वाशिंगटन । भारत-चीन सीमा विवाद में अमेरिका खुलकर भारत के साथ आ गया है । अमेरिकी सीनेट ने वर्ष 2023 के लिए 850 अरब डॉलर खर्च वाले रक्षा विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक में चीन से निपटने में भारत की मदद करने की बात भी कही गयी है।
अमेरिकी सीनेट ने राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम भारी बहुमत से पारित किया। विधेयक के पक्ष में 84 वोट पड़े और विरोध में सिर्फ दस सीनेटर रहे। इस विधेयक के साथ ताइवान एन्हांस्ड रेजिलिएंस एक्ट को भी पारित किया गया है। इसमें ताइवान की सुरक्षा क्षमताओं को आधुनिक बनाने के लिए 10 अरब डॉलर की सुरक्षा सहायता की व्यवस्था की गई है। ताइवान की तरह यूक्रेन की सुरक्षा के लिए भी 80 करोड़ डॉलर का प्रावधान किया गया है। बाइडन ने यूक्रेन के लिए 50 करोड़ डॉलर का प्रावधान किया था, जबकि स्वीकृत राशि उससे ज्यादा है।
अमेरिकी सीनेट की सशस्त्र सेना सेवा समिति के अध्यक्ष जैक रीड ने कहा कि दुनिया जितनी खतरनाक आज है, उतनी खतरनाक कभी नहीं दिखी। अमेरिकी रक्षा विधेयक में भारत के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया गया है, ताकि रूस निर्मित सैन्य उपकरणों पर भारत की निर्भरता को कम किया जा सके। इस विधेयक को आठ दिसंबर को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने 350-80 मतों से पारित किया था। सीनेट से मंजूरी के साथ ही अब इसके कानूनी रूप लेने का रास्ता साफ हो गया है। सीनेट से पारित अधिनियम के अनुसार भारत के साथ विस्तारित रक्षा सहयोग के तहत खुफिया सूचनाओं के संग्रहण, ड्रोन आपूर्ति, चौथी और पांचवीं पीढ़ी के विमान, पांचवीं पीढ़ी के वायरलेस संचार सुविधाएं, ठंड के दिनों में कारगर रक्षा उपकरणों की आपूर्ति शामिल हैं। विधेयक में चीन से मिल रही चुनौतियों से निपटने के लिए अरबों डॉलर का प्रावधान किया गया है।
USA WITH INDIA
अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र ने तवांग में चीन के घुसपैठ के प्रयास पर चिंता जताई , भारत का साथ देंगे
वाशिंगटन/ न्यूयार्क । बीते नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों के घुसपैठ के प्रयास पर अमेरिका ने भारत का साथ देने की बात कही है। भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी चिंता जताई है।
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में बीते नौ दिसंबर को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प हो गई थी। भारत की ओर से बताया गया कि नुकीले डंडों और लाठियों से लैस 300 से अधिक चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा पर अतिक्रमण का प्रयास किया, जिसे भारतीय सैनिकों ने असफल कर दिया। आमने-सामने होने के कारण भारतीय और चीनी सैनिकों को मामूली चोटें भी आई थीं। भारतीय सैनिकों के डटकर मुकाबला किये जाने के बाद दोनों पक्षों के तुरंत क्षेत्र से हटने की जानकारी सामने आई है। घटना के बाद वहां तैनात सैन्य अधिकारियों ने शांति बहाल करने के लिए इस मुद्दे पर चर्चा के साथ फ्लैग मीटिंग भी की थी।
तवांग के इस घटनाक्रम में अब भारत को अमेरिका का साथ मिला है। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के प्रेस सचिव पैट राइडर ने कहा कि अमेरिका अपने साझेदार (भारत) की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है। उन्होंने स्थिति को नियंत्रित करने के भारत के प्रयासों का पूरा समर्थन करने की बात भी कही।
इससे पहले अमेरिका ने बयान जारी कर स्थिति को नियंत्रण में रखने पर खुशी जाहिर की थी। साथ ही कहा था कि अमेरिका स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए है।
संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से भी इस मसले पर चिंता जताई गयी है। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भारत-चीन सीमा पर तनाव कम करने की बात कही है। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजैरिक ने कहा कि क्षेत्र में तनाव न बढ़ना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से तनाव कम करने के लिए कहने की बात भी कही है।