तवांग (अरुणाचल प्रदेश) । पिछले दिनों वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तवांग सेक्टर के यांग्त्से में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प पर प्रसिद्ध तवांग मठ ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। तवांग मठ के भिक्षुओं ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा है-‘ये 1962 नहीं, ये 2022 है और ये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कीसरकार है।’
तवांग मठ के प्रमुख भिक्षु लामा येशी खावो ने भारतीय सेना और सरकार का समर्थन करते हुए कहा है, ‘ प्रधानमंत्री मोदी किसी को नहीं बख्शेंगे।’ 17वीं शताब्दी के इस मठ में उपस्थित लोगों ने कहा कि हमने 1962 का संघर्ष देखा है। चीन सरकार हमेशा अन्य देशों के क्षेत्रों पर नजरें गड़ाए रहती है।
लामा येशी खावो ने कहा- ‘ चीन हर वक्त भारतीय भूमि पर नजर रखता है। हमें भारत सरकार और भारतीय सेना पर पूरा भरोसा है। वही तवांग को सुरक्षित रखेगी।’ उल्लेखनीय है कि पहले तवांग तिब्बत का हिस्सा था। बाद में चीन ने तिब्बत की जमीन पर कब्जा कर लिया। 1962 के युद्ध में चीन की सेना इस मठ में घुस गई थी। तवांग मठ को 1681 में बनाया गया। यह एशिया का दूसरा सबसे बड़ा और सबसे पुराना मठ है। इसे पांचवें दलाई लामा की मंजूरी के बाद बनाया गया था। छठे दलाई लामा का जन्म तवांग में हुआ था। इस समय तवांग मठ में लगभग 500 भिक्षु हैं। मठ के परिसर और गुरुकुल में 89 छोटे घर हैं।
Tawang issue
अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र ने तवांग में चीन के घुसपैठ के प्रयास पर चिंता जताई , भारत का साथ देंगे
वाशिंगटन/ न्यूयार्क । बीते नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों के घुसपैठ के प्रयास पर अमेरिका ने भारत का साथ देने की बात कही है। भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी चिंता जताई है।
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में बीते नौ दिसंबर को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प हो गई थी। भारत की ओर से बताया गया कि नुकीले डंडों और लाठियों से लैस 300 से अधिक चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा पर अतिक्रमण का प्रयास किया, जिसे भारतीय सैनिकों ने असफल कर दिया। आमने-सामने होने के कारण भारतीय और चीनी सैनिकों को मामूली चोटें भी आई थीं। भारतीय सैनिकों के डटकर मुकाबला किये जाने के बाद दोनों पक्षों के तुरंत क्षेत्र से हटने की जानकारी सामने आई है। घटना के बाद वहां तैनात सैन्य अधिकारियों ने शांति बहाल करने के लिए इस मुद्दे पर चर्चा के साथ फ्लैग मीटिंग भी की थी।
तवांग के इस घटनाक्रम में अब भारत को अमेरिका का साथ मिला है। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के प्रेस सचिव पैट राइडर ने कहा कि अमेरिका अपने साझेदार (भारत) की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है। उन्होंने स्थिति को नियंत्रित करने के भारत के प्रयासों का पूरा समर्थन करने की बात भी कही।
इससे पहले अमेरिका ने बयान जारी कर स्थिति को नियंत्रण में रखने पर खुशी जाहिर की थी। साथ ही कहा था कि अमेरिका स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए है।
संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से भी इस मसले पर चिंता जताई गयी है। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भारत-चीन सीमा पर तनाव कम करने की बात कही है। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजैरिक ने कहा कि क्षेत्र में तनाव न बढ़ना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से तनाव कम करने के लिए कहने की बात भी कही है।
बीजिंग । भारत के सीमावर्ती राज्य अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प का खुलासा होने के बाद चीन की प्रतिक्रिया भी आई है। चीन का कहना है कि सीमा पर स्थिति अब समग्र रूप से स्थिर है।
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में बीते नौ दिसंबर को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प का मामला सामने आया है। भारत की ओर से बताया गया कि नुकीले डंडों और लाठियों से लैस 300 से अधिक चीनी सैनिकों की भारतीय सैनिकों से झड़प हो गई। आमने-सामने होने के कारण भारतीय और चीनी सैनिकों को मामूली चोटें आने की बात कही गयी है। भारतीय सैनिकों के डटकर मुकाबला किये जाने के बाद दोनों पक्षों के तुरंत क्षेत्र से हटने की जानकारी सामने आई है। घटना के बाद वहां तैनात सैन्य अधिकारियों शांति बहाल करने के लिए इस मुद्दे पर चर्चा के साथ फ्लैग मीटिंग भी की थी।
शांति के इस दावे के बीच अब चीन का बयान भी सामने आया है। चीन ने कहा है कि भारतीय सीमा पर स्थिति ‘स्थिर’ है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, “जहां तक हम समझते हैं, चीन-भारत सीमा की स्थिति समग्र रूप से स्थिर है।”
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी कई बार चीनी सैनिकों ने भारत में घुसपैठ की कोशिश की है। तवांग से पहले साल 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प को लेकर भी दोनों देशों के बीच काफी तनाव का माहौल था। अब एक बार फिर चीन ने सीमा विवाद पैदा करने की कोशिश की है।