नयी दिल्ली। केंद्र सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाया है। यह विशेष सत्र नए संसद भवन का उद्घाटन सत्र भी होगा और नए संसद भवन में 19 सितंबर से शुरू होगा। सरकार ने विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक के लिए बुलाया है, जबकि संसद का विशेष सत्र 18-19 सितंबर को पुराने संसद भवन में होगा, वहीं, 19 सितंबर को सत्र दोपहर से नए संसद भवन में आयोजित होगा। इस दिन गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त भी है। यानी 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी के अवसर पर नए संसद भवन का उद्घाटन सत्र औपचारिक रूप से शुरू होगा।
सत्र के पहले दिन पुराने संसद भवन में लिए गए प्रमुख फैसलों, बड़े नेताओं और उनके महान कार्यों को याद किया जाएगा. इस दौरान नई संसद के निर्माण की कहानी, संसद के इतिहास और नए संसद भवन की आवश्यकता पर एक फिल्म दिखाई जाएगी ।
विशेष सत्र में पेश किए जाएंगे दो अहम बिल
विशेष सत्र के दूसरे दिन नए संसद भवन में सत्र का आयोजन किया जाएगा. चंद्रयान-3 और जी 20 की सफलता पर प्रस्ताव पेश किया जायेगा। सरकार इस विशेष सत्र में दो महत्वपूर्ण बिल भी लाने जा रही है। एबीपी न्यूज को सरकार के उच्च सूत्रों ने बताया है कि ये बिल चुनाव सुधार से जुड़े हो सकते हैं। हालांकि, अभी स्पष्ट नहीं है कि ये बिल कौन-कौन से होगें।
बता दें कि नए संसद भवन का उद्घाटन इस साल 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. नई इमारत में कामकाज शुरू होने का इंतजार लंबे समय से किया जा रहा था. संसद की नई इमारत को अत्याधुनिक सुविधाओं और संसाधनों से लैस किया गया है. इसके निर्माण में 862 करोड़ रुपये की लागत आई है. इसमें लोकसभा में 888 और राज्यसभा में 384 सांसदों के बैठने की व्यवस्था है.
new parliament building
नई दिल्ली। भारत के नए संसद भवन में रविवार को पवित्र राजदंड ‘सेंगोल’ को स्थापित किया गया। तमिलनाडु से आए आदिनम संतों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यह सौंपा। आज जब विधिवत पूजा-अर्चन एवं वैदिक मंत्रों के उच्चारण के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी संसद में स्थापना की, तब लाखों लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर व्यक्त करनी शुरू कर दी थीं। सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म पर कुछ देर के लिए प्रधानमंत्री मोदी, नया संसद भवन और सेंगोल ही छाए रहे।
निशांत नाम के एक युवा ने ट्विटर पर लिखा- प्रधानमंत्री जी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद, हमें आज का एक और अविस्मरणीय दिन देने का। आपका सेवा का संकल्प, आपका जुनून हमें ना केवल नया और मजबूत भारत दे रहा है बल्कि हमें हमारी संस्कृति के भी करीब ला रहा है। अब मोदी सिर्फ एक नाम नहीं, विकास, विश्वास और आस की पहचान है। देश आपका नेतृत्व पाकर धन्य है। नई संसद में 2024 में फिर देश आपको चुनने के लिए प्रतिबद्ध है।
आशुतोष कुमार सिंह ने लिखा, देश को अपना संसद भवन आज मिला है। यह एक ऐतिहासिक पल है। जरूरत है इस भवन में आने वाले सांसद भी भारतीय मन वाले हों। आज इस ऐतिहासिक पल का विरोध कर के कुछ राजनीतिक दल भारतीयता को शर्मसार कर रहे हैं। पहले सेंगोल का विरोध और अब संसद भवन का विरोध। गुलामी के प्रतीकों से जब देश आज़ाद हो रहा है, इन राजनीतिक शक्तियों को मिर्ची क्यों लग रही है पता नहीं!
