नयी दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज एक साथ दो पूर्व प्रधानमंत्रियों (मरणोपरांत) समेत चार प्रतिष्ठित हस्तियों को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा। राष्ट्रपति भवन में सम्मान समारोह आयोजित किया गया जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा, एस जयशंकर समेत कई मंत्री मौजूद रहे। भारत रत्न से सम्मानित होने वाली हस्तियों में पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण को छोड़कर बाकी सभी- पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह तथा पी.वी. नरसिम्हा राव, प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत सम्मानित किया गया। वहीं, आपको बता दें कि स्वास्थ्य की वजह से अनुभवी भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी समारोह में शामिल नहीं हुए ऐसे में राष्ट्रपति 31 मार्च को उनके घर पर जाकर उन्हें यह सम्मान देंगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कार्यक्रम में मौजूद
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राष्ट्रपति भवन ने उक्त समारोह में शामिल होने के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया था जिसमें जननायक को भारत रत्न दिया जाएगा। कर्पूरी ठाकुर के पुत्र रामनाथ ठाकुर अपने पिता के सम्मान को ग्रहण करेंगे। कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किए जाने पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग हम सभी लंबे समय कर रहे थे। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के लिए मैं राष्ट्रपति और पीएम मोदी को धन्यवाद देता हूं।
चौधरी चरण सिंह-कर्पूरी ठाकुर सहित 4 हस्तियों को मरणोपरांत पुरस्कार
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया था, “यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव गारू को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। एक प्रतिष्ठित विद्वान और राजनेता के रूप में नरसिम्हा राव गारू ने विभिन्न क्षमताओं में बड़े पैमाने पर भारत की सेवा की। उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई वर्षों तक सांसद तथा विधानसभा के सदस्य के रूप में किए गए कार्यों के लिए समान रूप से याद किया जाता है। उनका दूरदर्शी नेतृत्व देश को आर्थिक रूप से उन्नत बनाने और देश की समृद्धि तथा विकास की एक ठोस नींव रखने में सहायक था।”
चौधरी चरण सिंह को सम्मान देने की घोषणा करते हुए पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा, ”यह हमारी सरकार का सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है। उन्होंने अपना पूरा जीवन किसानों के अधिकारों और उनके कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था।”
पीएम ने कृषि वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन को भारत रत्न देने की भी घोषणा की थी। उन्होंने लिखा था, “यह बेहद खुशी की बात है कि भारत सरकार हमारे देश में कृषि और किसानों के कल्याण में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए एम.एस. स्वामीनाथन जी को भारत रत्न से सम्मानित कर रही है। उन्होंने भारत को आत्म-सम्मान हासिल करने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चुनौतीपूर्ण समय के दौरान कृषि पर निर्भरता और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए।”
Rashtrapati Bhavan
नई दिल्ली। भूटान के प्रधानमंत्री दाशो शेरिंग टोबगे ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। भारत में भूटानी प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए, राष्ट्रपति मुर्मू ने इस तथ्य की सराहना की कि उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना।
