संयुक्त राष्ट्र। भारत ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की प्रासंगिकता पर सवाल उठाए हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि प्रतीक माथुर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंग खासतौर पर सुरक्षा परिषद 21वीं सदी की भू-राजनीतिक वास्तविकताओं के बोझ तले दब गई है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को बहुपक्षवाद के जरिये अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझा कर अपनी प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही इसे नकारने वालों को सुधार में बाधा बनने से रोकना होगा। भारत संयुक्त राष्ट्र महासभा में लगातार इसकी प्रासंगिकता की वकालत करता रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी आयोग में काउंसलर प्रतीक माथुर ने मंगलवार को कहा कि महासभा अपनी प्रतिष्ठा तभी प्राप्त कर सकता है जब यह मुख्य विचारक, नीति निर्माता की अपनी भूमिका को पुनर्स्थापित करे।
संयुक्त राष्ट्र की बैठक में ‘महासभा के कार्य का पुररुद्धार’ विषय पर बोलते हुए माथुर ने कहा कि हमें कुछ देशों के झूठ का पर्दाफाश करते हुए सदस्य देशों को इनके खिलाफ सामूहिक आवाज उठानी चाहिए। किसी को भी इसकी प्रक्रिया को बाधित करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि महासभा के बारे में एक अवधारणा बनती जा रही है कि यह अपने मूल कर्तव्यों से भटक गई है, अब इसकी प्रक्रियाओं में व्यापक सुधार की जरूरत है। माथुर ने कहा कि भारत निष्पक्ष वैश्वीकरण, पुनर्संतुलन व बहुपक्षवाद में सुधार का हिमायती है। इसे लंबे समय तक टाला नहीं जा सकता। महासभा को बहुपक्षवाद पर ध्यान केंद्रित करते हुए वैश्विक एजेंडा तय करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने सभी देशों से बहुपक्षवाद में सुधार का समर्थन करने की अपील की।
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जेनेवा । संयुक्त राष्ट्र में हांगकांग में मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर होने वाले एक कार्यक्रम आयोजित किए जाने को लेकर चीन ने नाराजगी व्यक्त की है। इस पर चीन ने कई देशों पर कार्यक्रम को बायकॉट करने के लिए दबाव बना रहा है। मालूम हो कि ये कार्यक्रम ब्रिटिश आयोजित कर रहा है।
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की पांच सप्ताह की बैठक के दौरान बुधवार को ‘हांगकांग में मीडिया की स्वतंत्रता’ को लेकर कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में जिमी लाई के बेटे सेबेस्टियन लाई भी वक्ता के तौर पर शामिल हो रहे हैं। जिमी लाई राष्ट्रीय सुरक्षा कानून और राजद्रोह से संबंधित आरोपों में हांगकांग की जेल में बंद है।
चीन ने इसे लेकर अपने राजनयिकों को एडवाइजरी जारी किया है। चीन ने राजनयिकों से इस तरह के किसी भी कार्यक्रम में शामिल होने से मना किया है। चीन द्वारा जारी पत्र में कहा गया कि हांग कांग, चीन का आंतरिक मुद्दा है और इसमें बाहरी हस्तक्षेप नहीं चाहिए।
चीन के दबाव के बावजूद करीब 22 देशों ने इस कार्यक्रम में शामिल होने की पु्ष्टि की है। इन देशों में अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी इन देशों में शामिल हैं। इस संबंध में जिनेवा में चीनी मिशन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
वहीं, ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय ने कहा कि वह हांगकांग अधिकारों और स्वतंत्रता को लेकर आवाज उठाता रहेगा, क्योंकि हमारा उद्देश्य हांगकांग की स्वायत्तता की गारंटी देना है।
इस्लामाबाद । आगामी आम चुनाव के मद्देनजर कुछ दिन पहले पाकिस्तान की कमान संभालने वाले कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर-उल-हक काकर की जुबान भी कश्मीर पर कसैली हो गई है। काकर ने चेतावनी दी है कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुसार कश्मीर मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान न हुआ तो यह न केवल भारत और पाकिस्तान बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय होगा।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक काकर ने यह टिप्पणी मुल्क के एक न्यूज चैनल से साक्षात्कार के दौरान की। उन्होंने कहा कि वे (पाकिस्तान) भारत के साथ युद्ध की ओर नहीं जाना चाहते। कश्मीर को मुख्य मुद्दा बताने का मतलब यह नहीं है कि हम भारत के साथ हर समय युद्ध चाहते हैं। नई दिल्ली के साथ इस्लामाबाद के पारंपरिक और ऐतिहासिक संबंध दोस्ताना नहीं रहे हैं। इस साक्षात्कार में काकर ने मुल्क में 9 मई की हिंसा को तख्तापलट और गृह युद्ध का प्रयास बताया। साथ ही पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के अध्यक्ष इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद हुए दंगों की निंदा की।
