नई दिल्ली। भारत में हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का गुरुवार को 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया। मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त, 1925 को तमिलनाडु के तंजावुर जिले के कुम्भकोणम में हुआ था। वह स्वतंत्रता आंदोलन में अपने पिता और महात्मा गांधी से काफी प्रभावित थे। उन्होंने दो स्नातक डिग्री हासिल की थीं, जिनमें एक कृषि महाविद्यालय कोयंबटूर की थी। वे भारत के आनुवंशिक वैज्ञानिक थे। उन्होंने साल 1966 में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकसित किए।
स्वामीनाथन ने विकसित की थीं अधिक उपज देने वाली गेहूं और चावल की किस्में
एमएस स्वामीनाथन ने धान की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिली कि भारत के कम आय वाले किसान अधिक उपज पैदा करें। इससे भारत को खाद्यान्न सुरक्षा मिली थी। इसे ही हरित क्रांति कहा जाता है। इसके लिए उन्होंने तत्कालीन कृषि मंत्री सी सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ काम किया था। इससे पूरे भारत में खाद्यान्न उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई थी। स्वामीनाथन को 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने पुरस्कार राशि का उपयोग चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना के लिए किया। यह फाउंडेशन टिकाऊ और समावेशी कृषि के क्षेत्र में काम कर रहा है।
उनके नाम पर गठित हुआ था आयोग
स्वामीनाथन आयोग का गठन 18 नवंबर, 2004 को किया गया था। इस आयोग का नाम राष्ट्रीय किसान आयोग था, जिसके अध्यक्ष एमएस स्वामीनाथन थे। उन्हीं के नाम पर इस आयोग का नाम स्वामीनाथन आयोग पड़ा। इस आयोग ने लंबे समय तक किसानों की समस्या को समझने के बाद केंद्र से कृषि क्षेत्र में कई जरूरी सुधारों की मांग की थी।
स्वामीनाथन को मिले कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार
स्वामीनाथन को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इनमें पद्मश्री (1967), पद्मभूषण (1972), पद्मविभूषण (1989), विश्व खाद्य पुरस्कार (1987) के साथ 1971 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार महत्वपूर्ण हैं। स्वामीनाथन ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय कृषि और पर्यावरण पहल में योगदान दिया था। टाइम पत्रिका द्वारा उन्हें 20वीं सदी के 20 सबसे प्रभावशाली एशियाई लोगों में से एक नामित किया गया था। स्वामीनाथन के परिवार में उनकी पत्नी मीना और तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं।
बेटी डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा, उनकी विरासत को तीनों बेटियां जारी रखेंगी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक और एमएस स्वामीनाथन की बेटी डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने पिता के निधन पर कहा, “पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। आज सुबह 11.20 बजे उनका निधन हो गया। जिंदगी के अंत तक वे किसानों के कल्याण और समाज के सबसे गरीब लोगों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध थे। परिवार की ओर से मैं उन सभी का आभार व्यक्त करती हूं, जिन्होंने अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। मुझे आशा है कि हम तीनों बेटियां उस विरासत को जारी रखेंगी, जो मेरे पिता और मेरी मां मीना स्वामीनाथन ने हमें दिखाई है।”
कृषि क्षेत्र में महिला सशक्तीकरण के रहे पक्षधर
उन्होंने कहा कि उनके पिता उन कुछ लोगों में से एक थे, जिन्होंने माना कि कृषि में महिलाओं की उपेक्षा की जाती है। उन्होंने महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की थीं। उनके विचारों ने महिला सशक्तीकरण योजना जैसे कार्यक्रमों को जन्म दिया, जिसका उद्देश्य महिला किसानों का समर्थन करना था। जब वे छठे योजना आयोग के सदस्य थे, तो पहली बार महिला और पर्यावरण पर एक अध्याय शामिल किया था। उनके ये दो महत्वपूर्ण योगदान हैं, जिन पर उन्हें बहुत गर्व था।
Produce
फिल्म अभिनेता-निर्देशक दीपक तिजोरी से करोड़ों रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। ‘जो जीता वही सिकंदर’ और ‘आशिकी’ जैसी फिल्मों से लोकप्रियता हासिल करने वाले अभिनेता दीपक ने अपने सह-निर्माता मोहन नादर के खिलाफ मुंबई पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। अभिनेता ने नाडर पर उनसे 2.6 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है।
दरअसल, ये दोनों साथ में एक थ्रिलर फिल्म प्रोड्यूस कर रहे थे। दीपक तिजोरी और मोहन नादर ने 2019 में फिल्म ‘टिप्सी’ के लिए एक कॉन्ट्रेक्ट साइन किया था। उसी फिल्म के लिए मोहन ने दीपक से 2.6 करोड़ रुपये लिए लेकिन फिल्म पूरी नहीं हुई। जब अभिनेता ने पैसे मांगे तो भुगतान के लिए मोहन ने चेक दिया जो हर बार बाउंस हो जाता था। मुंबई पुलिस ने अंबोली पुलिस स्टेशन में दीपक तिजोरी की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की है और उन्होंने इस संबंध में जांच शुरू कर दी है। मुंबई पुलिस ने धारा 420 और 406 के तहत मामला दर्ज किया है। दीपक तिजोरी ने 10 दिन पहले मोहन नाडर के खिलाफ पैसे नहीं देने पर लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। अंबोली थाने के वरिष्ठ निरीक्षक बंदोपंत बंसोडे ने बताया कि इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।