वाशिंगटन । अब यह पक्का हो गया है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 15 नवंबर को मुलाकात होगी। यहां व्हाइट हाउस ने इसकी घोषणा की है।
मीडिया रिपोर्ट्स में व्हाइट हाउस के हवाले से कहा गया है कि राष्ट्रपति बाइडेन बुधवार (15 नवंबर) को एक साल में पहली बार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से आमने-सामने मिलेंगे। इस मुलाकात को दुनिया की दो महाशक्तियों के बीच तनाव को कम करने के उद्देश्य से उच्च-स्तरीय कूटनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
दोनों के बीच यह मुलाकात सैन फ्रांसिस्को के खाड़ी क्षेत्र में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपीईसी) शिखर सम्मेलन पर होनी है। इस मुलाकात में बीजिंग और वाशिंगटन के अधिकारियों के भी शामिल होने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले इससे पहले बाइडेन और जिनपिंग पिछले साल 13 नवंबर को इंडोनेशिया के बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले मिले थे।
XI JINPING
बाइडन को बेसब्री से इंतजार भारत यात्रा का, जिनपिंग के जी-20 सम्मेलन में शामिल न होने से निराश
वाशिंगटन । भारत में इसी सप्ताह शुरू होने जा रहे जी-20 शिखर सम्मेलन में सहभागिता को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन खासे उत्साहित हैं। उन्होंने कहा है कि वह जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए भारत यात्रा का बहुत बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि वे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के जी-20 सम्मेलन में शामिल न होने से निराश हैं।
जी-20 समूह की अध्यक्षता इस वर्ष भारत के पास है और इसी सप्ताह नौ व दस सितंबर को इस समूह का शिखर सम्मेलन भारत की राजधानी दिल्ली में आयोजित हो रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन शिखर सम्मेलन से पहले ही सात सितंबर को भारत दौरे पर पहुंचेंगे। आठ सितंबर को वह भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक में हिस्सा लेंगे। इसके बाद नौ और दस सितंबर को जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। भारत दौरे को लेकर पत्रकारों के सवाल के जवाब में जो बाइडन ने कहा कि वह भारत यात्रा का इंतजार कर रहे हैं। साथ ही कहा कि वे इस बात से निराश हैं कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सम्मेलन में शामिल नहीं हो रहे हैं।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत न पहुंचने की औपचारिक घोषणा हो चुकी है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत नहीं आने की चर्चा चल रही है, लेकिन अब तक इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। कहा जा रहा है कि शी जिनपिंग की जगह चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग भारत आएंगे। नई दिल्ली में होने वाले शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा समेत अन्य नेता शामिल होंगे।
बीजिंग। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सप्ताह भारत में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेंगे। उनके स्थान पर चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग आगामी नौ व दस सितंबर को भारत की राजधानी दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।
जी-20 समूह की अध्यक्षता इस समय भारत के पास है। जी-20 समूह का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि दुनिया की सकल घरेलू आय (जीडीपी) का 85 प्रतिशत हिस्सा जी-20 देशों का है। इसी तरह दुनिया की दो-तिहाई आबादी जी-20 देशों में रहती है और वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत हिस्सा जी-20 देशों का है। जी-20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय यूनियन शामिल हैं।
