नई दिल्ली। दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति और उसमें पंजाब से आ रहे पराली के धुएं की भूमिका को लेकर दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी की सरकार की आलोचना हो रही है। इसी बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने संयुक्त प्रेसवार्ता कर प्रदूषण को समूचे उत्तर भारत की समस्या बताया है। उन्होंने दिल्ली और पंजाब सरकारों की आलोचना को निराधार बताते हुए केन्द्र से प्रदूषण का समाधान खोजने की अपील की है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने संयुक्त प्रेसवार्ता में कहा कि दिल्ली की हवा बहुत खराब हो गयी है। लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। यह समस्या केवल दिल्ली की नहीं है। दिल्ली, रोहतक, बहादुरगढ़, गुरुग्राम सहित कई क्षेत्रों में हालत गंभीर हैं। इसके अलावा नागलोई, पानीपत, सोनीपत सहित कई स्थानों पर बेहद खराब स्थिति है। जितनी हवा दिल्ली में ख़राब है, उतनी ही हवा यूपी, हरियाणा, राजस्थान और बिहार के शहरों में भी ख़राब है।
प्रेसवार्ता में आप के दोनों नेताओं ने पंजाब में पराली जलाने की जिम्मेदारी ली और कहा कि मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार को इस मुद्दे को ठीक करने के लिए इस साल केवल छह महीने का समय मिला है, इसलिए बहुत कुछ नहीं किया जा सका। हालाँकि, उन्होंने समस्या का समाधान खोजने के लिए नवंबर 2023 की समय सीमा निर्धारित की।
केजरीवाल ने कहा कि पंजाब सरकार में आने के बाद आप को शुरुआती महीने कानून-व्यवस्था आदि में सुधार करने में लग गए। हम अगले एक साल में प्रदूषण का समाधान निकाल लेंगे। हम फसल विविधीकरण सहित कई विकल्पों का पता लगाएंगे।
पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में पराली जलने के लिए किसान ज़िम्मेदार नहीं है। दो फसलों धान और गेहूं की फसलों के बीच काफी कम समय होता है। इसके लिए हम ज़िम्मेदार हैं। हमारी सरकार बने केवल 6 महीने हुए हैं। 6 महीने में हमने काफी कदम उठाए, जिनमें से कुछ सफल हुए कुछ नही हुए।
मुख्यमंत्री मान ने कहा कि पंजाब में 75 लाख एकड़ में धान उगाया जाता है और ऐसे 45 लाख एकड़ क्षेत्र में पराली जलाने का प्रचलन है। फसल विविधीकरण के लिए, एमएसपी (किसानों को समर्थन) की आवश्यकता है। हम कम पानी वाली फसलों का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं। किसान भी फसल विविधीकरण चाहते हैं, बशर्ते इससे उन्हें लाभ मिले।
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