नई दिल्ली। सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में चीन के सैनिकों से झड़प के 43 दिन बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पहुंचे। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में एलएसी के साथ इकाइयों और संरचनाओं का दौरा किया। इस दौरान और उन्हें परिचालन तैयारियों और सुरक्षा स्थिति के बारे में जानकारी दी गई। थल सेना प्रमुख ने पैनी चौकसी बनाए रखने के लिए सैनिकों को सराहा और सभी से उत्साह और समर्पण के साथ सीमा पर मोर्चा संभाले रखने का आह्वान किया।
जनरल मनोज पांडे तवांग झड़प के 43 दिन बाद शनिवार को अरुणाचल प्रदेश पहुंचे। यहां उन्होंने एलएसी से सटी भारतीय चौकियों का दौरा किया। जनरल पांडे यहां तैयारियों और सुरक्षा हालात का जायजा भी लिया। यह जगह तवांग से करीब है, जहां पर पिछले साल भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। उन्होंने जवानों की सतर्कता, कर्तव्य और निगरानी की तारीफ करते हुए उम्मीद जताई कि आप इसी मुस्तैदी और कर्मठता से सीमा पर मोर्चा संभाले रखेंगे। सेनाध्यक्ष के तवांग सेक्टर के दौरे के बारे में सेना ने सोमवार को ट्वीट कर बताया कि जनरल मनोज पांडे को दौरे के समय ऑपरेशनल तैयारियों और मौजूदा सुरक्षा स्थिति के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने अधिकारियों और सैनिकों के साथ बातचीत में प्रोफेशनलिज्म और कर्तव्य के प्रति समर्पण लिए उनकी सराहना की।
भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने सेना दिवस पर सालाना प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि चीन की देश की उत्तरी सीमाओं पर हालात काबू में हैं, लेकिन अप्रत्याशित हैं। चीन के किसी भी प्रयास को रोकने के साथ ही उत्तरी सीमा पर विरोधी पक्ष के जवाब में हमारी भी तैनाती जारी है। सीमा पर हमारे पास बराबर संख्या में सैनिक हैं। हमारी पूर्वी कमान के विपरीत चीन ने सैनिकों की संख्या में थोड़ी वृद्धि हुई है, लेकिन हम कड़ी नजर रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीमा पर सैनिकों की संख्या का कोई महत्व नहीं होता, बल्कि उनमें उत्साह, जोश और हौसला मायने रखता है, जो हमारे सैनिकों में है। यही वजह है कि हम दुश्मन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि हम सात मुद्दों में से पांच को हल करने में सफल रहे हैं। हमने सैन्य और राजनयिक दोनों स्तरों पर चीन से बात करना जारी रखा है। किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए हमारे पास पर्याप्त भंडार है। एलएसी पर तैनात हमारे सैनिक दृढ़ तरीके से चीन के उन प्रयासों को रोकने में सक्षम रहे हैं, जिसमें उन्होंने यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा कि वे एलएसी की मौजूदा स्थिति को बदलने के लिए हो रही किसी भी कोशिश को नाकाम करने में सक्षम हैं। इसके लिए उनके पास मजबूत सेना और हथियार मौजूद हैं। कठिन क्षेत्र और खराब मौसम के बावजूद हमारे बहादुर जवान वहां तैनात हैं। उन्हें सभी प्रकार के हथियार, उपकरण और सुविधाएं पर्याप्त मात्रा में दी जा रही हैं।
अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर 9 दिसंबर को भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी झड़प हुई थी। घुसपैठ करने के इरादे से आये करीब 600 चीनी सैनिकों को खदेड़ने में भारत के छह जवान घायल हुए, जबकि चीन के सैनिकों को भी ज्यादा नुकसान पहुंचा। इस झड़प के बाद तवांग में भारतीय वायु सेना ने अरुणाचल सीमा पर कॉम्बैट एयर पेट्रोलिंग शुरू कर दी हैं। हालांकि तवांग में हुई झड़प से पहले भी चीन ने अरुणाचल सीमा में अपने ड्रोन भेजने की कोशिश की थी, जिसके इसके बाद वायु सेना ने अपने लड़ाकू विमान अरुणाचल सीमा पर तैनात किए थे।