उन्होंने कहा कि भारत और भूटान के बीच घनिष्ठ और अद्वितीय संबंध हैं, जो सभी स्तरों पर आपसी विश्वास, सद्भावना और समझ पर आधारित हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि बौद्ध धर्म की साझा आध्यात्मिक विरासत दोनों देशों को जोड़ती है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत भूटान के साथ ऊर्जा सहयोग, विकास साझेदारी, लोगों से लोगों के बीच संबंध, व्यापार और निवेश संबंधों जैसे क्षेत्रों में फैली अपनी बहुआयामी साझेदारी को गहराई से महत्व देता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भूटान एक विश्वसनीय मित्र और भागीदार के रूप में भारत पर भरोसा कर सकता है। उन्होंने कहा कि भूटान के लोगों की सामाजिक-आर्थिक भलाई और समृद्धि को बढ़ाने की दिशा में विकास सहयोग क्षेत्र में भूटान के साथ साझेदारी करना भारत के लिए सौभाग्य की बात है। राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की विकास साझेदारी भूटान की प्राथमिकताओं और आकांक्षाओं, खासकर युवाओं की आकांक्षाओं से निर्देशित होती रहेगी।
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानकों की नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके सटीक और उच्च गुणवत्ता वाले डेटा सेट तैयार करने की आवश्यकता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भारतीय लेखापरीक्षा एवं लेखा सेवा (आईएएएस), भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क और अप्रत्यक्ष कर) और भारतीय सांख्यिकी सेवा के प्रोबेशनर्स ने राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की।
प्रोबेशनर्स को संबोधित करते हुए कहा कि सार्वजनिक सेवा उन्हें शासन प्रणाली में महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए देश की सेवा करने का अवसर देगी। वे अपने-अपने क्षेत्रों में नवोन्वेषी, स्मार्ट और नागरिक-केंद्रित कार्यप्रणाली के माध्यम से भारत की विकास यात्रा में अत्यधिक योगदान दे सकते हैं। राष्ट्रपति ने प्रोबेशनर्स को यह याद रखने की सलाह दी कि उनके कार्यों और निर्णयों का सभी नागरिकों के जीवन पर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि उनमें से प्रत्येक अपने काम में जो सत्यनिष्ठा, कड़ी मेहनत और ईमानदारी दिखाता है, वह हमारे लोगों के विकास की गति निर्धारित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगी।
राष्ट्रपति ने भारतीय सांख्यिकी सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि डेटा या सांख्यिकी नीतियों के निर्माण से लेकर कार्यक्रमों और योजनाओं के परिणामों का विश्लेषण करने तक की सभी गतिविधियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण आधार बनता है। अंतरराष्ट्रीय मानकों की नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके सटीक और उच्च गुणवत्ता वाले डेटा सेट तैयार करने की आवश्यकता है। अनेक चैनलों के माध्यम से सूचना की बढ़ती उपलब्धता के साथ, प्रामाणिक और सटीक आंकड़ों का महत्व कई गुना बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि आईएसएस अधिकारियों को आधिकारिक आंकड़ों को संकलित करने और सर्वेक्षण कार्यों के प्रबंधन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा, डेटा साइंस और अन्य क्षेत्रों के नवीनतम तरीकों का उपयोग करने की आवश्यकता है।
भारतीय लेखापरीक्षा एवं लेखा सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उनसे सार्वजनिक विश्वास के संरक्षक और वित्तीय विवेक के संरक्षक के रूप में कार्य करने की अपेक्षा की जाती है। उन्हें निर्णय लेते समय और कार्रवाई करते समय हमेशा सत्य, पारदर्शिता और निष्पक्षता के मूल्यों का पालन करना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें ऐसी संस्था का हिस्सा होने पर गर्व होना चाहिए, जिसने वर्षों से शासन प्रणाली में अपनी स्थिति मजबूत की है। इस समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाना उन जैसे युवा अधिकारियों का कर्तव्य है।
भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क और अप्रत्यक्ष कर) के अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें कई कर्तव्यों और करों के प्रशासन और संग्रह का काम सौंपा जाएगा। विविध कार्यों को कुशलता से करने के लिए उन्हें सभी क्षेत्रों में नवीनतम प्रगति के बारे में अद्यतन रहने की आवश्यकता है और साथ ही अन्य सेवाओं और विभागों के अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने की भी आवश्यकता है।
