कोलकाता: टीएमसी नेता और पिछले कई दिनों से फरार चल रहा शाहजहां शेख को आज पश्चिम बंगाल के बाद टीएमसी ने शाहजहां के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। पार्टी ने उसे 6 साल के लिए सस्पेंड कर दिया है। बता दें कि राशन घोटाले में शाहजहां की तलाश ईडी को कई दिनों से थी, लेकिन वहग फरार चल रहा था। पिछले दिनों जब ईडी की एक टीम उसके घर पर छापा मारने गई थी तो उसके समर्थकों ने टीम पर हमला बोल दिया था। इस हमले में कई लोग घायल हुए थे। इसके बाद से ही शाहजहां फरार चल रहा था।
शाहजहां शेख को उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली से लगभग 30 किलोमीटर दूर मिनाखान में एक घर से गिरफ्तार किया गया। शेख कुछ साथियों के साथ एक घर में छिपा था। गिरफ्तार करने के बाद उसे बशीरहाट अदालत में पेश किया गया। कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा था कि सीबीआई, ईडी या पश्चिम बंगाल पुलिस शेख को गिरफ्तार कर सकती है। इसके 24 घंटे के भीतर ही शेख को गिरफ्तार कर लिया गया। शेख को निष्काषित करते हुए टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि कुछ पार्टियां केवल बोलती हैं लेकिन टीएमसी बोलने के साथ-साथ एक्शन भी लेती है और इसीलिए हम शेख शाहजहां को 6 साल के लिए पार्टी से सस्पेंड करते हैं।
26 फरवरी को मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि शेख, ईडी, सीबीआई, राज्य के गृह सचिव को महिलाओं पर यौन अत्याचार और आदिवासी लोगों की जमीन हड़पने के आरोपों पर शुरू किए गए स्वत: संज्ञान मामले में पक्षकार बनाया जाए। चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने निर्देश दिया कि हाई कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा समाचार पत्रों में एक सार्वजनिक नोटिस दिया जाए जिसमें कहा गया हो कि शेख को मामले में पक्षकार बनाया गया है, क्योंकि वह भाग रहा है और ईडी अधिकारियों पर 5 जनवरी को भीड़ के हमले के बाद से सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया था।
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कोलकाता । कलकत्ता हाई कोर्ट की फटकार के बाद पश्चिम बंगाल पुलिस की नींद टूटी। पुलिस ने पचपन दिन की खींचतान के बाद संदेशखाली के मुख्य आरोपित और तृणमूल नेता शेख शाहजहां को गिरफ्तार कर लिया। उसे गत रात मिनाखां इलाके से दबोचा गया।
दक्षिण बंगाल एडीजीपी सुप्रतिम सरकार ने शेख शाहजहां की गिरफ्तारी पर कहा, “इस मामले में शिकायत धारा 354 से संबंधित नहीं थी। 7, 8 और 9 फरवरी के बाद कई मामले सामने आए हैं, लेकिन 8 और 9 फरवरी के बाद से दर्ज हुए सभी मामले उन घटनाओं से संबंधित हैं जो दो या तीन साल पहले हुई थीं। उनकी जांच करने, सुबूत इकट्ठा करने, सुबूत जांचने में समय लगता है, खासकर उन मामलों के संदर्भ में जो दो साल पहले घटित हुए हों।”
उल्लेखनीय है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार को टिप्पणी की थी कि जिस नेता के खिलाफ 42 प्राथमिकी हैं उसे आज तक गिरफ्तार नहीं किया गया। पुलिस अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती। सोमवार को भी हाई कोर्ट ने ऐसी ही टिप्पणी की थी। इसके बाद तृणमूल नेता कुणाल घोष ने कहा था कि शाहजहां को एक हफ्ते के भीतर गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