जी-20 शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के न पहुंचने की घोषणा पहले ही हो चुकी थी। पिछले कुछ दिनों से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भी दिल्ली न पहुंचने के कयास लग रहे थे। सोमवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने इन कयासों पर मुहर लगा दी। चीन के विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग जी-20 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत नहीं जाएंगे। उनकी जगह चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग जी-20 बैठक में हिस्सा लेंगे। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी चीन के राष्ट्रपति शी जिनिपिंग के जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग न लेने पर निराशा जताई थी।
दरअसल, इस मौके को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और शी जिनपिंग के बीच बातचीत के अहम मौके के तौर पर देखा जा रहा था। माना जा रहा था कि जी-20 में बैठक के बाद अमेरिका-चीन के बीच तनाव को कम करने की कोशिश की जाएगी।
बीजिंग । शी जिनपिंगपहले से ज्यादा ताकतवर बनकर उभरे हैं। शी जिनपिंग को तीसरी बार चीन का राष्ट्रपति चुना गया है। शी जिनपिंग ने शुक्रवार को आधिकारिक रूप से तीसरी बार चीन का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद औपचारिक रूप से अपना पद संभाल लिया। इसके साथ ही जिनपिंग को चीन के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का अध्यक्ष भी चुन लिया गया है।चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग लगातार तीसरी बार वहां राष्ट्रपति बनने वाले पहले नेता हैं। पिछले साल अक्टूबर में चीन की पीपल्स पार्टी के वार्षिक अधिवेशन में शी जिनपिंग को एक बार फिर चीन का सर्वोच्च नेता चुना गया था। इसके बाद शुक्रवार को उन्हें तीसरी बार राष्ट्रपति चुने जाने की औपचारिकता पूरी गयी। अब सोमवार को शी जिनपिंग अपनी पार्टी की संसदीय बैठक को संबोधित करेंगे। सोमवार को ही चीनी राष्ट्रपति पत्रकारों से बातचीत भी करेंगे।
इस सप्ताह की शुरुआत में ही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने एक योजना की जानकारी दी थी, जिसमें दावा किया गया था कि कम्युनिस्ट पार्टी सरकार पर अपना सीधा नियंत्रण बढ़ाने वाली है। अक्टूबर में हुई कम्युनिस्ट पार्टी की सालाना कांग्रेस में ही शी जिनपिंग ने अपनी नई टीम का चुनाव भी किया था। जिसके तहत ली कियांग को चीन का नया प्रधानमंत्री चुना गया था। साथ ही ली शी, डिंग जुएक्सियांग और काई क्यूई को भी जगह दी गई है।
शी जिनपिंग के सत्ता में आने से पहले चीन के राष्ट्रपति पांच साल के दो कार्यकाल या अधिकतम 68 साल की उम्र तक ही राष्ट्रपति रह सकते थे लेकिन साल 2013 में सत्ता में आए शी जिनपिंग ने इस नियम को खत्म कर दिया। यही वजह है कि शी जिनपिंग 69 साल के होने और दो कार्यकाल सफलतापूर्वक कर लेने के बाद भी तीसरी बार देश के राष्ट्रपति चुने गए।
वाशिंगटन। यूक्रेन पर रूसी हमले के एक साल पूरे होने पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन पर काफी पहले ही परमाणु हमला कर चुके होते, किन्तु उन्हें ऐसा करने से भारत और चीन ने रोका है।
एक साक्षात्कार में ब्लिंकन ने यूक्रेन पर रूसी हमले के एक साल पूरे होने पर तमाम सवालों के बेबाकी से जवाब दिये। उन्होंने कहा कि पुतिन इस युद्ध में ज्यादा तर्कहीन रूप से प्रतिक्रिया कर सकते हैं। युद्ध के दौरान मास्को की तरफ से बार-बार परमाणु हमले की धमकी दी गई। यह निश्चित रूप से चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने चीन और भारत सहित उन देशों से युद्ध को खत्म करवाने का आग्रह किया, जिनके संबंध रूस से अच्छे हैं। इसका असर भी हुआ। भारत और चीन ने रूस को यूक्रेन पर परमाणु हमला करने से रोकने की पहल की और यह प्रयास सफल भी हुआ।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले कई दशकों से भारत को रूस से सैन्य उपकरण मिलते थे। पिछले कुछ वर्षों में देखा गया कि भारत ने रूस पर भरोसा करने के साथ अमेरिका और फ्रांस जैसे अन्य देशों के साथ भी साझेदारी बढ़ाई है। इस तरह भारत ने पश्चिमी देशों पर भरोसा बढ़ाया है।
