गाजियाबाद। जिले में उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद की सिद्धार्थ विहार योजना को लेकर समाविष्ट सहकारी आवास समितियों ने चिंता जताई है। समितियों ने इस संबंध में परिषद के अधीक्षण अभियंता (एसई) को सोमवार को एक ज्ञापन दिया। ज्ञापन में कहा गया है कि समितियों और परिषद के बीच समझौते और रजिस्टर्ड अनुबंध का आवास विकास परिषद द्वारा उल्लंघन किया जाना बेहद चिंताजनक है। समितियों का कहना है कि यदि स्थितियों में सुधार नहीं हुआ तो 15 फरवरी को परिषद के वसुंधरा कार्यालय में पहुंचकर हाईकोर्ट के निर्देशों की याद दिलाते हुए अपनी मांगों को दोहराने के लिए विवश होंगे।
शासनादेश 2002 की तरफ अधीक्षण अभियंता का ध्यान आकृष्ट कराया
सिद्धार्थ विहार योजना को लेकर नौ समितियों ने अपनी बात अधीक्षण अभियंता के समक्ष रखी है। समितियों का कहना है कि बीती 24 जनवरी को ज्ञापन देकर इस तरफ ध्यान आकृष्ट कराया गया था, किंतु 10 दिन बाद भी परिषद की तरफ से इस संबंध में अपेक्षित कार्रवाई नहीं की गई। समितियों का आरोप है कि अड़ियल रुख की वजह से मनमाने ढंग से समितियों से उनके हक छीनने की आशंका उत्पन्न होती है। समितियों ने ज्ञापन में विभिन्न विषयों को उठाते हुए शासनादेश 2002 के प्रस्तर 3.2 और 3.1 की तरफ अधीक्षण अभियंता का ध्यान आकृष्ट कराया है। समितियों का कहना है कि इस मामले को लेकर उन्हें हाईकोर्ट की शरण में भी जाना पड़ा। सभी परिस्थितियां परिषद के समक्ष स्पष्ट हैं। हाल यह है कि हाईकोर्ट से परिषद को समायोजन का निर्देश दिये जाने के बावजूद मुख्यालय पर बुलाकर समितियों पर समझौता करने के लिए दबाव बनाया गया।
समितियों ने अपने हक के भूखंड देने की मांग की
समितियों का आरोप है कि समझौते का प्रस्ताव शासनादेश 2002 में दिये गये प्रावधानों को दरकिनार करके बनाया गया। जिसमें मात्र 80 प्रतिशत बाह्य रूप से विकसित अर्थात अविकसित भूमि देने के स्थान पर 50 प्रतिशत अविकसित भूमि ही दी गई। इसी तरह से अन्य मनमाने शर्तों को आवास विकास परिषद सामने रख रहा है, जबकि समितियां प्रारंभ से ही भूखंडीय विकास करके अपने सदस्यों को भूखंड उपलब्ध कराना चाहती हैं ताकि बहुमंजिले भवन बनाने के लिए आवश्यक अनुभव और योग्यता के अभाव में किसी गलती की संभावना नहीं रहे। समितियों का कहना है कि इन सभी विषयों के आलोक में यह उम्मीद की जाती है कि आवास विकास परिषद प्लाटिंग करने के लिए उनके हक के भूखंड देकर सहयोग प्रदान करेगी।