशासन के साथ जनता के सहयोग से बीमारी का समाधान निकाला। इन सब का परिणाम यह है कि इंसेफलाइटिस से होने वाली मौतें अब शून्य की तरफ हैं।सीएम योगी ने कहा कि वर्तमान समय में अपना देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आजादी के शताब्दी वर्ष तक हमारा लक्ष्य भारत को विकसित एवं दुनिया की महाताकत बनाने का होना चाहिए। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हम सभी को विगत स्वाधीनता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए पंच प्रणों से जुड़ना होगा। हमें अपनी विरासत पर गौरव की अनुभूति करनी होगी। विकसित भारत बनाने के लिए अपने अपने कार्य क्षेत्र के कर्तव्यों का ईमानदारी पूर्वक निर्वहन करना होगा। गुलामी के किसी भी अंग को स्वीकार नहीं करना होगा। हर भारतीय के मन में अभाव होना चाहिए कि अपना देश व धर्म सुरक्षित है। यह प्रसन्नता की बात है कि देश अच्छी दिशा में आगे बढ़ रहा है। अपनी दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ एवं गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की पुण्य स्मृति को नमन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ब्रह्मलीन महंतद्वय का व्यक्तित्व एवं कृतित्व सदैव प्रेरणादायी है। श्रीराम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व करने के साथ ही उन्होंने गोरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और सेवा के विभिन्न प्रकल्पों को प्रवाहमान बनाया। श्रद्धांजलि समारोह में प्रयागराज से पधारे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद जैसे अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बन रहा है, उन्हें पूरा विश्वास है कि मथुरा और काशी का पुनरुद्धार भी उन्हीं के नेतृत्व में होगा। उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा है कि मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर मंदिर और काशी में भगवान शिव के मंदिर का नवोत्थान शुरू हो तभी वह (वासुदेवानंद सरस्वती) अपने शरीर का परित्याग करें।
इस अवसर पर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ से जुड़े अपने संस्मरण सुनाते हुए शंकराचार्य ने कहा कि महंत जी की सरलता, सहृदयता व सर्वजनप्रियता का बखान कर पाना मुश्किल है। कहा कि वर्ष 1991 में वह गोरखनाथ मंदिर आए थे। एक स्थान पर पूजा करते देख महंत अवेद्यनाथ ने उनसे विशिष्ट स्थान पर पूजा करने का अनुरोध किया। वासुदेवानंद जी द्वारा ठिठोली करते हुए यह कहने पर कि तब तो यहां की गद्दी भी मेरी हो जाएगी, महंत जी ने सहज ही कह दिया, महाराज यह तो आपकी ही है। शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती के पूर्व वशिष्ठ आश्रम अयोध्या से आए पूर्व सांसद डॉ रामविलास वेदांती ने भी अपने संबोधन में कहा कि मथुरा व काशी में भव्य मंदिर का निर्माण भी योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री रहते संभव होगा। उन्होंने योगी आदित्यनाथ को धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए महायोगी गोरखनाथ द्वारा भेजा गया दूत बताता। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ का स्मरण करते हुए डॉ वेदांती ने कहा कि सभी संतों को एक मंच पर लाने का श्रेय ब्रह्मलीन महंत जी को ही है। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व उस समय स्वीकार किया जब कांग्रेस सरकार के डर से कोई इसके लिए तैयार नहीं हो रहा था।