बीजिंग (चीन) । चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय कांग्रेस में तीसरे कार्यकाल की कमान हासिल करने के बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सेना पर पूर्ण नियंत्रण और वफादारी पक्की कर ली है। अपनी विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में द हॉन्गकॉन्ग पोस्ट ने भरोसे के साथ यह दावा किया है ।
इस रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने यह सुनिश्चित किया है कि सशस्त्र बल युद्ध शुरू करने की दक्षता पर अपनी ऊर्जा केंद्रित करने की तैयारी करें। जीतने की अपनी क्षमता को मजबूत करें और नए युग में सेना के मिशन और कार्यों को प्रभावी ढंग से पूरा करें। द हॉन्गकॉन्ग पोस्ट के अनुसार राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सेना का राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा करने का आह्वान किया है।
हाल में, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने केंद्रीय सैन्य आयोग के संयुक्त ऑपरेशन कमांड सेंटर का निरीक्षण किया था। यहां यह संकेत मिला कि नया केंद्रीय सैन्य मिशन चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस की भावना के अनुसार काम करेगा। नया केंद्रीय सैन्य मिशन प्रशिक्षण और तैयारी को बढ़ावा देगा।
बीजिंग । चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आखिरकार को जनता के आक्रोश के आगे नतमस्तक होना पड़ा। चीन के कई शहरों में बढ़ते प्रदर्शनों और उसमे उमड़ती भीड़ ने जिंगपिंग को झुकने पर मजबूर कर दिया है। कोरोना नियंत्रण नीति में बदलाव करने के लिए चीन की सरकार तैयार ही गयी है । नई नीति में ज्यादा जोर संक्रमित मरीजों के इलाज पर दिया जाएगा।
चीन सरकार की सख्त कोरोना नियंत्रण नीति के विरोध में पिछले कुछ दिनों से जोरदार आंदोलन चल रहा है। लोग सड़कों पर उतर कर चीन सरकार को चुनौती दे रहे हैं। बवाल बढ़ने के बाद चीन सरकार ने कोरोना को लेकर नीति में बदलाव की तैयारी की है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सख्ती में कमी के संकेत दिए जाने के बाद कोरोना नियंत्रण के नए बीस सूत्रीय उपाय घोषित किये हैं। अब जनवरी की शुरुआत से कोरोना नियंत्रण की नीति में और ढील दी जाएगी। तब घोषित बीस सूत्रीय उपायों को लागू करने में लापरवाही करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही सरकार कोरोना को आम संक्रामक बीमारी के रूप में मान्यता देकर महामारी खत्म होने का ऐलान भी कर देगी।
चीन सरकार की प्रस्तावित नई नीति में कोरोना संक्रमण की रोकथाम से ज्यादा जोर उपचार पर दिया जाएगा। हर संक्रमित व्यक्ति को पूरा इलाज सुनिश्चित करने की बात नई नीति में शामिल की जाएगी। विश्लेषक भी मानते हैं कि चीन की मौजूदा समस्या का मूल कारण बीते दो वर्षों में कोरोना पर काबू पाने में चीन का नाकाम रहना है। इसके लिए चीन में बनी कोरोना वैक्सीन के कम प्रभावी होने को असली कारण बताया जा रहा है। यह वैक्सीन शुरुआती कोरोना-19 वायरस से बचाव में सक्षम साबित हुई, लेकिन बाद में आये इसके स्ट्रेन और वैरिएंट से बचाव में यह वैक्सीन सफल साबित नहीं हुई। अब माना जा रहा है कि चीन सरकार विदेश में बनी वैक्सीन के प्रयोग की अनुमति भी दे सकती है।
