वाशिंगटन। भारत का मिशन चंद्रयान-3 लगातार दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने एक विशेष फोटो जारी कर चांद की मिट्टी के संपर्क में आए लैंडर विक्रम के धुएं से निकली रोशनी दिखाई है। नासा ने चंद्रयान-3 के लैंडिंग साइट की फोटो लेकर यहां से साउथ पोल की दूरी भी बताई है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन लगातार चंद्रमा पर चंद्रयान-3 के पहुंचने के बाद से फोटो जारी कर रहा है। अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी एक विशेष फोटो जारी की है। नासा ने उस स्थान की फोटो अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया पर साझा की है, जहां चंद्रयान-3 उतरा था। चंद्रमा पर लैंडिंग के ठीक चार दिन बाद यानी 27 अगस्त को चांद की कक्षा में घूम रहे नासा के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) ने यह तस्वीर खींची थी।
तस्वीर जारी करने के साथ ही नासा ने चंद्रयान मिशन की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा गया है कि चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से लगभग 600 किलोमीटर दूर है। लैंडिंग के चार दिन बाद एलआरओ ने लैंडर का एक तिरछा दृश्य यानी 42 डिग्री स्लीव कोण हासिल किया। साथ ही कहा कि लैंडर के आसपास दिख रही रोशनी लैंडर के धुएं के चांद की मिट्टी के संपर्क में आने से बनी है।
VIKRAM LANDER
नई दिल्ली । चंद्रयान -3 मिशन के तहत इसरो ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की एक बार फिर सॉफ्ट लैंडिंग कराई है।
सोमवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक्स पर वीडियो जारी करके जानकारी दी कि विक्रम लैंडर अपने मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में और आगे बढ़ गया है। इसरो ने बताया कि कमांड मिलने पर विक्रम लैंडर ने इंजनों को ‘फायर’ किया। अनुमान के मुताबिक करीब 40 सेंटीमीटर तक खुद को ऊपर उठाया और आगे 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर सुरक्षित लैंड किया।
इसरो ने बताया कि विक्रम लैंडर के दोबारा सॉफ्ट लैंडिंग कि इस प्रक्रिया से भविष्य में ‘सैंपल’ वापसी और चंद्रमा पर मानव अभियान को लेकर आशाएं बढ़ी हैं। विक्रम की प्रणालियां ठीक तरह से काम कर रही हैं और वे ठीक हालत में हैं। रैम्प और चैस्ते और इल्सा पे लोड (उपकरणों) को वापस लैंडर में बंद किया गया और प्रयोग के बाद पुन: सफलतापूर्वक तैनात किया गया है।
इससे पहले प्रज्ञान रोवर ने अपना काम पूरा कर लिया है।
नयी दिल्ली। चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के साउथ पोल कर लैंड करेगा। जैसे जैसे लैंडिंग का समय करीब आ रहा है इस मिशन से जुड़ी टीम की धड़कने भी बढ़ती जा रही हैं। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को 3 बजकर 35 मिनट पर आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। लैंडिंग होते ही यह 41 दिन में 3.84 लाख किमी का सफर तय कर नया इतिहास लिखेगा। अभियान की कामयाबी के लिए देशभर में पूजा पाठ, हवन और अनुष्ठान किये जा रहे हैं।
