काहिरा । संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों के एक दर्जन राजनयिक गाजा की जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए सोमवार को सीमावर्ती कस्बे रफाह के करीब पहुंचे। इन सदस्यों ने गाजा में मानवीय संकट की स्थिति को मौके पर जाकर देखने के बाद हालात को बदतर बताया।
संयुक्त राष्ट्र का प्रतिनिधिमंडल गाजा के नजदीक मिस्र के आरिश कस्बे में विमान से उतरा, वहां से यह गाजा के रफाह कस्बे के लिए बढ़ा, जहां लाखों फलस्तीनियों ने शरण ले रखी है। रास्ते में मिले संयुक्त राष्ट्र फलस्तीनी शरणार्थी एजेंसी के अधिकारियों ने दल को गाजा के जमीनी हालात के बारे में जानकारी दी। दल के सदस्य और संयुक्त राष्ट्र में इक्वाडोर के प्रतिनिधि जो डिला गासा ने बताया कि गाजा के जमीनी हालात जितने खराब बताए जा रहे हैं, वास्तव में उससे ज्यादा खराब है।
उन्होंने कहा, लोगों को कई-कई दिनों तक खाना नहीं मिल रहा है। लोग हफ्तों से मामूली खाना-पानी में समय काट रहे हैं। इस दल के दौरे की व्यवस्था यूएई ने की थी। इसमें अमेरिका, फ्रांस और गेबोन के प्रतिनिधि शामिल नहीं थे।
उधर गाजा की स्थिति पर विचार के लिए मंगलवार को न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र आमसभा की बैठक होगी। यह बैठक मिस्र और मारितानिया के अनुरोध पर होगी। इस बीच सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य रूस ने हमास द्वारा बंधक बनाए गए नागरिकों के संबंध में फलस्तीनी संगठनों से बात की है।
रूस के उप विदेश मंत्री मिखाइल बोग्दानोव ने रूसी नागरिकों समेत सभी बंधकों की अविलंब रिहाई की मांग की है।
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सुरक्षा परिषद में गाजा में संक्षिप्त युद्धविराम का प्रस्ताव पारित, इजराइल मानने को तैयार नहीं
संयुक्त राष्ट्र । हमास-इजराइल युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहली बार मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए संक्षिप्त युद्धविराम का प्रस्ताव पारित किया। इजराइल ने इसे मानने से इनकार कर दिया है।
इजराइल ने कहा है कि बंधकों की रिहाई के बिना वह हमास को हमलों से बचने के लिए कोई राहत नहीं देगा। वैसे भी गाजा पट्टी में अब आवश्यक वस्तुओं की कोई कमी नहीं है। प्रस्ताव में कहा गया कि इजराइली सेना की घेराबंदी और हमलों के चलते गाजा पट्टी के 23 लाख लोगों को आवश्यक वस्तुओं की किल्लत झेलनी पड़ रही है। इसलिए सीमित समय का युद्धविराम लागू कर आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति और वितरण सुनिश्चित कराने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
इस प्रस्ताव के समर्थन में 15 सदस्य देशों में से 12 ने वोट दिया। विरोध में कोई वोट नहीं पड़ा। अमेरिका, रूस और ब्रिटेन ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। अमेरिका और ब्रिटेन ने मतदान का बहिष्कार किया। रूस ने मनवीय आधार पर स्थायी युद्धविराम की मांग का विरोध किए जाने के कारण मतदान में हिस्सा नहीं लिया। पारित प्रस्ताव में बंधकों की अविलंब और बिना शर्त रिहाई का जिक्र नहीं किया गया है।
न्यूयॉर्क/तेलअवीव/यरुशलम । इजरायल-हमास के बीच युद्धविराम की मांग वाला रूस का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सोमवार रात खारिज हो गया। इस प्रस्ताव में गाजा में आम नागरिकों के खिलाफ हो रही हिंसा की निंदा करते हुए युद्ध विराम की मांग की गई थी। लेकिन इसमें हमास के बर्बर हमले का जिक्र नहीं था। ऐसे में पश्चिमी देशों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। 15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पास होने के लिए नौ वोटों की जरूरत थी। प्रस्ताव के समर्थन में सिर्फ चार देशों ने मतदान किया। उधर, इजरायल के सुरक्षाबलों ने पूरी रात फिलिस्तीन के कुख्यात आतंकवादी संगठन हमास के अलावा आतंकी समूह हिजबुल्ला के सैकड़ों ठिकानों पर बमबारी की। यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स में दी गई है।