गौरतलब है कि जनवरी महीने की पांच तारीख को संदेशखाली में छापा मारने गई गई ईडी की टीम पर हजारों लोगों ने हमला किया था। इस दौरान शाहजहां भूमिगत हो गया था। इसके बाद पीड़ित महिलाओं ने दावा किया कि सालों साल शेख शाहजहां और उसके लोगों ने उनका शारीरिक शोषण किया है। उनकी भूमि जबरदस्ती छीन ली गई है। यह खुलासा होने के बाद राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस, केंद्रीय महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग समेत दिल्ली से फैक्ट फाइंडिंग टीम के सदस्य संदेशखाली पहुंचे। तब परत-दर-परत और खुलासे हुए और संदेशखाली सुर्खियों में आया। शाहजहां को गिरफ्तार नहीं करने की वजह से बंगाल पुलिस की खूब किरकिरी हुई।
कोलकाता। संदेशखाली को लेकर पश्चिम बंगाल में बवाल जारी है। पीड़ितों से मिलना चाह रहे बीजेपी के शुभेन्दु अधिकारी को पुलिस ने रोक दिया है। इसके साथ ही वृंदा करात को भी संदेशखाली जाने से रोका गया है । शुभेंदु अधिकारी कलकत्ता हाईकोर्ट से इजाजत मिलने के बाद वे संदेशखाली जा रहे थे, लेकिन वहां पहले ही धारा 144 लगा दी गई है । शुभेंदु अधिकारी को जाने से रोक दिया गया है ।
शुभेंदु अधिकारी को कलकत्ता हाईकोर्ट ने शर्तों के साथ संदेशखाली जाने की इजाजत दी है. इस दौरान वह पीड़ितों से भी मिलेंगे । कोर्ट ने शुभेंदु अधिकारी से कहा कि वह अपनी यात्रा के मार्ग की जानकारी प्रशासन को दें। साथ ही उन्हें भड़काऊ भाषण न देने की हिदायत भी दी गई है । कोर्ट ने प्रशासन को उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने का भी आदेश दिया है । शुभेंदु अधिकारी ने कहा था कि मैं वहां जाना चाहता हूं और स्थानीय लोगों से बात करना चाहता हूं । मैं वहां के लोगों के साथ खड़ा रहना चाहता हूं ।
संदेशखाली में घटनाक्रम की कवरेज के लिये एक बंगाली समाचार चैनल के एक पत्रकार को सोमवार रात गिरफ्तार कर लिया गया था । पुलिस ने कहा कि पत्रकार को एक स्थानीय महिला के घर में जबरन घुसने की शिकायत के बाद गिरफ्तार किया गया था। कोलकाता प्रेस क्लब ने गिरफ्तारी की निंदा की है ।
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने सोमवार को संदेशखाली में अशांति के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे और राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की । सत्तारूढ़ टीएमसी ने इसपर पलटवार करते हुए आयोग पर भाजपा के मुद्दे को दोहराने का आरोप लगाया । संदेशखाली में बड़ी संख्या में महिलाओं ने तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर जबरदस्ती जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है ।
कोलकाता । नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट हुए विपक्षी दलों के इंडी गठबंधन को तगड़ा झटका लगा है। गठबंधन में शामिल तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने बुधवार को अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।
पूर्व बर्दवान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी बंगाल में किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी बल्कि अकेले चुनाव लड़ेगी। ममता के मुताबिक, “टीएमसी बंगाल में किसी से तालमेल नहीं करेगी। बंगाल में कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की कोई जानकारी नहीं दी गई। न ही कांग्रेस ने इस बारे में उन लोगों से कोई चर्चा की।”
सीएम ममता ने कहा कि उनकी ओर से जो भी प्रस्ताव दिए गए थे उन्हें ठुकरा दिया गया। टीएमसी सुप्रीमो ने बताया कि कांग्रेस का पश्चिम बंगाल से कोई लेना-देना नहीं है। पहले दिन ही उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया गया था।
ममता बनर्जी के मुताबिक, “कांग्रेस के साथ मेरी कोई चर्चा नहीं हुई। मैंने हमेशा कहा है कि बंगाल में हम अकेले लड़ेंगे। मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि देश में क्या किया जाएगा लेकिन हम एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी हैं और बंगाल में हैं। हम अकेले भाजपा को हरा देंगे। हम गठबंधन का हिस्सा थे लेकिन राहुल गांधी की न्याय यात्रा हमारे राज्य से गुजर रही है लेकिन हमें इसके बारे में सूचित नहीं किया गया।”