संयुक्त राष्ट्र । यूनाइटेड नेशंस महासभा ने अपने 193 सदस्यों से भारत के प्रस्ताव पर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौते को अपनाने का आह्वान किया है। भारत का यह प्रस्ताव एक चौथाई सदी से भी अधिक समय से लटका हुआ है।
महासभा ने गुरुवार को अपने एक प्रस्ताव पर अपने सदस्यों से यह आह्वान किया। संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति की समीक्षा करने वाले इस प्रस्ताव में सभी देशों के आतंकवादी समूहों को सुरक्षित पनाहगाह, संचालन की स्वतंत्रता, आंदोलन और भर्ती और वित्तीय, सामग्री या राजनीतिक समर्थन से इनकार करने और आतंकवादियों और उनके प्रत्यर्पण को न्याय के दायरे में लाने या प्रत्यर्पित करने का दायित्व दोहराया गया। महासभा ने आतंकवाद-रोधी सप्ताह के दौरान इस प्रस्ताव पर उच्चस्तरीय बैठक में चर्चा की।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष साबा कोरोसी ने कहा, हमें खुद से पूछना चाहिए कि क्या हमें इस बात पर बहस जारी रखनी चाहिए कि आतंकवाद या हिंसक उग्रवाद क्या है? विवरणों में डूबे रहना और बड़ी तस्वीर से आंखें मूंदकर रहना चाहिए? उन्होंने पूछा, या हमें एक साथ आना चाहिए और अपने सभी संसाधनों को आतंकवाद के सभी रूपों से लड़ने के लिए लगाना चाहिए? उन्होंने राजनीतिक और नैतिक इच्छाशक्ति के साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की मंगलवार को उच्चस्तरीय बैठक में भारत के गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव प्रवीण वशिष्ठ ने कहा, दुर्भाग्य से कुछ देश ऐसे भी हैं जो आतंकवाद से लड़ने के हमारे सामूहिक संकल्प को कमजोर करना या नष्ट करना चाहते हैं। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।
संयुक्त राष्ट्र । यूक्रेन में शांति बहाली को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में लाए गए एक प्रस्ताव की मतदान प्रक्रिया में भारत शामिल नहीं हुआ। भारत ने सवाल किया कि क्या यूक्रेनी संघर्ष के एक साल बाद रूस और यूक्रेन दोनों के लिए दुनिया ‘संभावित समाधान के पास कहीं भी’ थी। उधर संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने रूस से युद्ध ख़त्म करने की अपील की है।
भारत के साथ 32 देश मतदान प्रक्रिया में अनुपस्थित रहे। इनमें चीन भी शामिल है। 193 सदस्यीय महासभा में प्रस्ताव के पक्ष में 141 और विरोध में सात मत पड़े। प्रस्ताव का शीर्षक ‘यूक्रेन में एक व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति’ है। यूक्रेन पर इस आपातकालीन विशेष सत्र में महासभा पिछले एक साल में छह बार मिल चुकी है।
उल्लेखनीय है कि रूस ने पिछले साल 24 फरवरी यूक्रेन पर आक्रमण किया था। आज इस युद्ध के एक साल पूरे हो गए। इस एक साल के दौरान संयुक्त राष्ट्र की महासभा, सुरक्षा परिषद और मानवाधिकार परिषद में यूक्रेन पर रूसी हमले की कई बार निंदा की गई और यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा है-‘जैसा कि महासभा यूक्रेनी संघर्ष के एक वर्ष को चिह्नित करती है, यह महत्वपूर्ण है कि हम खुद से कुछ प्रासंगिक प्रश्न पूछें। क्या हम दोनों पक्षों को स्वीकार्य संभावित समाधान देने के करीब हैं? क्या कोई भी प्रक्रिया, जिसमें दोनों पक्षों में से कोई भी शामिल नहीं है, कभी भी एक विश्वसनीय और सार्थक समाधान की ओर ले जा सकती है? क्या संयुक्त राष्ट्र प्रणाली, और विशेष रूप से इसका प्रमुख अंग, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, 1945 के विश्व निर्माण के आधार पर, वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए समकालीन चुनौतियों का समाधान करने के लिए अप्रभावी नहीं हो गया है?