बीजिंग। तीसरी बार सत्ता संभालने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के तेवर सख्त हो गए हैं। चीनी राष्ट्रपति ने सेना की वर्दी पहनकर सैनिकों से मुलाकात की और जंग के लिए तैयार रहने का आदेश दिया। ताइवान के साथ लगातार बढ़ते तनाव के बीच जिनपिंग ने अधिक सख्ती का संदेश दिया है।
बीजिंग स्थित केंद्रीय सैन्य आयोग के संयुक्त अभियान कमान सेंटर का दौरा कर शी जिनपिंग ने कहा कि चीन अब अपने सैन्य प्रशिक्षण और किसी भी युद्ध की तैयारी को व्यापक रूप से मजबूत करेगा क्योंकि सुरक्षा की स्थित लगातार अस्थिर और अनिश्चित बनती जा रही है। उन्होंने कहा कि पूरी सेना को अपनी सारी ऊर्जा युद्ध की तैयारी में लगा देनी चाहिए और युद्ध की तैयारी के लिए अपनी क्षमता को बढ़ाना चाहिए। उन्होंने चीनी सशस्त्र बलों को राष्ट्रीय रक्षा प्रणाली व सेना को और आधुनिक बनाने के लिए ठोस कार्रवाई करने का निर्देश दिया। साथ ही सशस्त्र बलों को राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा करने तथा पार्टी व जनता द्वारा सौंपे गए विभिन्न कार्यों को पूरा करने का भी निर्देश दिया।
चीनी राष्ट्रपति की यह टिप्पणी इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इस समय ताइवान को लेकर अमेरिका के साथ चीन का तनाव लगातार बढ़ रहा है। अगस्त माह में अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद यह तनाव बढ़ा है। चीन ने पेलोसी की यात्रा को अपनी संप्रभुता के लिए एक चुनौती माना था। इसके बाद ताइवान के ऊपर बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया था, साथ ही बैलिस्टिक मिसाइल दागकर ताकत का प्रदर्शन भी किया था।
शी जिनपिंग के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान ताइवान को लेकर चीनी नीति और सख्त हुई है। चीन सरकार का कहना है कि ताइवान उसका अलग द्वीप प्रांत है, उसका जल्द ही चीन में पुनर्मिलन हो जाएगा। जबकि अमेरिका व उसके अन्य पश्चिमी सहयोगी देश चीन के इस रवैये का विरोध करते हुए ताइवान को स्वतंत्र देश मानते हैं।
बीजिंग । चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पुन: ताजपोशी के लिए आयोजित 20वीं कांग्रेस में लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ चीनी सैनिकों की झड़प का वीडियो दिखाया गया। इस दौरान चीनी सेना का वह कमांडर भी मौजूद था, जो गलवान में हुई झड़प के दौरान भारतीय सैनिकों के जवाबी हमले में गंभीर रूप से जख्मी हो गया था।
चीन में इस समय सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी का सम्मेलन चल रहा है। माना जा रहा है कि इस सम्मेलन में चीन के मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग को एक और कार्यकाल दिये जाने पर फैसला होगा। इस सम्मेलन में चीन की राजनीति, अर्थनीति व सैन्य क्षमताओं से इतर भारत को लेकर चर्चा होना लोगों को चौंका गया है। बीजिंग स्थित द ग्रेट पीपुल्स हॉल में चल रहे इस सम्मेलन के दौरान बड़ी स्क्रीन पर भारतीय सैनिकों के साथ चीनी सैनिकों की झड़प का वीडियो दिखाया गया।
जिस समय यह वीडियो दिखाया गया, उस समय हॉल में चीनी सेना के कई कमांडरों सहित कमांडर की फाबाओ भी मौजूद था। कमांडर फाबाओ 15 जून, 2020 को लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सेना के साथ हुई झड़प के दौरान चीन की ओर से मौजूद था। इस झड़प में कमांडर फाबाओ को भारतीय सैनिकों ने पकड़ लिया था। भारतीय सैनिकों की जवाबी कार्रवाई में फाबाओ गंभीर रूप से जख्मी भी हो गया था। माना जा रहा है कि चीनी सेना अब तक उस मनोवैज्ञानिक दबाव से निकल नहीं पाई है, इसीलिए फाबाओ समेत अन्य 304 कमांडरों के सामने भारत की जवाबी कार्रवाई का वीडियो दिखाया गया। कम्युनिस्ट पार्टी के इस सम्मेलन में देश भर से कुल 2296 प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं, जिनमें से 304 प्रतिनिधि सेना के हैं। कमांडर फाबाओ भी उनमें से एक है। सम्मेलन में चलाए गए वीडियो में भी फाबाओ दिखाई दे रहा था।