वाशिंगटन। अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय दूतावास पर एक बार फिर खालिस्तान समर्थक पहुंचे। उन्हें पुलिस ने दूतावास की ओर बढ़ने नहीं दिया। पुलिस ने दूतावास की सुरक्षा बढ़ाते हुए यहां बैरिकेडिंग कर दी है।
भारत में वारिस पंजाब दे संगठन के जत्थेदार अमृतपाल सिंह के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। इससे परेशान खालिस्तान समर्थकों ने ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के भारतीय दूतावासों पर हमला किया था। अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास पर रविवार को कुछ खालिस्तान समर्थकों ने हमला कर दिया था। प्रदर्शनकारियों ने इमारत के बाहर खालिस्तानी झंडे लहराए थे। तब दूतावास के बाहर कोई सुरक्षा नहीं थी।
जिसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी सरकार के सामने नाराजगी जताई थी। अमेरिकी सरकार अब हरकत में आ गई है। सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास के बाहर सरकार ने भारी सुरक्षा बल तैनात कर वहां सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। पुलिस ने दूतावास के चारों तरफ बैरिकेडिंग कर दी है। बुधवार को एक बार फिर कुछ खालिस्तान समर्थक दूतावास पर पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें बैरिकेडिंग के आगे बढ़ने नहीं दिया।
सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास पर खालिस्तानी समर्थकों के हमले के बाद व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी का बयान आया था। उन्होंने कहा था कि सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास में तोड़फोड़ ‘बिल्कुल अस्वीकार्य’ है और अमेरिका द्वारा इसकी निंदा की जाती है। अमेरिका में रहने वाले सिख समुदाय के नेताओं ने भी इसे लेकर विरोध जताया है। सिख नेताओं ने इन घटनाओं की निंदा की और कहा कि खालिस्तानी आंदोलन को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।
वाशिंगटन में रहने वाले सिख नेता जसदीप सिंह ने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय दूतावास के बाहर हुई किसी भी हिंसा या लंदन में भारतीय ध्वज के अपमान की निंदा करते हुए कहा कि हर किसी को विरोध करने का अधिकार है लेकिन यह शांतिपूर्ण होना चाहिए और कोई हिंसा या तोड़फोड़ नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आप मीडिया में जो कुछ भी देख रहे हैं कि अमेरिका और कनाडा में खालिस्तान आंदोलन चल रहा है, वह सब बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। उत्तरी अमेरिका में दस लाख से अधिक सिख रहते हैं और उनमें से केवल 50 भारतीय दूतावास के बाहर विरोध करने के लिए दिखाई देते हैं।
Waris Punjab De
डिब्रूगढ़ (असम)। संगठन वारिस पंजाब दे के मुखिया अमृतपाल सिंह के बेहद करीबी माने जाने वाले चार खालिस्तानी समर्थक अलगाववादियों को गिरफ्तारी के बाद सुरक्षा कारणों के चलते पंजाब से डिब्रूगढ़ स्थानांतरित कर दिया गया है। यह चारो कड़ी सुरक्षा में रविवार को डिब्रूगढ़ की सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया गया।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की योजना के अनुसार पंजाब से गिरफ्तारी खालिस्तानी समर्थक चारो अलगाववादियों को कड़ी सुरक्षा के बीच रविवार को डिब्रूगढ़ लाया गया है। सुबह करीब 11 बजे पंजाब पुलिस की टीम चारो खालिस्तानी समर्थक अलगाववादियों के साथ एक विशेष विमान से डिब्रूगढ़ के मोहनबाड़ी हवाई अड्डे पर पहुंची। वहां से कड़ी सुरक्षा के बीच चारो खालिस्तानी समर्थक अलगाववादियों को लंबे काफिले के साथ डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल लाया गया। इस दौरान यहां जेल महानिरीक्षक जीपी सिंह की देखरेख में 27 पुलिसकर्मी कड़ी सुरक्षा में तैनात रहे। पुलिस और खुफिया बल खालिस्तानी कट्टरपंथियों को इस जेल में रखकर उनसे खुफिया इनपुट हासिल करने की कोशिश करेंगे।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गिरफ्तार खालिस्तानी कट्टरपंथियों को डिब्रूगढ़ केंद्रीय जेल में स्थानांतरित करने की योजना की रूपरेखा पहले ही तैयार कर ली थी। राज्य के पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह हाईस्कूल परीक्षा के प्रश्नपत्रों के दौरान 14 मार्च को डिब्रूगढ़ गए थे। उस दिन डीजीपी सिंह ने डिब्रूगढ़ सहित छह पुलिस जिलों के पुलिस अधीक्षकों के साथ छह घंटे तक मैराथन बैठक की थी। डीजीपी सिंह ने डिब्रूगढ़ के अपने दौरे के दौरान डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल का भी दौरा किया था।
इस मामले में असम के मुख्यमंत्री डॉ. हेमंत बिस्व सरमा ने कहा कि असम में भी एक समय गिरफ़्तारी हुई थी, सुरक्षा के मद्देनज़र बिहार के भागलपुर जेल तक लोगों को भेजा था। शायद पंजाब पुलिस के मन में है कि थोड़े दिन असम में रहे, यह तो पुलिस से पुलिस के सहयोग की बात है।