सीट शेयरिंग पर कांग्रेस के लिए खुला है दरवाजा, बात बनी तो ठीक नहीं तो अकेले चुनाव लड़ेंगे – तृणमूल
कोलकाता । तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस के लिए उसके दरवाजे खुले हैं। पार्टी ने कहा कि बात बनी तो ठीक है लेकिन अगर बातचीत विफल रहती है तो वह अकेले चुनाव लड़ने के लिए भी तैयार है। लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बनर्जी ने कहा कि सीट बंटवारे के बारे में कांग्रेस के स्थानीय नेता क्या सोच रहे हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि अंतिम निर्णय दोनों दलों के शीर्ष नेताओं द्वारा लिया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नेता ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी हैं कि कांग्रेस के लिए हमारा दिल खुला है। अब, वे क्या करेंगे यह उन पर निर्भर है। पश्चिम बंगाल में गठबंधन होगा या नहीं, इसका फैसला सोनिया गांधी और ममता बनर्जी करेंगी। स्थानीय कांग्रेस नेता क्या सोचते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।’’
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता की यह टिप्पणी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के उस बयान के दो दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी से सीट की भीख नहीं मांगेगी।
तृणमूल कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि पार्टी पश्चिम बंगाल में गठबंधन के लिए तैयार है लेकिन जरूरत पड़ने पर वह अकेले भी चुनाव मैदान में उतरने को तैयार है। पार्टी के कई नेताओं ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस राज्य की 42 लोकसभा सीट में से चार सीट कांग्रेस के लिए छोड़ने पर विचार कर रही है।
उल्लेखनीय है कि साल 2019 के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने 22 सीट, कांग्रेस ने दो सीट और भाजपा ने राज्य में 18 सीट हासिल की थी। लोकसभा में कांग्रेस के नेता चौधरी ने मुर्शिदाबाद जिले की बहरमपुर सीट से जीत दर्ज की थी और पूर्व केंद्रीय मंत्री अबू हासिम खान चौधरी ने पड़ोसी जिले की मालदा दक्षिण सीट से लगातार तीसरी जीत हासिल की थी। तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष बनर्जी ने इससे पहले पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और वाम दलों के बीच गठबंधन का भरोसा जताया था।
इस पर तृणमूल की धुर विरोधी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने तत्काल खारिज कर दिया था और कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इसकी आलोचना की थी। कुछ दिन बाद, उन्होंने दोनों दलों पर भाजपा के साथ हाथ मिलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह तृणमूल कांग्रेस ही है जो पश्चिम बंगाल में भाजपा का मुकाबला करेगी। तृणमूल कांग्रेस ने इससे पहले 2001 के विधानसभा चुनाव, 2009 के लोकसभा चुनाव और 2011 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था। हालांकि उसके बाद 2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने वाम दलों के साथ मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ा था।
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के एक नेता के आवास पर छापेमारी और तलाशी अभियान चलाने गई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम पर हमला कर दिया गया और उनकी गाड़ियों को तोड़ दिया गया।