अब हिजबुल्ला से चुनौतीः मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पिछली सात तारीख को इजरायल पर किए गए हमास के आक्रमण के बाद छिड़ी जंग में आतंकवादी समूह हिजबुल्ला भी कूद गया है। इससे इजरायल को नई चुनौती से जूझना पड़ रहा है। हमास के इजरायल पर किए गए हवाई हमलों के बाद दोनों ओर से संघर्ष जारी है। गाजा पट्टी से हमास के आतंकी इजरायल पर रॉकेट दाग रहे हैं। इजरायल की वायुसेना ने समूचे गाजा पट्टी में रातभर बम बरसाए हैं। इस जंग में अब तक 4000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। साथ ही इजरायल ने अब लेबनान की ओर से रुक-रुक कर हमला कर रहे हिजबुल्ला पर हमले तेज कर दिए हैं। इजरायल की सेना ने कहा है कि वह हिजबुल्ला के आतंकी ठिकानों को तबाह कर देगी। उसने अब तक हिजबुल्ला के सैकड़ों ठिकानों को निशाना बनाया है।
बाइडन कर सकते हैं इजरायल का दौराः मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इजरायल के प्रति अमेरिकी एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन इजरायल की यात्रा पर विचार कर रहे हैं। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने उन्हें इजरायल आने का निमंत्रण भेजा है। इस बीच इजरायली सेना ने माना है कि हमास ने 199 लोगों को बंधक बनाया है। तेल अवीव में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात के बाद इजरायल के रक्षामंत्री योव गैलेंट ने कहा है कि यह युद्ध लंबा खिंचेगा।
यह युद्ध नाजी नरसंहार से भी बर्बरः मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इजरायल-हमास संघर्ष को द्वितीय विश्व युद्ध के नाजी नरसंहार के बाद बर्बर यहूदी नरसंहार माना जा रहा है। ब्रिटेन की संयुक्त राष्ट्र राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने कहा है कि इजरायल के इतिहास में सबसे बड़े आतंकी हमले को नजरअंदाज करना इस परिषद के लिए अनुचित होगा। रूसी प्रस्ताव खारिज होने के बाद उन्होंने कहा कि प्रतिद्वंद्वी ब्राजीलियाई प्रस्ताव पर बातचीत जारी रहेगी। प्रस्ताव पर मतदान से पहले रूसी राजदूत वासिली नेबेंजिया ने कहा कि यह बढ़ते मौजूदा संकट को लेकर एक जवाब है।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को जी-20 शिखर सम्मेलन के अंतिम और तीसरे सत्र में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित वैश्विक संस्थाओं में वर्तमान वास्तविकता के अनुरूप बदलाव का आह्वान किया। उन्होंने क्रिप्टो करेंसी और कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) से जुड़ी चुनौतियों के प्रति भी आगाह किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘एक भविष्य’ विषय पर कहा कि हर वैश्विक संस्था को अपनी प्रासंगिकता बढ़ाने के लिए रिफॉर्म करना जरूरी है। इसी सोच के साथ हमने कल ही अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का स्थायी सदस्य बनाने की ऐतिहासिक पहल की है। इसी तरह हमें बहुपक्षीय विकास बैंकों के मैंडेट का विस्तार भी करना होगा। इस दिशा में हमारे फैसले त्वरित और प्रभावी होने चाहिए।
प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया हर लिहाज से बदल चुकी है। ऐसे में वास्तविकता नई वैश्विक व्यवस्था में झलकनी चाहिए। प्रकृति का नियम है कि बदलाव न करने पर व्यक्ति और संस्था अपनी प्रासंगिकता खो देती हैं। हमें इस बात पर विचार करना होगा कि बीते वर्षों में कई क्षेत्रीय फोरम अस्तित्व में आए हैं और प्रभावी सिद्ध हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने देशों के बीच हितों के जुड़ाव से आगे ह्रदयों के जुड़ाव पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे हम ग्लोबल विलेज को ग्लोबल फैमिली बनते देखेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान जिम्मेदार मानव केन्द्रित एआई व्यवस्था के लिए फ्रेमवर्क तैयार करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि न्यू जेनेरेशन टेक्नोलॉजी में अकल्पनीय स्केल और स्पीड के गवाह बन रहे हैं। ऐसे में हमें 2019 मे बने जी-20 के एआई से जुड़े मानकों से एक कदम आगे बढ़ना होगा। भारत चाहता है कि सामाजिक आर्थिक विकास, ग्लोबल कार्यबल और शोध एवं विकास जैसे क्षेत्रों में सभी देशों को एआई का लाभ मिले।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देशों की सुरक्षा और संवेदनशील मुद्दों का ध्यान रखने पर ही एक भविष्य का भाव सशक्त होगा। ऐसे में साइबर जगत से आतंकवाद को फंडिंग जैसे मुद्दों पर जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि साइबर सिक्योरिटी और क्रिप्टो करेंसी की चुनौतियों से हम परिचित हैं।
