लखनऊ: अखिल भारतीय भोजपुरी समाज ने बुधवार को लक्ष्मण मेला मैदान में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रख्यात लोक गायिका शारदा सिन्हा को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।छठ भक्ति गीतों के लिए मशहूर सिन्हा का निधन 72 साल की उम्र में हुआ, संयोग से छठ के दिन ही मंगलवार को हुआ। उन्हें ‘बिहार कोकिला’ के नाम से जाना जाता है, उन्हें भोजपुरी, मैथिली और मगही संगीत में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म भूषण और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।कार्यक्रम में, अमिता शर्मा और उनकी टीम ने सिन्हा के गीतों की प्रस्तुति दी, जिनमें “काची बास की बगिया, बाघी लचकत जाए,” “छठी मईया आई नाहरवा हो,” और “गोमती के घाट मईया” शामिल थे।गायिका को श्रद्धांजलि देते हुए उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सभी से उनके विजन और उनके द्वारा छोड़ी गई भोजपुरी गीतों की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए आगे आने का आग्रह किया।एआईबीएस के अध्यक्ष प्रभुनाथ राय ने कहा, “हम उनके निधन से स्तब्ध और बेहद दुखी हैं। उनकी आवाज और धुन हमेशा लोगों के दिलों में अमर रहेंगी। मैंने उन्हें 2005 में एक कार्यक्रम के लिए लखनऊ आमंत्रित किया था और उन्हें भोजपुरी रत्न सम्मान से सम्मानित किया था।”इस अवसर पर मंडलायुक्त रोशन जैकब और नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह भी उपस्थित थे।
Sharda Sinha
Sharda Sinha Death: लोकगायिका और बिहार की स्वर कोकिका के रूप में पहचान बनाने वाली शारदा सिन्हा को लेकर दुखद खबर सामने आई है. शारदा सिन्हा का निधन हो गया है. उन्होंने 5 नवंबर 2024 को दिल्ली के एम्स अस्पताल (AIIMS Hospital, Delhi) में अंतिम सांस ली. वह 72 वर्ष की थीं.
शारदा सिन्हा को लेकर यह दुखद खबर ऐसी घड़ी में आई जब छठ पूजा की शुरुआत हुई. शारदा सिन्हा ने छठ पूजा पर कई लोक और पारंपरिक गीत गाए. उनके गीतों के बगैर तो छठ पर्व अधूरा होता है और छठ पूजा (Chhath Puja 2024) के पहले दिन ही शारदा सिन्हा ने दुनिया को अलविदा कह दिया (Sharda Sinha Passes Away).
छठ में सूप,डाला और ठेकुआ की तरह जरूरी है शारदा सिन्हा के छठ गीत
शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था. उन्होंने भोजपुरी, मगही, बज्जिका और मैथली जैसे भाषाओं में कई छठ गीत गाकर छठ पर्व को भक्ति और उत्साह से भर दिया. छठ पर्व में सूप, डाला, कोनिया, ठेकुआ की तरह शारदा सिन्हा के छठ गीत भी उतने ही जरूरी हैं. उनके छठ गीतों में बिहार की माटी को सोंधी खूश्बू, भाव और भक्ति विभोर करने वाले शब्द होते थे. उनके छठ गीतों में हे दीनानाथ (सूर्य देव) और छठी मैया की पुकार होती थी, सुहाग और संतान रक्षा की मुराद होती थी. शारदा सिन्हा सशरीर भले अब हमारे बीच नहीं रहीं, लेकिन उनके छठ गीत दशकों तक रोम-रोम में पवित्रता का संचार करते रहेंगे.
शारदा सिन्हा के मशहूर छठ गीत (Sharda Sinha Famous Chhath Puja Geet)
पहिले पहिल छठि मैया (Pahile Pahil Chhathi Maiya)
पहिले पहिल हम कईनी,
छठी मईया व्रत तोहार।
करिहा क्षमा छठी मईया,
भूल-चूक गलती हमार।
उठऊ सूरज, भइले बिहान (Uthau Suruj Bhaile Bihaan)
कौने खेत जनमल धान सुधान हो
कौने खेत डटहर पान ऐ माई
कौन कोखि लिहल जनम ऐ सुरुजदेव
उठ सुरुज भइले बिहान ऐ माई
कौन कोखि लिहल जनम ऐ सुरुजदेव
उठ सुरुज भइले बिहान
हे छठी मइया (Hey Chhathi Maiya)
पटना के घाट पर
हम हूँ अरगिया देबई
हे छठी मईया
हम ना जाईब दूसर घाट
देखब हे छठी मईया
हम ना जाईब दूसर घाट
देखब हे छठी मईया
सोना सट कुनिया (Sona sat Kuniya)
सोना सट कुनिया हो दीनानाथ
हे घूमइछा संसार
हे घूमइछा संसार
सोना सट कुनिया हो दीनानाथ
हे घूमइछा संसार
हे घूमइछा संसार