नई दिल्ली । भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (आईडीबीआई) के निजीकरण के लिए आरंभिक बोलियां दाखिल करने की समय-सीमा करीब एक महीना बढ़ाई जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक यह समय-सीमा जनवरी तक बढ़ सकती है।
आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि देश के सार्वजनिक क्षेत्र के आईडीबीआई बैंक के निजीकरण के लिए आरंभिक बोलियां दाखिल करने की तारीख में एक महीने का विस्तार होने की संभावना है। दरअसल, आईडीबीआई के लिए अभिरुचि पत्र या आरंभिक बोली दाखिल करने की अंतिम तारीख 16 दिसंबर है, जिसे जनवरी तक बढ़ाए जाने की संभावना है। इसको लेकर लेन-देन सलाहकारों को समय-सीमा में विस्तार के कुछ अनुरोध मिले हैं।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम एलआईसी सार्वजनिक क्षेत्र के आईडीबीआई बैंक में अपनी 60.72 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहते हैं। सरकार ने बैंक का निजीकरण करने के लिए 7 अक्टूबर को बोलियां आमंत्रित की थीं। बैंक के लिए बोलियां जमा करने यानी अभिरुचि पत्र (ईओआई) जमा करने की अंतिम तिथि 16 दिसंबर, 2022 तय की गई थी।
PRIVATISATION
नई दिल्ली । भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (आईडीबीआई) की विनिवेश प्रक्रिया की शुरुआत चुकी है। सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी एलआईसी की बैंक के नए मालिक के किसी प्रस्ताव को रोकने की मंशा नहीं है। सरकार इसके भावी प्रवर्तकों को स्वतंत्रता देने की इच्छुक है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को बताया कि सरकार का यह कदम निवेशकों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास है। सरकार आईडीबीआई में 60.72 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है, जिसे प्रबंधन नियंत्रण भी सौंपा जाएगा। दरअसल निजीकरण के बाद आईडीबीआई में सरकार और एलआईसी की हिस्सेदारी घटकर 34 फीसदी रह जाएगी।
उल्लेखनीय है कि आईडीबीआई बैंक में केंद्र सरकार और एलआईसी की 60.72 फीसदी हिस्सेदारी है। इस बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 45.48 फीसदी और एलआईसी की 49.24 फीसदी है। इसकी बिक्री के लिए इस महीने की शुरुआत में ही निविदाएं आमंत्रित की गई थीं। वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में बैंक का मुनाफा 46 फीसदी बढ़कर 828 करोड़ रुपये रहा है। अभी बैंक का बाजार मूल्यांकन 47,633 करोड़ रुपये है। मौजूदा मूल्य पर करीब 61 फीसदी की हिस्सेदारी की बिक्री से सरकार को 29 हजार करोड़ रुपये प्राप्त होंगे।