ईडी के अधिकारी और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के सशस्त्र जवान स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेता शेख साजहान, जो पेशे से राशन डीलर भी हैं, के आवास पर पहुंचे और परिसर में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन बड़ी संख्या में विरोध कर रहे लोगों ने उन्हें घेर लिया।
घर के प्रवेश द्वार पर ताला लगा हुआ था और जैसे ही ईडी के अधिकारियों ने विरोध करने वाली भीड़ को नजरअंदाज करते हुए उस ताले को तोड़ने की कोशिश की, कुछ और लोग इकट्ठा हो गए और उन्होंने ईडी के अधिकारियों के साथ-साथ केंद्रीय बलों के जवानों का भी शारीरिक रूप से विरोध करने की कोशिश की।
चूंकि स्थानीय लोगों की संख्या केंद्रीय एजेंसी और केंद्रीय बलों के जवानों से कहीं अधिक थी, इसलिए उन्होंने कुछ समय के लिए घटनास्थल से बाहर निकलने का फैसला किया। लेकिन, उसके बाद भी विरोध कर रहे स्थानीय लोगों ने लाठियों, ईंटों और पत्थरों के साथ केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों को खदेड़ना शुरू कर दिया।
ईडी की कुछ गाड़ियों के शीशे भी तोड़ दिये गये। रिपोर्ट दर्ज होने तक इलाके में भारी तनाव व्याप्त था। ईडी के अधिकारियों ने स्थानीय पुलिस स्टेशन में एक शिकायत भी दर्ज की है। केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों की एक अन्य टीम ने उत्तर 24 परगना जिले में बनगांव नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष शंकर आध्या के ससुराल वालों के आवास पर भी छापा मारा।
सजहान और आध्या दोनों पश्चिम बंगाल के पूर्व खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक के करीबी विश्वासपात्र माने जाते हैं, जिन्हें राशन वितरण मामले में पिछले साल अक्टूबर में ईडी ने गिरफ्तार किया था।
ईडी अधिकारियों की तीसरी टीम शुक्रवार सुबह से दक्षिण कोलकाता के बिजॉयगढ़ स्थित एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के आवास पर छापेमारी कर रही है।
कोलकाता । साल की शुरुआत में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेताओं में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को लेकर तकरार छिड़ गई है। खास बात ये है कि एक जनवरी तृणमूल कांग्रेस का स्थापना दिवस भी है। इस मौके पर संबोधन करते हुए पार्टी के राज्य अध्यक्ष सुब्रत बख्शी ने कहा कि अभिषेक पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं। मुझे उम्मीद है कि वह लड़ाई के मैदान से पीछे नहीं हटेंगे। अगर वह लड़ेंगे तो ममता बनर्जी को सामने रखकर ही लड़ेंगे। उनके इस बयान को लेकर तकरार छिड़ी है। हालांकि उन्होंने एक तरह से अभिषेक बनर्जी के पक्ष में ही बात की लेकिन पार्टी प्रवक्ता और अभिषेक बनर्जी के खास कहे जाने वाले कुणाल घोष ने इस पर सवाल खड़ा कर दिया है। सोमवार को कुणाल घोष ने कहा कि अभिषेक को लेकर सुब्रत बख्शी का बयान आपत्तिजनक है। उन्हें इस तरह से नहीं बोलना चाहिए। क्या बोलना है, यह सोच समझ कर ही बोला जाना चाहिए।
दरअसल सुब्रत बख्शी ने जो बातें कही हैं उनमें से दो बिंदुओं को लेकर अभिषेक के समर्थक नेताओं को आपत्ति है। पहला बिंदु है कि मुझे उम्मीद है अभिषेक बनर्जी लड़ाई की मैदान से नहीं हटेंगे। यानी यह कहने की कोशिश हो रही है कि अभिषेक राजनीतिक लड़ाई से पीछे हटना चाहते हैं। दूसरा “अगर लड़ेंगे तो ममता बनर्जी को सामने रखकर। इसे भी लेकर दावा किया जा रहा है कि शायद इसके जरिए यह कहने की कोशिश हो रही है कि अभिषेक बनर्जी पार्टी में खुद को अधिक अहमियत देना चाहते हैं। इसी को लेकर आपत्ति जताई गई है।
दरअसल पिछले कई दिनों से अभिषेक बनर्जी पार्टी के बड़े कार्यक्रमों में नहीं आ रहे हैं। शनिवार को उनके समर्थक नेताओं ने उन्हें मनाने की कोशिश की थी लेकिन उन्होंने साफ कह दिया है कि वह लोकसभा चुनाव में अपने आप को केवल डायमंड हार्बर तक सीमित रखेंगे।