कंबोज ने कहा कि भारत, यूक्रेन के हालात पर चिंतित है। नागरिकों और नागरिक बुनियादी ढांचे पर हमले की खबरें भी बहुत चिंताजनक हैं। उल्लेखनीय है कि भारत, यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों से दूर रहा है और लगातार संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता को रेखांकित करता रहा है। भारत ने यह भी आग्रह किया है कि शत्रुता को तत्काल समाप्त करने और बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर तत्काल वापसी के लिए सभी प्रयास किए जाएं।
कंबोज ने कहा कि भारत का मानना है कि मानव जीवन की कीमत पर कभी भी कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बयान ‘यह युद्ध का युग नहीं हो सकता है’ को रेखांकित करते हुए कहा कि शत्रुता और हिंसा का बढ़ना किसी के हित में नहीं है।
संरा महासचिव की रूस से यूक्रेन में युद्ध खत्म करने की अपील
उधर, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है। यह कई समस्याओं को पैदा करता है। उन्होंने रूस से यूक्रेन में युद्ध खत्म करने की अपील की है। यह अपील उन्होंने यूक्रेन पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा के आपात सत्र में की। उल्लेखनीय है कि 24 फरवरी को इस युद्ध का साल पूरा हो गया।
गुटेरेस ने कहा कि यूक्रेन के लोग पिछले एक साल से तमाम तरह की समस्याएं झेल रहे हैं। अब यूक्रेन, रूस और बाकी दुनिया के लोग शांति चाहते हैं। इस समय जबकि यूक्रेन में युद्ध चल रहा है तब दुनिया को संयुक्त राष्ट्र की मान्यताओं और अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रविधानों का पालन करते हुए शांति स्थापित करने के लिए प्रयास करने चाहिए। यूक्रेन में युद्धविराम इसलिए भी जरूरी है क्योंकि लंबे समय तक चलने वाले युद्ध से तमाम विकृतियां पैदा हो जाती हैं जिनका असर दशकों तक रहता है।
उधर, जी7 देशों के वित्त मंत्रियों ने गुरुवार को यूक्रेन के लिए इस समूह की ओर से आर्थिक सहायता बढ़ाकर 39 अरब डॉलर करने की घोषणा की और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से मार्च तक इस देश को नया वित्तीय पैकेज देने का आह्वान किया।
जी7 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के प्रमुखों ने रूसी हमले के एक साल पूरा होने की पूर्व संध्या पर यूक्रेन की आर्थिक स्थिति को लेकर चर्चा की। इस बैठक में यूक्रेन के वित्त मंत्री सर्गिई मार्चेंको ने डिजिटल माध्यम से हिस्सा लिया। जी 7 में फ्रांस, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, कनाडा, जापान और अमेरिका शामिल हैं।
एंटोनियो गुटेरेस का दावा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर विचार
न्यूयार्क । संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि अधिकांश देश सुरक्षा परिषद के विस्तार पर सहमत हैं, हालांकि वीटो के अधिकार का मुद्दा अभी उलझा हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अभी पांच देश चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका स्थायी सदस्य हैं। इन्हें वीटो का अधिकार भी मिला हुआ है। भारत सहित कई देश लंबे समय से दुनिया के बदलते स्वरूप के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार की मांग कर रहे हैं।
अब संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दावा किया है कि सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बड़ा सवाल सुरक्षा परिषद के विस्तार और परिषद के नए स्थायी सदस्यों को वीटो का अधिकार दिये जाने से संबंधित है। यह सदस्य देशों का अंदरूनी मामला है और इससे संबंधित वार्ताओं में संयुक्त राष्ट्र सचिवालय का हस्तक्षेप नहीं है।