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को राष्ट्रपति भवन में ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा आयोजित अंतर्धार्मिक बैठक में कहा कि प्रेम और करुणा के बिना मानवता जीवित नहीं रह सकती। राष्ट्रपति ने कहा कि जब विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ मिल-जुलकर रहते हैं तो समाज और देश का सामाजिक ताना-बाना मजबूत होता है। यही ताकत देश की एकता को और मजबूत करती है और प्रगति के पथ पर ले जाती है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य 2047 तक भारत को एक विकसित देश के रूप में स्थापित करना है, इस लक्ष्य को हासिल करने में सभी का सहयोग आवश्यक होगा।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि धर्म हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। धार्मिक मान्यताएं और प्रथाएं हमें विपरीत परिस्थितियों में राहत, आशा और शक्ति प्रदान करती हैं। प्रार्थना, ध्यान और अनुष्ठान मनुष्य को आंतरिक शांति और भावनात्मक स्थिरता का अनुभव करने में मदद करते हैं लेकिन शांति, प्रेम, पवित्रता और सच्चाई जैसे मौलिक आध्यात्मिक मूल्य ही हमारे जीवन को सार्थक बनाते हैं। इन मूल्यों से रहित धार्मिक प्रथाएं हमारा कल्याण नहीं कर सकती हैं। समाज में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए सहिष्णुता, एक-दूसरे के प्रति सम्मान और सौहार्द्र के महत्व को समझना आवश्यक है।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रत्येक मानव आत्मा स्नेह और सम्मान की पात्र है। स्वयं को पहचानना, अपने मूल आध्यात्मिक गुणों के अनुसार जीवन जीना और ईश्वर के साथ आध्यात्मिक संबंध रखना ही सांप्रदायिक सद्भाव और भावनात्मक एकीकरण का सहज साधन है।
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में विश्वविद्यालय, एनएसएस इकाइयों और एनएसएस वालंटियर को 2021-22 के लिए राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) पुरस्कार प्रदान किए। इस मौके पर युवा मामले और खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर और युवा मामले और खेल राज्य मंत्री निसिथ प्रमाणिक भी मौजूद रहे।
इनको मिला पुरस्कार
यह पुरस्कार 41 व्यक्तियों को सामाजिक सेवाओं में उनके योगदान के लिए दिया गया। पुरस्कार पाने वालों में डॉ. रामबीर सिंह चौहान (उत्तर प्रदेश), डॉ. मिताली कथकटिया (असम), डॉ. रंजन शर्मा (चंड़ीगढ़), डॉ. मलकियत सिंह (हिमाचल प्रदेश), डॉ. राघवेन्द्र आर (कर्नाटक), डॉ. एस. लक्ष्मी (केरल), डॉ. इंदिरा बर्मन (मध्य प्रदेश), डॉ. पवन रमेश नायक (महाराष्ट्र), जोसेफ वनलालह्रुइया सेलो (मिजोरम), डॉ. रेनू विष्ट (उत्तराखंड), बबीता प्रसाद (पश्चिम बंगाल), कुरुबा जयमारुथि (आंध्र प्रदेश), पेल्लाकुरू सात्विका (आंध्र प्रदेश), साजिश अली (असम), मैक्स कुमार (बिहार), बनश्री काकती (असम), सागर रॉय (चंड़ीगढ़), कुमुधिनी साओ (छत्तीसगढ़), अलीशा अंसारी (छत्तीसगढ़), अनुज (दिल्ली), पटेल सोनल चमनभाल (गुजरात), शालीन मनीष कुमार पटादिया (गुजरात), दीपक सिंह (हरियाणा), काजल कौशिक (हरियाणा), ऋषभ चौधरी (हिमाचल प्रदेश), किफ़ायतुल्लाह मलिक (जम्मू और कश्मीर), अभिषेक रंजन (झारखंड), अंकित लखेरा (मध्य प्रदेश), अक्षिता शर्मा (मध्य प्रदेश), जाह्नवी विजय पेडीवार (महाराष्ट्र), वेदांत सुदाम डाइक (महाराष्ट्र), श्रिया मैनी (पंजाब), शुभम पारीक (राजस्थान), ममता कुमावत (राजस्थान), गुंडे परशुरामुलु (तेलंगाना), दवेरा मनोज खन्ना (तेलंगाना), अली देबनाथ (त्रिपुरा), सुब्रत साहा (त्रिपुरा), लक्ष्य (उत्तर प्रदेश), संजना सिंह (उत्तर प्रदेश) और अभिजीत भुइन (पश्चिम बंगाल) शामिल हैं।
केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा स्थापित एनएसएस पुरस्कार हर साल एनएसएस वालंटियर, कार्यक्रम अधिकारियों, एनएसएस इकाइयों और विश्वविद्यालयों/ 2 परिषदों को उनकी स्वैच्छिक सेवा को मान्यता देने के लिए प्रदान किए जाते हैं।
एनएसएस एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसे स्वैच्छिक सामुदायिक सेवा के माध्यम से छात्र युवाओं के व्यक्तित्व और चरित्र को विकसित करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ वर्ष 1969 में शुरू किया गया था। एनएसएस का वैचारिक रुझान महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित है। एनएसएस का आदर्श वाक्य ‘स्वयं से पहले आप’ है।