अब तक तय कार्य्रक्रम के अनुसार लैंडर के चांद पर उतरते ही रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर इससे चांद की सतह पर आएगा। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान एक-दूसरे की फोटो खीचेंगे और पृथ्वी पर सेंड करेंगे। अगर भारत इस मिशन में सफल रहा तो चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश होगा।
इसरो के बेंगलुरु स्थित टेलीमेट्री एंड कमांड सेंटर (इस्ट्रैक) के मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लैक्स (मॉक्स) में 50 से ज्यादा विज्ञानी कंप्यूटर पर चंद्रयान-3 से मिल रहे आंकड़ों की रात भर पड़ताल में जुटे रहे। वे लैंडर को इनपुट भेज रहे हैं, ताकि लैंडिंग के समय गलत फैसला लेने की हर गुंजाइश खत्म हो जाए।
कमांड सेंटर में उत्साह-बैचेनी का मिला-जुला माहौल है। इसरो वैज्ञानिक बेंगलुरु स्थित इसरो टेलिमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (इस्ट्रैक) और ब्यालालू गांव स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क पर मिल रहे डेटा के अलावा यूरोपियन स्पेस एजेंसी के जर्मनी स्थित स्टेशन, ऑस्ट्रेलिया और नासा के डीप स्पेस नेटवर्क से रियल टाइम डाटा लेकर वेरिफिकेशन कर रहे हैं।
इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ ने 9 अगस्त को विक्रम की लैंडिंग को लेकर कहा था- ‘अगर सब कुछ फेल हो जाता है, अगर सभी सेंसर फेल हो जाते हैं, कुछ भी काम नहीं करता है, फिर भी यह (विक्रम) लैंडिंग करेगा, बशर्ते एल्गोरिदम ठीक से काम करें। हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि अगर इस बार विक्रम के दो इंजन काम नहीं करेंगे, तब भी यह लैंडिंग में सक्षम होगा।’
उन्होंने बताया कि चंद्रयान-3 के आखिरी 19 मिनट सांसें रोक देने वाले होंगे। लैंडिंग शुरू होते समय गति 6,048 किमी/घंटा होगी। चांद को छूते समय यह 10 किमी/घंटे से भी कम होगी। उतरने के लिए स्थान का चुनाव इसरो कमांड सेंटर से नहीं होगा। लैंडर अपने कंप्यूटर से जगह का चुनाव करेगा।
पीएम मोदी लाइव इवेंट में वर्चुअली जुड़ेंगे
लैंडिंग का लाइव इवेंट शाम 5:20 बजे से शुरू होगा। इस इवेंट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वर्चुअली जुड़ेंगे। अभी वो साउथ अफ्रीका में हैं इसलिए वर्चुअली शामिल हो रहे हैं। वहीं मिशन की सफलता के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी में जगह-जगह पर हवन कराए जा रहे हैं।
आज लैंडिंग नहीं हुई, तो 27 अगस्त को होगी
चंद्रमा पर उतरने से दो घंटे पहले, लैंडर मॉड्यूल की स्थिति और चंद्रमा पर स्थितियों के आधार पर यह तय करेंगे कि उस समय इसे उतारना उचित होगा या नहीं। अगर कोई भी फैक्टर तय पैमाने पर नहीं रहा तो लैंडिंग 27 अगस्त को कराई जाएगी।
चंद्रयान का दूसरा और फाइनल डीबूस्टिंग ऑपरेशन रविवार रात 1 बजकर 50 मिनट पर पूरा हुआ था। इसके बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 25 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर रह गई है। डीबूस्टिंग में स्पेसक्राफ्ट की स्पीड को धीमा किया जाता है।
चंद्रयान-3 के लैंडिंग के चार फेज होंगे
1. रफ ब्रेकिंग फेज में लैंडर लैंडिंग साइट से 750 किलोमीटर दूर होगा और स्पीड 1.6 किलोमीटर प्रति सेकंड होगी। ये फेज 690 सेकेंड तक चलेगा। इस दौरान विक्रम के सभी सेंसर्स कैलिब्रेट होंगे। 690 सेकेंड में हॉरिजॉन्टल स्पीड 358 मीटर प्रति सेकंड होगीऔर नीचे की तरफ 61 मीटर प्रति सेकंड हो जाएगी।