नई दिल्ली । लोकसभा की आचार समिति की गुरुवार को बैठक हुई। बैठक में तृणमूल कांग्रेस महुआ मोइत्रा को 31 अक्टूबर को ‘पैसे के बदले प्रश्न’ मामले में उसके समक्ष प्रस्तुत होने के लिए कहा गया है। समिति ने गृह मंत्रालय और आईटी मंत्रालय से जांच में सहयोग मांगा है।
आज समिति ने मामले में वकील जय अनंत देहाद्राई और भाजपा नेता निशिकांत दूबे के बयान दर्ज किए। सूत्रों के मुताबिक संसद की आचार समिति इस बात से सहमत है कि तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं और समिति उन पर गंभीरता से विचार करेगी।
आचार समिति के अध्यक्ष एवं भाजपा सांसद विनोद सोनकर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि समिति ने आज दो लोगो को सुना और उनकी ओर से पेश साक्ष्यों पर गौर किया। मामले की गंभीरता को देखते हुए समिति ने महुआ मोइत्रा को बुलाने का फैसला किया है। उन्हें 31 अक्टूबर को पेश होने के लिए कहा गया है। समिति ने दर्शन हीरानंदानी, महुआ मोइत्रा और वकील जय अनंत देहाद्राई के बीच हुई बातचीत के विवरण के लिए आईटी मंत्रालय और गृह मंत्रालय को पत्र भेजने का भी फैसला किया है।
वकील जय अनंत देहाद्राई ने संसद की आचार समिति के सामने पेश होने के बाद पत्रकारों से कहा कि उन्होंने समिति के सामने सच्चाई रख दी है। उन्होंने हर पूछे गए प्रश्न का उत्तर दिया है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर प्रश्न पूछने का आरोप लगाया था। उन्होंने इन आरोपों पर जांच समिति से जांच कराए जाने की मांग की थी। दूबे के आरोप पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मामले को संसद की आचार समिति को भेज दिया।
निशिकांत दुबे का आरोप था कि लोकसभा सदस्य महुआ ने बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से प्रश्न पूछे जाने के एवज में रिश्वत और उपहार लिये हैं। इन आरोपों का बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी ने भी स्वीकार किया है।
कोलकाता । तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। उनके खिलाफ अदानी समूह के प्रतिद्वंद्वी कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से करोड़ों रुपये घूस लेकर संसद में सवाल पूछने के गंभीर आरोपों की जांच तो पहले से ही चल रही है। अब पता चला है कि उन्होंने अपनी पार्लियामेंट्री आईडी (नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर-एनआईसी पर बनाई जाती है) भी दूसरों से शेयर की। यहां तक कि जब महुआ मोइत्रा भारत में थीं, तब उनकी पार्लियामेंट्री आईडी दुबई में लॉगिन की गई थी।
उल्लेखनीय है कि इस आईडी की वेबसाइट का संबंध पूरे देश की संसदीय व्यवस्था से है, जिस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर देश के सभी मंत्रियों और सांसदों की महत्वपूर्ण खुफिया जानकारियां अपलोड की जाती हैं। झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने इस संबंध में एक बार फिर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा है। उन्होंने दावा किया कि नेशनल इंफोर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) ने इसकी जानकारी जांच एजेंसियों को दे दी है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर निशिकांत दुबे ने लिखा, ‘एक सांसद ने चंद पैसों के लिए देश की सुरक्षा को दांव पर लगा दिया। जब सांसद की आईडी को दुबई में खोला गया तो उस वक्त सांसद भारत में ही थीं। इस एनआईसी पर पूरी भारत सरकार है, देश के प्रधानमंत्री, वित्त विभाग, केंद्रीय एजेंसी हैं। क्या अब भी टीएमसी (तृणमूल) और विपक्षियों को राजनीति करनी है। जनता इसका फैसला करेगी। एनआईसी ने इसकी जानकारी जांच एजेंसी को दे दी है।’
