नई दिल्ली । जापान के स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून मिशन (स्लिम) ने चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिग कर ली है। इसके साथ ही जापान चांद पर पहुंचने वाला पांचवां देश बन गया है। जापान से पहले अमेरिका, रूस, चीन और भारत ने चंद्रमा की सतह पर अपने लैंडर उतारे हैं।
जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) के मुताबिक जापान का मानवरहित अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर पहुंच चुका है। चंद्रमा के अध्ययन के लिए भेजे गए स्मार्ट लैंडर ने टोक्यो के समय के अनुसार शनिवार देर रात 12:20 बजे चंद्रमा की सतह पर उतरा है।
स्लिम यात्री वाहन के आकार का हल्का अंतरिक्ष यान है। साफ्ट लैंडिंग के लिए इसने ‘पिनपाइंट लैंडिंग’ तकनीक का उपयोग किया।
उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-3 मिशन के तहत भारत के विक्रम लैंडर ने 23 अगस्त, 2023 को चांद के दक्षिण ध्रुव पर साफ्ट लैंडिंग की थी।
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नासा ने फोटो जारी कर दिखाई चांद की सतह के संपर्क में आए लैंडर विक्रम के धुएं से निकली रोशनी
वाशिंगटन। भारत का मिशन चंद्रयान-3 लगातार दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने एक विशेष फोटो जारी कर चांद की मिट्टी के संपर्क में आए लैंडर विक्रम के धुएं से निकली रोशनी दिखाई है। नासा ने चंद्रयान-3 के लैंडिंग साइट की फोटो लेकर यहां से साउथ पोल की दूरी भी बताई है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन लगातार चंद्रमा पर चंद्रयान-3 के पहुंचने के बाद से फोटो जारी कर रहा है। अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी एक विशेष फोटो जारी की है। नासा ने उस स्थान की फोटो अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया पर साझा की है, जहां चंद्रयान-3 उतरा था। चंद्रमा पर लैंडिंग के ठीक चार दिन बाद यानी 27 अगस्त को चांद की कक्षा में घूम रहे नासा के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) ने यह तस्वीर खींची थी।
तस्वीर जारी करने के साथ ही नासा ने चंद्रयान मिशन की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा गया है कि चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से लगभग 600 किलोमीटर दूर है। लैंडिंग के चार दिन बाद एलआरओ ने लैंडर का एक तिरछा दृश्य यानी 42 डिग्री स्लीव कोण हासिल किया। साथ ही कहा कि लैंडर के आसपास दिख रही रोशनी लैंडर के धुएं के चांद की मिट्टी के संपर्क में आने से बनी है।
नई दिल्ली । चंद्रयान -3 मिशन के तहत इसरो ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की एक बार फिर सॉफ्ट लैंडिंग कराई है।
सोमवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक्स पर वीडियो जारी करके जानकारी दी कि विक्रम लैंडर अपने मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में और आगे बढ़ गया है। इसरो ने बताया कि कमांड मिलने पर विक्रम लैंडर ने इंजनों को ‘फायर’ किया। अनुमान के मुताबिक करीब 40 सेंटीमीटर तक खुद को ऊपर उठाया और आगे 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर सुरक्षित लैंड किया।
इसरो ने बताया कि विक्रम लैंडर के दोबारा सॉफ्ट लैंडिंग कि इस प्रक्रिया से भविष्य में ‘सैंपल’ वापसी और चंद्रमा पर मानव अभियान को लेकर आशाएं बढ़ी हैं। विक्रम की प्रणालियां ठीक तरह से काम कर रही हैं और वे ठीक हालत में हैं। रैम्प और चैस्ते और इल्सा पे लोड (उपकरणों) को वापस लैंडर में बंद किया गया और प्रयोग के बाद पुन: सफलतापूर्वक तैनात किया गया है।
इससे पहले प्रज्ञान रोवर ने अपना काम पूरा कर लिया है।
श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)। देश के पहले सौर मिशन ‘आदित्य एल-1’ के प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। इसे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) से छोड़ा जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर यह खुशखबरी साझा की है। इसमें कहा गया है कि 23 घंटे 40 मिनट की उल्टी गिनती आज 12 बजकर 10 मिनट पर शुरू हुई।