गुटेरेस ने कहा कि अमेरिका और रूस स्पष्ट रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यों की संख्या में विस्तार के पक्ष में होने का संकेत दे चुके हैं। कुछ समय पहले ब्रिटेन और फ्रांस ने भी इस दिशा में सकारात्मक रुख दिखाया है। हालांकि, इन देशों ने वीटो के अधिकार पर कुछ प्रतिबंधों के साथ प्रस्ताव भेजा है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद की संरचना में बदलाव के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा के दो तिहाई मतों के अलावा सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका के सकारात्मक मतों की जरूरत है। मौजूदा स्थाई सदस्यों में चीन को छोड़ कर अन्य चारों देश सुधार के पक्ष में हैं।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में चीन और पाकिस्तान को घेरा, बहुपक्षीय मंचों का दुरुपयोग कर आतंकियों को बचा रहे हैं दोनों देश
न्यूयॉर्क । संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर से भारत ने बुधवार को चीन और पाकिस्तान निशाने पर लिया। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूएन में एक बहस के दौरान किसी का नाम लिए बगैर कहा कि आतंकियों को बचाने के लिए बहुपक्षीय मंचों का दुरुपयोग किया जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में एक खुली बहस के दौरान चीन और उसके करीबी सहयोगी पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद को उचित ठहराने और साजिशकर्ताओं को बचाने के लिए बहुपक्षीय मंचों का दुरुपयोग किया जा रहा है। यूएनएससी में ‘अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा तथा सुधारित बहुपक्षवाद के लिए नयी दिशा’ विषय पर खुली बहस की अध्यक्षता करते हुए जयशंकर ने कहा कि संघर्ष ने ऐसी स्थिति बना दी है कि बहुपक्षीय मंच पर चलताऊ रवैया नहीं रखा जा सकता।
उन्होंने कहा, आतंकवाद की चुनौती पर, दुनिया अधिक एकजुट प्रतिक्रिया के साथ एक साथ आ रही है लेकिन साजिशकर्ताओं को उचित ठहराने और बचाने के लिए बहुपक्षीय मंचों का दुरुपयोग किया जा रहा है।
जयशंकर परोक्ष रूप से चीन का जिक्र कर रहे थे, जिसने पाकिस्तान के जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों को सूचीबद्ध करने के लिए कई मौकों पर भारत और अमेरिका के प्रयासों को बाधित किया। मंत्री ने कहा कि जब जलवायु कार्रवाई और जलवायु न्याय की बात आती हैतो स्थिति बेहतर नहीं है।
महात्मा गांधी के विचारों को मार्गदर्शक बनाए रखना चाहिए
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि जब दुनिया हिंसा, सशस्त्र संघर्ष और मानवीय संकट से जूझ रही है, महात्मा गांधी के सिद्धांतों को विश्व में शांति व स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए मार्गदर्शक बनाए रखना चाहिए। जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के नॉर्थ लॉन में एक सादे समारोह में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के साथ संयुक्त रूप से महात्मा गांधी की आवक्ष प्रतिमा का अनावरण किया। भारत ने प्रतिष्ठित शिल्पकार पद्मश्री से सम्मानित रामसुतार द्वारा बनायी गयी यह आवक्ष प्रतिमा संयुक्त राष्ट्र को उपहार स्वरूप दी है। रामसुतार ने ही गुजरात में स्थापित सरकार वल्लभ भाई पटेल की ‘स्टैचू ऑफ यूनिटी’ डिजाइन की है। संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में महात्मा गांधी की यह पहली प्रतिमा है।