2. एल्टिट्यूड होल्ड फेज में विक्रम चांद की सतह की फोटो खींचेगा और पहले से मौजूद फोटोज के साथ कंपेयर करेगा। चंद्रयान-2 के टाइम में ये फेज 38 सेकेंड का था अब इसे 10 सेकेंड का कर दिया गया है। इस दौरान हॉरिजॉन्टल वेलॉसिटी 336 m/s और वर्टिकल वेलॉसिटी 59 मीटर प्रति सेकंड हो जाएगी।
3. फाइन ब्रेकिंग फेज 175 सेकेंड तक चलेगा इसमें स्पीड 0 पर आ जाएगी। लैंडर की पोजिशन पूरी तरह से वर्टिकल हो जाएगी। सतह से ऊंचाई 800 मीटर से 1300 मीटर के बीच होगी। विक्रम के सेंसर चालू किए जाएंगे और हाइट नापी जाएगी।
फिर से फोटो लिए जाएंगे और कंपेयर किया जाएगा।
चौथा टर्मिनल डिसेंट फेज में अगले 131 सेकेंड में लैंडर सतह से 150 मीटर ऊपर आ जाएगा। लैंडर पर लगा हैजर्ड डिटेक्शन कैमरा सतह की तस्वीरें खींचेगा। विक्रम पर लगा हैजर्ड डिटेक्शन कैमरा गो-नो-गो टेस्ट रन करेगा। अगर सब सही है तो विक्रम 73 सेकेंड में चांद पर उतर जाएगा। अगर नो-गो की कंडीशन होगी तो 150 मीटर आगे जाकर रुकेगा। फिर से सतह चेक करेगा और सब कुछ सही रहा तो लैंड कर जाएगा।
डस्ट सेटल होने के बाद विक्रम चालू होगा और कम्युनिकेट करेगा।फिर रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर रैंप से चांद की सतह पर आएगा। पहिए चांद की मिट्टी पर अशोक स्तंभ और इसरो लोगो की छाप छोड़ेंगे। विक्रम लैंडर प्रज्ञान की फोटो खींचेगा और प्रज्ञान विक्रम की। इन फोटोज को पृथ्वी पर सेंड किया जाएगा।
नई दिल्ली। चंद्रयान 3 मिशन ने आज अहम् पड़ाव पर कर लिया। विक्रम लैंडर की डीबूस्टिंग का पहला चरण पूरा हो गया है। डीबूस्टिंग का अगला चरण 20 अगस्त को होगा। इस मौके पर इसरो ने कहा है कि डर की डीबूस्टिंग का पहला चरण सफल हो गया है। मिली जानकारी के मुताबिक, लैंडर मॉड्यूल (एलएम) का स्वास्थ्य सामान्य है। लैंडर मॉड्यूल ने सफलतापूर्वक डीबूस्टिंग ऑपरेशन किया जिससे इसकी कक्षा 113 किमी x 157 किमी तक कम हो गई। दूसरा डीबूस्टिंग ऑपरेशन 20 अगस्त 2023 को लगभग 2 बजे के लिए निर्धारित है।
बता दें कि आज सुबह ही ये खबर सामने आ गई थी कि इसरो के मिशन चंद्रयान-3 में अब तक सब कुछ ठीक चल रहा है। प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद विक्रम लैंडर चांद की कक्षा में अकेला चक्कर लगा रहा है। आज विक्रम लैंडर की डीबूस्टिंग होगी।
20 अगस्त को भी डीबूस्टिंग होगी
इसके बाद 20 अगस्त को भी डीबूस्टिंग की जाएगी, इसका मतलब है कि लैंडर को चंद्रमा की निचली कक्षा में लाकर उसके और करीब लाया जाएगा, जहां से 23 अगस्त को चांद पर लैंडिग की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर चंद्रमा पर लैंडिग के साथ ही इतिहास बना देगा।
बता दें कि गुरुवार 17 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर विक्रम लैंडर अपने प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया था। अब लैंडर जहां चांद का रुख करेगा। वहीं प्रोपल्शन मॉड्यूल अगले एक साल तक चांद के चक्कर लगाकर धरती पर इसकी जानकारी भेजता रहेगा। अब लैंडर अकेला चांद की 100 किलोमीटर की कक्षा में चक्कर लगाएगा। आज और फिर 20 अगस्त को इसे चांद की सतह के और करीब लाया जाएगा। इसके बाद आएगा 23 अगस्त का वो ऐतिहासिक दिन जब चंद्रयान-3 चांद की सतह को चूम लेगा।