हीरानंदानी ने स्वीकार किया है आरोप
वहीं, मामले के सामने आने के बाद एथिक्स कमेटी को दिए गए हलफनामे में हीरानंदानी ने इस बात को स्वीकार किया है कि उन्होंने मोइत्रा की पार्लियामेंट्री लॉगिन आईडी का इस्तेमाल किया है। इसके जरिए उन्होंने अदानी ग्रुप को लेकर सवाल भी अपलोड किया। उन्होंने मामले में सरकारी गवाह बनने की भी इच्छा जताई है, जिसकी वजह से महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।
सांसद निशिकांत दुबे ने दर्ज कराई है शिकायत
उल्लेखनीय है कि निशिकांत दुबे पहले ही महुआ मोइत्रा पर आरोप लगा चुके हैं कि वह लोकसभा में बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी की ओर से सवाल पूछने के लिए उनसे पैसे लेती हैं। उनका कहना है कि महुआ जानबूझकर पैसे के बदले अदानी ग्रुप के खिलाफ संसद में सवाल पूछती हैं और उससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को जोड़ती रही हैं। लोकसभा की एथिक्स कमेटी भाजपा सांसद की शिकायत को देख रही है। कमेटी ने निशिकांत दुबे को मौखिक तौर पर अपना बयान रिकॉर्ड करने के लिए आगामी 26 अक्टूबर को पेश होने के लिए कहा है।
निशिकांत दुबे ने इस बाबत शिकायत दर्ज करा कर महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता खत्म करने की मांग की है।
तृणमूल की चुप्पी
खास बात यह है कि महुआ मोइत्रा की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने इस मामले पर चुप्पी साथ रखी है और अभी तक कोई भी रुख स्पष्ट नहीं किया है।
कोलकाता । भाजपा के खिलाफ बने विपक्षी आईएनडीआई गठबंधन में दरार के संकेत मिलने लगे हैं। कोलकाता में हुई माकपा की दो दिवसीय पोलित ब्यूरो की बैठक रविवार को संपन्न हुई। सूत्रों के मुताबिक बैठक में निर्णय लिया गया है कि आईएनडीआई की समिति में माकपा अपना प्रतिनिधि नहीं भेजेगी। इसकी वजह है कि उसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को भी जगह दी गई है।
उल्लेखनीय है कि 14 सदस्यीय समिति में 14 नंबर जगह आईएनडीआई गठबंधन ने खाली रखी थी। इसमें माकपा प्रतिनिधि को शामिल किया जाना था। पार्टी की ओर से बताया गया था कि वह बाद में इस पर अपना उम्मीदवार बताएंगे। इसके बाद कोलकाता में दो दिवसीय पोलित ब्यूरो की बैठक में स्पष्ट हो गया है कि पार्टी अभिषेक बनर्जी के साथ एक समिति में नहीं रहेगी। केरल माकपा ने दूसरी ओर यह भी स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस के साथ किसी भी समिति का हिस्सा नहीं हो सकती। इसलिए आईएनडीआईए गठबंधन की समिति में दरार स्पष्ट है।
हालांकि पार्टी ने कोलकाता की बैठक में स्पष्ट कर दिया है कि वह गठबंधन का हिस्सा रहेगी लेकिन कई बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट की है। पहली बात कि गठबंधन को और मजबूत करेंगे। भाजपा को केंद्र की सत्ता से हटाने के लिए एकजुट लड़ाई में साथ देंगे। हालांकि पार्टी ने कहा कि इस तरह की कोई भी कमेटी नहीं बनाई जानी चाहिए थी जो खुद निर्णय ले और दूसरों को उसका पालन करना पड़े।
दरअसल गठबंधन की बैठक के मंच पर ममता बनर्जी के साथ सीताराम येचुरी की उपस्थिति को लेकर बंगाल माकपा में तीखी नाराजगी जताई थी। बहरहाल मोहम्मद सलीम ने कहा था कि बड़ी लड़ाई के लिए एक साथ आना जरूरी है। इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि हम तृणमूल का समर्थन करेंगे। पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो समिति बनाई गई है वह भी जरूरी नहीं थी। अब देखना होगा कि आईएनडीआईए का इस पर क्या कुछ रुख होता है।