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की पूर्व प्रमुख दादी प्रकाशमणि की स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया। यह डाक टिकट दादी प्रकाशमणि की 16वीं पुण्यतिथि पर डाक विभाग की ‘माई स्टैम्प’ पहल के तहत जारी किया गया है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि दादी प्रकाशमणि ने आध्यात्मिकता के माध्यम से भारतीय मूल्यों और संस्कृति को भारत और विदेशों में फैलाया। उनके नेतृत्व में ब्रह्माकुमारी दुनिया में महिलाओं के नेतृत्व वाला सबसे बड़ा आध्यात्मिक संगठन बन गया। एक सच्चे नेता की तरह वह चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी विश्वास और साहस के साथ ब्रह्माकुमारी परिवार के साथ खड़ी रहीं और हमेशा उनका मार्गदर्शन किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह दुनिया का सबसे बड़ा सत्य है कि जीवन अस्थायी है और व्यक्ति को उसके कर्मों के कारण ही याद किया जाता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को लोक कल्याण की भावना से नेक कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दादी भले ही शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके आध्यात्मिक एवं मिलनसार व्यक्तित्व और मानव कल्याण के उनके संदेश की यादें हमेशा हमारे बीच जीवित रहेंगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।
हम सभी ने भारतीय वैज्ञानिकों की अभूतपूर्व सफलता देखी : राष्ट्रपति
चंद्रयान-3 मिशन की हालिया सफलता के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि हम सभी ने भारतीय वैज्ञानिकों की अभूतपूर्व सफलता देखी है। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है। उन्होंने विश्वास जताया कि चंद्रयान-3 मिशन के जरिए चंद्रमा की धरती से नई जानकारी हासिल होगी जिससे पूरी दुनिया को फायदा होगा।
नई दिल्ली। ऑस्कर विजेता डॉक्यूमेंट्री ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ के निर्माताओं कार्तिकी गोंजाल्विस और गुनीत मोंगा ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।
राष्ट्रपति भवन के अनुसार, ऑस्कर विजेता डॉक्यूमेंट्री ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ के निर्माताओं कार्तिकी गोंजाल्विस और गुनीत मोंगा ने राष्ट्रपति से मुलाकात की। राष्ट्रपति ने पुरस्कार जीतने पर उन्हें बधाई दी और संरक्षण और प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने की भारत की परंपरा को प्रदर्शित करने के लिए उनकी प्रशंसा की।
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि भारतीय सूचना सेवा (आईआईएस) के अधिकारियों को तेजी से फैलने वाली फर्जी सूचनाओं ‘फेक न्यूज’ से निपटने की जिम्मेदारी लेनी होगी। सोशल मीडिया के दुरुपयोग की प्रवृत्ति को रोकने के लिए उन्होंने अधिकारियों से समर्पण के साथ काम करने का आग्रह किया।
भारतीय सूचना सेवा (2018, 2019, 2020, 2021 और 2022 बैच) के अधिकारियों व अधिकारी प्रशिक्षुओं और भारतीय नौसेना आयुध सेवा के परिवीक्षाधीनों ने आज राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।
भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों और इसके कामकाज के बारे में नागरिकों को जागरूक बनाने में संचार एक महत्वपूर्ण कारक है। प्रभावी संचार के माध्यम से और सही जानकारी के साथ, आईआईएस अधिकारी नागरिकों को देश की प्रगति में सूचित भागीदार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज सूचनाओं के व्यापक और त्वरित प्रसार के साथ ही समान रूप से तेजी से फैलने वाली फर्जी सूचनाओं की चुनौती भी सामने आई है। आईआईएस अधिकारियों को फेक न्यूज से निपटने की जिम्मेदारी लेनी होगी। उन्होंने उनसे प्रौद्योगिकी का उपयोग करने और झूठे आख्यान बनाने के लिए मीडिया, विशेष रूप से सोशल मीडिया के दुरुपयोग की प्रवृत्ति को रोकने के लिए समर्पण के साथ काम करने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक मंच पर भारत की छवि को निखारने में आईआईएस अधिकारियों की अहम भूमिका है। भारत ने हमेशा दुनिया को शांति और भाईचारे का संदेश दिया है। संपूर्ण मानवता के लिए सांस्कृतिक संदेशों के माध्यम से भारत की सॉफ्ट पावर को फैलाना एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जहां वे एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