इस अवसर पर अपने संबोधन में अलवर के सांसद और रोहतक के अस्थल बोहर पीठ के महंत बालकनाथ ने कहा कि गोरक्षपीठ रामराज्य स्थापना की संकल्प भूमि है और इस पीठ के ब्रह्मलीन महंतद्वय समूची मानवता के प्रेरणा पुंज। श्रद्धांजलि समारोह में दिगम्बर अखाड़ा (अयोध्या) के महंत सुरेश दास, बड़ौदा (गुजरात) से आए महंत गंगादास, कटक (ओडिशा) से आए महंत शिवनाथ व नागपुर, महाराष्ट्र से पधारे स्वामी जितेन्द्रनाथ ने भी विचार व्यक्त किए। इसी क्रम में सांसद रविकिशन शुक्ल, राज्यसभा सदस्य डॉ राधामोहन दास अग्रवाल, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष एवं एमएलसी डॉ धर्मेंद्र सिंह, महापौर सीताराम जायसवाल, गोरखपुर ग्रामीण के विधायक विपिन सिंह, सहजनवा के विधायक प्रदीप शुक्ल, राज्य महिला आयोग की पूर्व उपाध्यक्ष श्रीमती अंजू चौधरी, व्यापार मंडल से सुरेंद्र सिंह मुन्ना, चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल, सिंधी समाज से लक्ष्मण नारंग ने भी ब्रह्मलीन महंत द्वय के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। स्वागत संबोधन महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो उदय प्रताप सिंह तथा संचालन डॉ श्रीभगवान सिंह ने किया।
श्रद्धांजलि समारोह का शुभारंभ ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ एवं ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के चित्रों पर पुष्पांजलि से हुआ। वैदिक मंगलाचरण डॉ रंगनाथ त्रिपाठी, गोरक्ष अष्टक का पाठ गौरव तिवारी व आदित्य पांडेय तथा महंत अवेद्यनाथ स्त्रोत का पाठ डॉ प्रांगेश मिश्र ने किया। सरस्वती वंदना एवं श्रद्धांजलि गीत की प्रस्तुति महाराणा प्रताप बालिका विद्यालय की छात्राओं ने की। इस अवसर पर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी विश्वेश प्रपन्नाचार्य, स्वामी विद्या चैतन्य, महंत नरहरिनाथ, महंत कमलनाथ, महंत लालनाथ, महंत देवनाथ, महंत राममिलन दास, महंत मिथलेश नाथ, महंत रविंद्रदास, योगी रामनाथ, गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
yogi in gorakhpur
गोरखपुर । मुख्यमंत्री एवं महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार ने नशे के खिलाफ कार्ययोजना बनाकर निर्णायक लड़ाई शुरू कर दी है। नशे के सौदागर वर्तमान पीढ़ी के भविष्य से खिलवाड़ न कर सकें, इसके दृष्टिगत ड्रग व जहरीली शराब के माफियाओं पर सख्ती के लिए कमर कस ली गई है। सभी युवा सरकार के इस अभियान का हिस्सा बनकर प्रदेश को नशामुक्त करने में, सबको स्वस्थ रखने में अपना योगदान दें।
सीएम योगी रविवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम बालापार गोरखपुर के प्रथम स्थापना दिवस समारोह व इस उपलक्ष्य में 22 अगस्त से चल रहे युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज स्मृति सप्तदिवसीय व्याख्यानमाला के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हर चुनौती को हमें अवसर के रूप में लेना चाहिए और परिणाम की तात्कालिक चिंता किए बगैर चुनौती से निपटने की कार्ययोजना बनाकर शुरुआत कर देनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राय: हम अथ पर ध्यान देने की बजाय इति की चिंता करने लगते हैं। अर्थात कार्य प्रारंभ करने से पूर्व ही उसके परिणाम की चिंता करने लगते हैं। कठिनाई यहीं से शुरू होती है। लक्ष्य की ओर अग्रसर होते समय कार्य की शुरुआत कैसे करनी है, इसका ध्यान आवश्यक है न कि इसके लिए चिंतित हो जाना कि परिणाम क्या होगा। सीएम ने कहा कि यदि हम भगवान श्रीकृष्ण के दिए ज्ञान कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन: का अनुसरण करते हुए कार्य की अच्छी शुरुआत करेंगे तो उसकी शानदार सफलता कार्य प्रारंभ होने के साथ ही परिलक्षित होने लगेगी। कार्य की अच्छी शुरुआत होगी तो कोई भी बाधा, कोई भी ताकत सफलता हासिल करने से नहीं रोक सकती। उन्होंने कहा कि इसी धारणा को अंगीकार कर महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय ने अपने कदम बढ़ाए और चुनौतियों के बावजूद सफल परिणाम एक साल के कम समय में ही दिख रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में रिसर्च के काफी अवसर हैं। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय की स्थापना का यह भी एक प्रमुख उद्देश्य है कि शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में रिसर्च को आगे बढ़ाया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भी यही मंशा है। भारत को शिक्षा व चिकित्सा के।क्षेत्र में ग्लोबल नम्बर वन रैंक हासिल करनी है। सभी विश्वविद्यालय व उच्च शिक्षा संस्थान शोध के लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करते हुए यह रैंक हासिल कर सकते हैं।