उन्होंने कहा कि क्रिप्टो करेंसी का क्षेत्र, सामाजिक व्यवस्था, मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता, सबके लिए एक नया विषय बनकर उभरा है। इसलिए हमें क्रिप्टो करेंसी को रेगुलेट करने के लिए ग्लोबल स्टैंडर्ड्स डेवलपमेंट करने होंगे। बैंक विनियमन पर हमारे सामने बेसल मानक एक मॉडल के रूप में है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने जीडीपी सेंट्रिक अप्रोच के बजाय मानव केन्द्रित विजन पर ध्यान आकर्षित कराया।
न्यूयॉर्क । संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को भारत ने विकृत व अनैतिक करार करते हुए एक बार फिर संस्था में बदलाव की मांग की है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों को लेकर आयोजित चर्चा में भाग लेते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने खरी-खरी सुनाई। कंबोज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद विकृत और अनैतिक है और यह अभी भी उपनिवेशवाद की सोच से चल रही है। सुरक्षा परिषद बदले हुए भू-राजनैतिक परिदृश्य में नई ताकतों के उभार को प्रतिबिंबित नहीं करती है। चर्चा में भारत के अलावा ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, सेंट विंसेंट और ग्रेनाडा के राजनयिक शामिल हुए।
बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज उन्होंने साफ कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मौजूदा संरचना आज की बहु-ध्रुवीय और आपस में जुड़ी हुई दुनिया की हकीकतों से परे है।कंबोज ने कहा कि सुरक्षा परिषद का गठन एक अलग युग में हुआ था और यह नई ताकतों के उभार को प्रतिबिंबित नहीं करती है। आज जब भूराजनैतिक परिदृश्य बदल रहा है तो देश ज्यादा समान और निष्पक्ष वैश्विक व्यवस्था चाहते हैं।
कंबोज ने कहा कि आज अभूतपूर्व वैश्विक चुनौतियां दुनिया के सामने हैं, ऐसे में संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की जरूरत है। जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, आपदा और मानवीय संकट के चलते एकजुट होकर जिम्मेदारी से कदम उठाने की जरूरत है। कंबोज ने सभी देशों से अपील की कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों के लिए प्रयास करें।
मॉस्को। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थायी सदस्यता का रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने एक बार फिर समर्थन किया है। सर्गेई लावरोव ने भारत की सराहना करते हुए कहा कि इंडिया ने वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर अपने रुख के साथ हमेशा परिषद में अहम भूमिका निभाई है।
लावरोव ने 7 दिसंबर को मॉस्को में प्रिमाकोव रीडिंग इंटरनेशनल फोरम में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता देने पर समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने कहा- ‘मुझे लगता है कि भारत वर्तमान में आर्थिक विकास के मामले में अग्रणी देशों में से एक है। इसकी आबादी जल्द ही किसी भी अन्य देश की तुलना में बड़ी होगी। भारत के पास विभिन्न प्रकार की समस्याओं को सुलझाने में विशाल राजनयिक अनुभव है।’
सर्गेई लावरोव ने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र के साथ-साथ शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के भीतर दक्षिण एशिया में एकीकरण संरचनाओं की एक शृंखला में सक्रिय भूमिका निभाता है। इससे पहले लावरोव ने इस साल सितंबर में 77वें संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के देशों को शामिल किया जाता है तो सुरक्षा परिषद अधिक लोकतांत्रिक होगी। उन्होंने कहा था कि भारत और ब्राजील को परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए शामिल किया जाना चाहिए।