रामल्लाह (फिलिस्तीन)। फिलिस्तीन के प्रधानमंत्री मोहम्मद इश्तये ने संयुक्त राष्ट्र से इजराइल के साथ संघर्ष ख़त्म कराने के लिए मध्य पूर्व में शांति की पहल करने का आग्रह किया है। इश्तेय ने फिलिस्तीन के लोगों के साथ एकजुटता के अंतरराष्ट्रीय दिवस के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग पश्चिम एशिया द्वारा आयोजित वर्चुअल बैठक में यह अनुरोध किया।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों से संयुक्त राष्ट्र में पूर्ण सदस्यता हासिल करने के लिए फिलिस्तीन के आवेदन का समर्थन करने तथा फिलिस्तीन में आम चुनाव कराने की अनुमति देने के लिए इजरायल पर दबाव बनाने का आग्रह किया। फिलिस्तीन 1967 में इजरायल के कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर इजरायल के साथ एक स्वतंत्र राज्य स्थापित करना चाहता है। इसमें वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी शामिल हैं। इसकी राजधानी पूर्वी यरूशलम है।
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने मंगलवार को फिलिस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता के अंतरराष्ट्रीय दिवस को रेखांकित करते हुए दो-राज्य समाधान की पुष्टि की थी।उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1977 में 29 नवंबर को ‘फिलिस्तीनी लोगों के साथ अंतरराष्ट्रीय एकजुटता दिवस’ मनाने का निर्णय लिया था।
रूस को भारत का झटका: संयुक्त राष्ट्र महासभा में खारिज की पुतिन की मांग, विरोध में किया मतदान
न्यूयॉर्क । यूक्रेन पर रूसी हमले के मामले में भारत ने रूस को जोरदार झटका दिया है। संयुक्त राष्ट्र संघ में पुतिन की मांग खारिज करते हुए भारत ने रूस के खिलाफ मतदान किया है।
यूक्रेन के चार प्रांतों का रूस में विलय किये जाने के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में अल्बानिया की ओर से एक मसौदा प्रस्ताव लाया गया। इस प्रस्ताव में रूस की निंदा करते हुए खुले मतदान की मांग की गई । रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन इस मसौदे पर गुप्त मतदान चाहते थे और संयुक्त राष्ट्र के रूसी प्रतिनिधि इसी मांग पर अड़े थे। पुतिन की इस मांग को भारत ने खारिज कर दिया और रूस की मंशा के विरोध में मतदान भी कर दिया है। भारत सहित संयुक्त राष्ट्र संघ के 108 सदस्य देशों ने खुले मतदान के पक्ष में मतदान कर गुप्त मतदान की रूस की मांग को खारिज कर दिया। सिर्फ 13 देशों ने गुप्त मतदान के लिए रूस के पक्ष में मतदान किया। चीन सहित 39 देशों ने इस प्रक्रिया में भाग ही नहीं लिया।
संयुक्त राष्ट्र संघ में रूस के स्थायी प्रतिनिधि वसीली नेबेंजिया ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष क्साबा कोरोसी पर ही सवाल खड़े कर दिये। उन्होंने संयुक्त संघ की सदस्यता को एक अपमानजनक धोखाधड़ी करार देते हुए कहा कि दुर्भाग्य से संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष ने भी इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने आरोप लगाया कि रूस को अपना पक्ष रखने का मौका ही नहीं दिया गया। उल्लेखनीय है कि भारत पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अल्बानिया की ओर से पेश किये गए मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा था। इस प्रस्ताव में रूस के जनमत संग्रह और यूक्रेनी क्षेत्रों पर उसके कब्जे की निंदा की गई थी। इस प्रस्ताव में मांग की गई थी कि रूस, यूक्रेन से अपने सैन्य बलों को तत्काल वापस बुलाए।
न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने रविवार को लोगों से महात्मा गांधी की 153वीं जयंती के अवसर पर अहिंसा के सिद्धांतों का पालन करते हुए हिंसा से दूर रहने का आग्रह किया।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने ट्वीट किया कि अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर हम महात्मा गांधी के जन्मदिन और शांति, सम्मान और सभी द्वारा साझा की जाने वाली आवश्यक गरिमा के मूल्यों का जश्न मनाते हैं। बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए हम इन मूल्यों को अपनाकर और संस्कृतियों और सीमाओं के पार काम करके आज की चुनौतियों को हरा सकते हैं।