सीएम योगी ने कहा कि कोई भी कार्य संभव नहीं है बस उसे करने की इच्छा शक्ति होनी चाहिए। देश व प्रदेश का शानदार कोविड प्रबंधन इसका प्रमाण है। हमारे कोविड प्रबंधन की सर्वत्र सराहना हुई। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में जब कोरोना का पहला केस आया तो यहां कोरोना जांच लिए एक भी लैब नहीं थी। पहला सैंपल हमें पुणे भेजना पड़ा। लेकिन, आज उत्तर प्रदेश के पास प्रतिदिन चार लाख कोविड टेस्ट की क्षमता है। यह अच्छी शुरूआत का अच्छा परिणाम है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश 40 साल तक इंसेफेलाइटिस से त्रस्त रहा। पूर्व की सरकारों ने उपचार की गंभीरता नहीं दिखाई। इससे पूर्वी उत्तर प्रदेश में 50 हजार बच्चों की मौत हो गई। जापान ने तो इंसेफेलाइटिस वैक्सीन वर्ष 1905-06 में ही बना ली लेकिन इसे भारत आने में सौ साल लग गए। इसके लिए भी सदन में मुद्दा उठाने के साथ सड़क पर आंदोलन करना पड़ा। जबकि पीएम मोदी के मार्गदर्शन में देश ने महज नौ माह में कोरोना की वैक्सीन बना ली। वैक्सीन की देश में 200 करोड़ डोज तथा प्रदेश में 36 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है। कोरोना के संकटकाल में पीएम मोदी के मार्गदर्शन में जीवन के साथ जीविका की भी रक्षा की गई। प्रवासी कामगारों को सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया, हर गरीब के लिए फ्री राशन, भरण पोषण भत्ता की व्यवस्था की गई। देश मे 80 करोड़ तथा प्रदेश में 15 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया गया। सबको मुफ्त कोरोना जांच, इलाज व वैक्सीन की सुविधा दी गई।
सीएम योगी ने कहा कि महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय अपने संस्थाओं के बताए रास्ते पर चलते हुए शिक्षा के साथ स्वास्थ्य पर भी ध्यान दे रहा है। यहां के परिसर में स्थित चिकित्सालय लोगों की चिकित्सा सेवा कर रहा है। इसी सिलसिले में विश्वविद्यालय द्वारा उन बीमारियों पर भी शोध किया जा रहा है जिनके कारण अकस्मात मौतें होती हैं। विश्वविद्यालय में हाल ही में एक शोध अध्ययन से चूहे के मूत्र से होने वाली गंभीर बीमारी का पता लगाया है।
मुख्यमंत्री ने महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के बीएएमएस पाठ्यक्रम का उल्लेख करते हुए कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं। आयुर्वेद के विद्यार्थी नए शोध कर उन्हें पेटेंट करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि संयोगवश आज ही प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस है। 28 अगस्त 2021 को एक ही दिन तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय का उद्घाटन व गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया था। आयुर्वेद के छात्र चिकित्सा हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर के साथ ही औषधीय पौधों के क्षेत्र में भी कार्य कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी ऐसी वनस्पति नहीं है जिसमें औषधीय गुण न हों। आयुर्वेद के छात्र शोध के जरिए उन वनस्पतियों को आरोग्यता के अनुकूल बना सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए युवाओं को प्रदेश के बाहर नहीं जाना पड़ेगा। इसके लिए सरकार ने अभ्युदय कोचिंग की शुरुआत की है। फिजिकली और वर्चुअल कोचिंग के साथ ही युवाओं को टेबलेट फॉर स्माटफोन दिए जा रहे हैं ताकि उनकी पढ़ाई में कोई बाधा न आए। कोरोना के चलते सेमीकंडक्टर का उत्पादन प्रभावित होने के बावजूद अगले पांच वर्षों में प्रदेश सरकार दो करोड़ युवाओं को स्मार्टफोन व टेबलेट उपलब्ध कराने के लिए दृढ़ संकल्पित है। अब हर युवा तकनीकी रूप से सक्षम बनेगा और पूरी दुनिया की जानकारी उसकी जेब व हाथ में उपलब्ध रहेगी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वरद्वय युगपुरुष महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज व राष्ट्रसंत महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की पुण्य स्मृति को नमन किया। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन महंतद्वय युगदृष्टा थे। महंत दिग्विजयनाथ जी ने 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना कर पूर्वी उत्तर प्रदेश में शिक्षा की अलख जगाई थी। 1956-57 में गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए उन्होंने शिक्षा परिषद के दो कॉलेज दान में दे दिए थे। सदैव उनके ही मार्ग का अनुसरण महंत अवेद्यनाथ जी ने किया। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय की परिकल्पना ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी ने ही की थी।
समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा की कमी महसूस की जा रही थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उसे दूर कर दिया है। उन्होंने कहा कि गोरक्षपीठ का शिक्षा से सदैव लगाव रहा है और पीठ के संरक्षण में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की तरफ से संचालित दर्जनों संस्थाएं इसका प्रमाण है। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि कायाकल्प योजना से आज सीएम योगी ने पूरे प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा की तस्वीर बदल दी है। इस योजना की ही देन है कि उनका गृह जिला प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश में 73वें स्थान से 7वें स्थान पर आ गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश केंद्र की लगभग सभी योजनाओं में देश में नम्बर वन है। श्री चौधरी ने महराजगंज में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए सीएम योगी के प्रति आभार जताया।
स्वागत संबोधन में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ अतुल वाजपेयी ने विश्वविद्यालय की प्रगति और यहां संचालित पाठ्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय अपने कुलाधिपति, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में गोरखपुर को ज्ञान की नगरी बनाने के संकल्प को पूरा करने के जुटा है। इसी मंशा को आगे बढ़ाते हुए अगले वर्ष तक 150 एमबीबीएस सीटों के साथ यहां मेडिकल कॉलेज भी प्रारंभ हो जाएगा। ज्ञान, अनुसंधान व रोजगार आदि के लिए विश्वविद्यालय ने सालभर में ही कई प्रतिष्ठित संस्थाओं के साथ आदान-प्रदान किया। समारोह में आभार ज्ञापन गुरु श्री गोरक्षनाथ कॉलेज ऑफ नर्सिंग की प्रधानाचार्या डॉ डीएस अजीथा ने किया।
समारोह में प्रदेश सरकार के शिक्षा सलाहकार एवं यूजीसी के पूर्व चेयरमैन प्रो डीपी सिंह, प्रदेश सरकार के फार्मा सलाहकार एवं पूर्व औषधि महानियंत्रक जीएन सिंह, राज्य आपदा प्राधिकरण के उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल आरपी शाही, गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एके सिंह, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो जेपी पांडेय, महापौर सीताराम जायसवाल, विधायक श्रीराम चौहान, महेन्द्रपाल सिंह, विपिन सिंह, डॉ विमलेश पासवान, राजेश त्रिपाठी, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष एवं एमएलसी डॉ धर्मेंद्र सिंह, राज्य महिला आयोग की पूर्व उपाध्यक्ष श्रीमती अंजू चौधरी, बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ गणेश कुमार, बीएचयू के प्रो रामचन्द्र रेड्डी, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रदीप कुमार राव आदि की विशिष्ट भागीदारी रही।
महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के प्रथम स्थापना दिवस समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विभिन्न पाठ्यक्रमों व गतिविधियों में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने वाले मेधावियों को सम्मानित किया। इस दौरान उन्होंने उनसे आत्मीय संवाद करते हुए उनका उत्साह भी बढ़ाया। मुख्यमंत्री ने महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय परिसर में पौधों की देखभाल करने वाले तथा परिसर में 501 पौधे लगाने वाले नागेंद्र पांडेय को भी सम्मानित किया।