भारतीय नौसेना आयुध सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें भारतीय नौसेना और भारतीय तट रक्षक दोनों को एक कुशल और सुरक्षित आयुध रसद वितरण प्रणाली प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी में प्रगति और अत्याधुनिक हथियारों की शुरूआत के साथ, उन्हें स्वदेशीकरण के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नवाचार के लिए प्रयास करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि जहां पिछले दशकों में स्वदेशीकरण की दिशा में काफी कुछ हासिल किया गया है, वहीं अब समय आ गया है कि ‘मेक इन इंडिया’ के विजन के अनुरूप भारत में तकनीकी रूप से उन्नत उपकरणों का निर्माण कर आत्मनिर्भरता का एक नया चरण शुरू किया जाए। उन्होंने आईएनएएस अधिकारियों से नौसेना आयुध के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में पूरे दिल से योगदान देने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने अधिकारियों को सलाह दी कि वे हमेशा याद रखें कि उनके पद बड़ी जिम्मेदारी और जवाबदेही वाले होते हैं। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा लिए गए प्रत्येक निर्णय और कार्रवाई का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नागरिकों के जीवन पर प्रभाव पड़ेगा। इसलिए, उनके लक्ष्यों को देश के विकास लक्ष्यों और साथी नागरिकों की भलाई के साथ जोड़ा जाना चाहिए।
नई दिल्ली। राष्ट्रपति के रस्मी गार्डों की अदला-बदली (चेंज ऑफ गार्ड) का समारोह 25 मार्च से नौ के बजाय आठ बजे से होगा।
राष्ट्रपति भवन की ओर से सोमवार को जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि राष्ट्रपति भवन में गार्ड परिवर्तन समारोह इस शनिवार (25 मार्च) से सुबह 9 से 10 बजे के बजाय 8 से 9 बजे तक होगा।
राष्ट्रपति भवन में गार्ड परिवर्तन का यह समारोह सप्ताह में एक बार प्रत्येक शनिवार को आयोजित किया जाता है। इसके तहत नये समूह को राष्ट्रपति के अंगरक्षक का कार्यभार सौंपा जाता है। एक घंटे तक चलने वाला कार्यक्रम आम लोगों के लिए खुला रहता है।
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यथास्थिति बनाए रखने की प्रवृत्ति को साधारण जड़ता या बदलते परिदृश्य से उत्पन्न लोगों की उभरती समस्याओं के प्रति उदासीनता करार दिया है। उन्होंने कहा कि सिविल सेवकों को ‘बेहतर के लिए परिवर्तन’ की मानसिकता के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
एलबीएसएनएए में 124वें प्रवेश प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने वाले राज्य सिविल सेवा अधिकारियों ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। इस दौरान अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने उन्हें पदोन्नति और भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में शामिल होने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि लगभग सभी ने विभिन्न क्षमताओं में राज्य सरकारों में 20 से अधिक वर्षों तक सेवा की है। इन सालों में उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया होगा और कड़े फैसले लिए होंगे। उन्होंने उनसे नेशन फर्स्ट और पीपल फर्स्ट की भावना के साथ काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आईएएस अधिकारियों के रूप में उन्हें सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता, प्रतिबद्धता और मुस्तैदी के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि कई मौकों पर यह देखा जाता है कि यथास्थिति बनाए रखने की प्रवृत्ति होती है। या तो यह साधारण जड़ता है या यह हमारे आसपास के बदलते परिदृश्य से उत्पन्न लोगों की उभरती समस्याओं के प्रति उदासीनता है। सिविल सेवकों को ‘बेहतर के लिए परिवर्तन’ की मानसिकता के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश को ऐसे सिविल सेवकों की आवश्यकता है जो नवोन्मेषी, सक्रिय और विनम्र, पेशेवर, प्रगतिशील, ऊर्जावान, पारदर्शी, तकनीक-सक्षम और रचनात्मक हों। इन नेतृत्व शैलियों और मूल्यों को अपनाने वाले प्रशासनिक नेताओं को राष्ट्र और नागरिकों की सेवा करने के लिए बेहतर स्थान दिया जाएगा।