न्यूयॉर्क । भारत ने अफगानिस्तान में शांति, स्थायित्व और मानवीय समर्थन को लेकर अपना दृढ़ संकल्प फिर दोहराया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि भारत अफगानों के समर्थन में अपनी आवाज उठाता रहेगा।
अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ब्रीफिंग में रुचिरा कंबोज ने बुधवार को अफगानिस्तान के लोगों के साथ भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों का हवाला देते हुए प्रकाश डाला।
भारत के स्थायी मिशन की ओर से एक्स पर डाले पोस्ट में कहा गया कि स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा ने कहा, ”भारत की अफगानिस्तान को लेकर प्रतिबद्धता संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों के सहयोग से शैक्षिक छात्रवृत्ति से झलकती है।”
रुचिरा ने अपने संबोधन में कहा कि अफगानिस्तान हमारा स्थायी पड़ोसी और यहां लोग के हमारे मित्र हैं। अफगानिस्तान में शांति और स्थायित्व लौटने में भारत सीधे हितधारक है। उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान के प्रति भारत का सामूहिक दृष्टिकोण सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 में व्यक्त किया गया है, जिसे काबुल के पतन और उसके बाद तालिबान के कब्जे के बाद 30 अगस्त, 2021 को अपनाया गया था।
ruchira kamboj
न्यूयॉर्क । भारत ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ‘शांति बनाए रखने के लिए विश्वास को बढ़ावा देने’ विषय पर चर्चा के दौरान संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव की मांग की।
रुचिरा कंबोज ने सुरक्षा परिषद की वर्तमान व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस व्यवस्था में पूरे अफ्रीकी महाद्वीप, लैटिन अमेरिका और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत का प्रतिनिधित्व ही नहीं है। ऐसे में सुरक्षा परिषद के पांच सदस्यों को भी अन्य के समान बनाकर इसे ज्यादा समावेशी बनाया जा सकता है। भारतीय प्रतिनिधि ने सवाल उठाया कि सुरक्षा परिषद की मौजूदा व्यवस्था असमानता को मिटाती है या फिर इसे बढ़ावा देती है? दशकों से इसमें सुधार की बात की जा रही है लेकिन हम तब तक विश्वास और शांति नहीं ला सकते, जब तक सुरक्षा परिषद की विश्वसनीयता पर उठ रहे सवालों का जवाब नहीं ढूंढ लेते।’ कंबोज ने कहा कि परिषद के सदस्यों को ज्यादा जवाबदेह बनाने की जरूरत है। यह संस्था ज्यादा खुली, विविधता को साथ लेकर चलने वाली होनी चाहिए, जिसमें दक्षिण का भी प्रतिनिधित्व हो।
भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि सुरक्षा परिषद में विकासशील देशों को शामिल किया जाना चाहिए। जब इसमें बेजुबानों को आवाज देने की ताकत होगी, तभी यह दुनिया का नेतृत्व करने कर सकेगी। सुरक्षा परिषद में क्षेत्रीय मुद्दों को भी तरजीह देनी चाहिए और इसे क्षेत्रीय संगठनों के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि चुनौतियों से निपटा जा सके।