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नई दिल्ली। तवांग सेक्टर के यांग्त्से इलाके में घुसपैठ करने के इरादे से पहुंचे चीन के सैकड़ों सैनिकों को वापस खदेड़ने का कारनामा भारत की महज तीन बटालियन ने कर दिखाया। पहले से खुफिया जानकारी होने के चलते भारत ने पिछले हफ्ते ही इन तीन बटालियन को उस जगह पर तैनात कर दिया था, जहां चीन ने क्षेत्र में यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश की। चीन के सैनिकों को इसका अंदाजा नहीं था, लेकिन भारतीयों के आक्रामक रुख के आगे उन्हें उल्टे पांव अपनी सीमा में लौटने को मजबूर होना पड़ा।
इस माह की शुरुआत से ही चीनी ड्रोन्स और हेलीकॉप्टरों ने कई बार एलएसी के नजदीक तक उड़ान भरकर हवाई घुसपैठ करने की कोशिश की थी, जिसका भारत की वायु सेना ने लड़ाकू सुखोई उड़ाकर माकूल जवाब दिया। इसी बीच भारत को जमीनी स्तर पर भी चीन के घुसपैठ के इरादों की खुफिया जानकारी मिली। इस पर भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर राइफल्स, जाट रेजिमेंट और सिख लाइट इन्फैंट्री की तीन अलग-अलग बटालियन को तवांग सेक्टर में तैनात कर दिया। चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए भारत की तैयारियों के बारे में पीएलए को भनक तक नहीं लग सकी।
भारतीय खुफिया एजेंसियों की सूचनाओं को सच साबित करते हुए चीन के सैनिकों का एक दल 09 दिसम्बर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में उस पहाड़ी पर आ धमका, जो इस समय बर्फ से ढकी हुई है। लाठी-डंडों से लैस होकर आए करीब 300 चीनी सैनिकों का मुकाबला करने के लिए यहां पहले से ही पैदल सेना रेजिमेंटों की तीन बटालियनों के भारतीय जवान तैनात थे। चूंकि इसकी भनक चीन को नहीं थी, इसलिए आमने-सामने होने पर पीएलए के सैनिकों की भारतीय सेना की तीन इकाइयों के साथ झड़प हुई। झड़प के दौरान चीनी सैनिक हर हाल में भारतीय जवानों को पछाड़ने की उम्मीद कर रहे थे।
भारत के बहादुर जवानों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने के चीन के प्रयास को विफल कर दिया। घुसपैठ के लिए आए चीनी सैनिक लाठियों और अन्य उपकरणों से लैस थे। भारतीय सैनिक भी संघर्ष के लिए तैयार थे, क्योंकि वे दुश्मन के इरादों को जानते थे। चीन के सैनिकों से झड़प के दौरान भारतीय सेना की तीनों बटालियनों ने चरणबद्ध तरीके से मुकाबला किया। चीन की सेना ड्रोन के साथ पूरे क्षेत्र को शूट करने के लिए आई थी। भारतीय सैनिकों पर हमला करने के लिए चीन के जवानों ने पथराव भी किया, लेकिन उन्हें करारा जवाब देकर एलएसी के अपने पक्ष में पीछे हटने के लिए मजबूर किया गया।
सैन्य सूत्रों के अनुसार चीन की सेना के जवान हर साल अपनी दावा रेखा से बाहर गश्त करने की कोशिश करते हैं, जिसे भारत अनुमति नहीं देता है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर होलीदीप और परिक्रमा क्षेत्र के आसपास यांग्त्से में चीनी पक्ष भारतीय गश्त का विरोध कर रहा है। इस बार पहले हवाई और फिर जमीनी घुसपैठ की कोशिश हुई है, लेकिन आसमान से लेकर जमीन तक चीन को मुंह की खानी पड़ी है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में साफ कर दिया है कि भारतीय सेना किसी को भी देश में कहीं भी एक इंच जमीन पर कब्जा करने की अनुमति नहीं देगी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी सदन को विश्वास दिलाया है कि हमारी सेना किसी भी अतिक्रमण से निपटने के लिए तैयार है।