अविनाश सनातनी ने लिखा, आशा है कि यह सेंगोल तुष्टीकरण की राजनीति करने वालों को दंडित करेगा। समान नागरिक संहिता जल्द लागू होगा। समाज को बांटने वाले हंसिए पर जाएंगे। जेहादी तबका अपनी श्रेष्ठता के घमंड से विमुख होगा। देश चहुंओर विकास से प्रफुल्लित होगा। निताशा सिहाग ने लिखा- स्वर्णिम इतिहास का साक्षी सेंगोल! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सम्मान और तमिल परंपरा के महान प्रतीक सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित करा कर एक भारत श्रेष्ठ भारत की हमारी भावना को और सशक्त किया है।
एसएम कलारिया ने लिखा, धर्मदंड प्रतीक है कि धर्म राजा एवं शासक से ऊपर है। नए संसद भवन में इसे स्थापित करने का संदेश है कि इस सदन में बैठे सभी लोगों के पद से ऊपर धर्म है, इसलिए धर्म दंड से कोई नहीं बच सकता।
समीर तेंदुलकर यहां यह व्याख्यायित करते दिखे कि सेंगोल धर्मशास्त्र मनुस्मृति 7.4 से राज दंड है: तस्यार्थे सर्वभूतानां गोप्तारं धर्मं आत्मजम्। ब्रह्मतेजोमयं दण्डं असृजत्पूर्वं ईश्वरः। उस राजा के लिए सृष्टि के प्रारम्भ में ही ईश्वर ने सब प्राणियों की सुरक्षा करने वाले ब्रह्मतेजोमय अर्थात् शिक्षाप्रद और अपराधनाशक गुण वाले धर्मस्वरूपात्मक दण्ड को रचा। यहां नुपुर जे शर्मा ने अपनी टिप्पणी में लिखा, आखिरकार हमने फैसला किया है कि हम अपनी सभ्यता को बचाएंगे। हम कहां से आए हैं, हम क्या थे और हम क्या बनना चाहते हैं, इसकी निशानी। हमारे पूर्वजों ने जिस चीज के लिए संघर्ष किया, उसके लिए मर गए, जिसके लिए संघर्ष किया, उसकी निशानी। उस मिट्टी की निशानी जहां हमारी यादें दबी हैं। फिर से गर्व महसूस करना और एक प्राचीन सभ्यता की महानता को महसूस करना। यह छवि जीवित रहेगी।
श्री हरिहर देसिका स्वामीगल, मदुरै अधीनम के 293वें प्रधान पुजारी यहां यह कहते हुए दिखाई दिए, मुझे नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में भाग लेकर बहुत गर्व है। पीएम मोदी हमेशा तमिल संस्कृति और तमिल लोगों के साथ गर्व से खड़े रहे हैं। मोदी पहले पीएम हैं जिन्होंने तमिल अधीनम को आमंत्रित किया और संसद में तमिल संस्कृति को गर्व से प्रोत्साहित किया। इसके साथ ही देश के प्रसिद्ध चिंतक आनन्द रंगनाथन ने कहा कि किसी सभ्यता की असली निशानी है, न बुझने वाली प्यास, अपने उन पूर्वजों को न्याय दिलाना जिनके साथ अन्याय हुआ है और जिन्हें उनके अपार ज्ञान भंडार के उपरांत भी उपहासित किया गया, उनका गौरव लौटाना, उनकी याद में खुद को भूल जाना। धर्मचक्र-प्रवर्तनाय। कुछ महानता की ओर बढ़ते हैं, अन्य उसमें लौट आते हैं। हम भारतीय दोनों करते हैं।
कुल मिलाकर 28 मई का दिन जहां एक ओर नए संसद भवन के लिए भारतीय इतिहास में दर्ज हो चुका है, वहीं अब यह संसद भवन में भव्य प्रतिष्ठा के साथ सेंगोल की स्थापना के लिए भी जाना जाएगा। इसका यही संदेश है कि धर्म से ऊपर कुछ भी नहीं है, न राजा, न राजसत्ता, न लोक और न ही लोक की सत्ता। वस्तुत: भारत में इसीलिए ही धर्म के लक्षणों की व्याख्या विषद रूप से की गई मिलती भी है। मनुस्मृति, याज्ञवक्य, श्रीमद्भागवत, विदुर नीति, तुलसीदास द्वारा वर्णित धर्मरथापना, पद्मपुराण, धर्मसर्वस्वम् या वाह्य सूत्र अथवा अन्य किसी भी ग्रंथ में आप धर्म के लक्षण देख सकते हैं।
मनु ने मनुस्मृति में धर्म के दस लक्षण बताए- धृति: क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह:। धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्।। धैर्य, क्षमा, संयम, चोरी न करना, शौच (स्वच्छता), इन्द्रियों को वश में रखना, बुद्धि, विद्या, सत्य और क्रोध न करना; ये धर्म के लक्षण हैं। ऋषि याज्ञवल्क्य ने भी यही कहा है और श्रीमद्भागवत में भी यही बात कही गई है। संसद में सेंगोल की स्थापना से निश्चित ही आज यही धर्म पुन: लोक के तंत्र में स्थापित हुआ ऐसा जान पड़ता है। सोशल मीडिया और न्यू मीडिया पर आईं ऐसी लाखों प्रतिक्रियाएं आज यही गवाही दे रही हैं।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को नागरिकों के वॉयसओवर के साथ नई संसद का वीडियो साझा किया है, जिनमें प्रधानमंत्री के अनुरोध पर नागरिकों ने अपने विचार व्यक्त किये हैं। उन्होंने केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी का वॉयसओवर वीडियो भी साझा किया है।
प्रधानमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल से वीडियो को रीट्वीट करते हुए कहा, “कई लोग #MyParliamentMyPride पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त कर रहे हैं। बहुत ही भावुक वॉयसओवर के जरिये वे इस बात पर गर्व की भावना व्यक्त कर रहे हैं कि हमारे देश को एक नई संसद मिल रही है, जो लोगों की आकांक्षाओं को और अधिक उत्साह के साथ पूरा करने के लिए काम करती रहेगी। “कामना करता हूं कि लोकतंत्र का यह मंदिर भारत के विकास आरेख को मजबूत करता रहे और लाखों लोगों को सशक्त बनाता रहे। #MyParliamentMyPride”
नयी दिल्ली। नए संसद भवन के उद्घाटन की तारीख जैसे जैसे करीब आ रही सत्तरूढ़ एनडीए के प्रमुख घातक भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दलों में बयानबाजी तीखी होती जा रही है। विपक्षी दल इस बात से खफा हैं कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराया जाना चाहिए था , लेकिन ऐसा न करके राष्ट्रपति पद का अपमान किया जा रहा है। इसी को मुद्दा बनाते हुए उन्नीस वपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का एलान किया है। दूसरी तरफ सरकार का पक्ष रखते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नए संसद भवन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता का प्रमाण बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री 28 मई को संसद का नवनिर्मित भवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कार्यक्रम पर बुधवार को नेशनल मीडिया सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी। नये संसद पर विपक्ष के विरोध को लेकर बोले गृह मंत्री अमित शाह- ‘अपनी-अपनी सोच, हमने सबको बुलाया।’ अमित शाह बोले, कि इस नई संचरना को रिकॉर्ड समय में बनाने के लिए करीब 60,000 श्रमयोगियों ने अपना योगदान दिया है / इस अवसर पर पीएम सभी श्रमयोगियों का सम्मान भी करेंगे.
ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी
अमित शाह ने कहा, उद्घाटन समारोह में एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी जिसके पीछे युगों से जुड़ी परंपरा है। इसे तमिल में सेंगोल कहा जाता है जिसका सीधा मतलब संपदा से संपन्न होता है। अमित शाह बोले, 14 अगस्त 1947 को एक अनोखी घटना हुई थी। इसके करीब 75 साल बाद आज देश के अधिकांश नागरिकों को इसकी जानकारी नहीं है। सेंगोल ने हमारे इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई थी। ये सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था. इसकी जानकारी पीएम मोदी को मिली तो गहन जांच करवाई गई। फिर निर्णय लिया गया कि इसे देश के सामने रखना चाहिए। इसके लिए नए संसद भवन के लोकार्पण के दिन को चुना गया.
राजनीति चलती रहती है हमने सबको बुलाया है- अमित शाह
एक सवाल के जवाब में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, राजनीति को इसके साथ मत जोड़िए। एक बड़ी वनात्मक प्रक्रिया है पुरानी परंपराओं से नए भारत को जोड़ने की. इसको इतने ही सीमित अर्थ में देखना चाहिए। राजनीति अपनी जगह चलती है। सब अपनी सोचने की क्षमताओं के अनुसार रिएक्शन भी देते हैं और काम भी करते हैं। उन्होंने कहा, हमने सबको बुलाया है.
दूसरी तरफ कांग्रेस समेत 19 विपक्षी पार्टियों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। इन सभी ने एक साझा बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है कि लोकतंत्र की आत्मा को संसद से निष्कासित कर दिया गया है। हमें इस इमारत में कोई मूल्य नहीं दिखता है। इसलिए हमने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है। हम निरंकुश प्रधानंमत्री और उनकी सरकार के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे।
बयान में संसद भवन के उद्घाटन को महत्वपूर्ण अवसर बताते हुए कहा गया है कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है। निरंकुश तरीके से नई संसद का निर्माण किया गया। बावजूद इसके, हम इस महत्वपूर्ण अवसर पर अपने मतभेदों को दूर करने को तैयार थे। लेकिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए जिस तरह से नई संसद बिल्डिंग का उद्घाटन प्रधानमंत्री से कराने का निर्णय लिया गया, वह राष्ट्रपति पद का न केवल अपमान है, बल्कि लोकतंत्र पर सीधा हमला है।
संविधान के अनुच्छेद 19 का हवाला देते हुए बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति न केवल भारत में राज्य का प्रमुख होता है, बल्कि संसद का एक अभिन्न अंग भी होता है। वह संसद को बुलाते हैं, सत्रावसान करते हैं और संबोधित करते हैं। संक्षेप में, राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है। फिर भी प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन उद्घाटन करने का फैसला लिया है। यह अशोभनीय कृत्य राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान है और संविधान के पाठ और भावना का उल्लंघन है।
बयान में कहा गया है संसद को लगातार खोखला करने वाले प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य कोई नई बात नहीं है। नया संसद भवन सदी में एक बार आने वाली महामारी के दौरान बड़े खर्च पर बनाया गया है, जिसमें भारत के लोगों या सांसदों से कोई परामर्श नहीं किया गया है, जिनके लिए बनाया जा रहा है।
बहिष्कार करने वाले 19 राजनीतितिक दल हैं – कांग्रेस , द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), आम आदमी पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), झारखंड मुक्ति मोर्चा , केरल कांग्रेस (मणि) ,विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची , राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) ,तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), जनता दल (यूनाइटेड) (जेडीयू), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीआईएम) , राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) , इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग , नेशनल कांफ्रेंस ,
रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी , मारुमलार्थी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके)।