इस पोस्ट के अनुसार ‘आदित्य एल-1’ शनिवार पूर्वाह्न 11 बजकर 50 मिनट पर प्रक्षेपित किए जाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस मिशन पर ऐसे समय अमल किया जा रहा है जब कुछ दिन पहले भारत का चंद्रयान-3 मिशन सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य तक पहुंच चुका है।
इसरो ने एक्स पर पोस्ट किया- ‘पीएसएलवी-सी57 / आदित्य एल-1 मिशन : भारतीय समय के अनुसार दो सितंबर 2023 को पूर्वाह्न 11 बजकर 50 मिनट पर प्रक्षेपित करने के लिए उल्टी गिनती शुरू।’ इससे पहले इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने यहां मीडिया से कहा था- ‘रॉकेट और सैटेलाइट तैयार हैं। हमने प्रक्षेपण के लिए अभ्यास पूरा कर लिया है। नियत स्थान पर पहुंचने में 125 दिन लगेंगे।’
इसरो की वेबसाइट के मुताबिक आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान को सूर्य के परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और एल-1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। यह सूर्य के अध्ययन के लिए भारत का पहला समर्पित मिशन है।
भारत के इस मिशन पर दुनियाभर के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि सौर मिशन आदित्य एल-1 के माध्यम से एकत्र किए गए आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद सूर्य के अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में नई जानकारी मिल सकेगी। आने वाले दशकों और सदियों में पृथ्वी पर संभावित जलवायु परिवर्तन को समझने के लिए यह आंकड़े महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
नई दिल्ली । चंद्रमा की सतह पर भ्रमण कर रहे प्रज्ञान रोवर ने नई जानकारी दी है। रोवर के भेजे गए सैंपल्स की जांच में सल्फर के मौजूदगी की पुष्टि हुई है। सल्फर, जीवन के लिए एक जरूरी तत्व है। प्रज्ञान रोवर को कई अन्य जरूरी एलिमेंट्स भी मिले हैं। हालांकि, हाइड्रोजन की खोज जारी है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की तरफ से एक्स पर साझा की गई जानकारी के मुताबिक चंद्रमा पर सल्फर मिला है। चंद्रयान-3 मिशन प्रज्ञान रोवर पर लेजर बेस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) उपकरण लगा है। इस उपकरण ने दक्षिण ध्रुव के पास चंद्रमा की सतह पर सल्फर (एस) की उपस्थिति की स्पष्ट रूप से पुष्टि की है। इसके साथ चंद्रमा पर एल्युमिनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैग्नीशियम, सिलिकॉन और ऑक्सीजन का भी पता चला है। हालांकि, चंद्रमा पर हाइड्रोजन की खोज अभी की जा रही है।
भोपाल। खगोल विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए बुधवार, 30 अगस्त का दिन बेहद खास होने जा रहा है। इस दिन रक्षाबंधन के मौके पर आसमान में ब्लू सुपरमून नजर आने वाला है। ब्लूमून नाम से दिखने जा रहे इस सुपरमून की चमक जहां आम पूर्णिमा की तुलना में अधिक होगी, वहीं उसका आकार भी कुछ बड़ा दिखेगा। यह जानकारी मंगलवार को भोपाल की नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने दी।
उन्होंने बताया कि बुधवार को हमसे लगभग 3 लाख 57 हजार 181 किलोमीटर दूर रहकर चांद पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए निकट बिंदु पर होगा। इस कारण वह माइक्रोमून की तुलना में लगभग 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत अधिक चमकदार दिखेगा।
सारिका ने बताया कि दो पूर्णिमा के बीच 29.5 दिन का अंतर होता है और अगर पहली पूर्णिमा महीने की 1 या 2 तारीख को आती है तो दूसरी पूर्णिमा भी उस ही माह आ जाती है। एक ही अंग्रेजी कैलेंडर माह में दो पूर्णिमा आने पर दूसरी पूर्णिमा के चंद्रमा को मंथली ब्लूमून नाम दिया गया है। एक अगस्त को पूर्णिमा के बाद बुधवार, 30 अगस्त को दूसरी पूर्णिमा है।
उन्होंने बताया कि ब्लूमून का दूसरा प्रकार सीजनल ब्लूमून होता है। अगर तीन महीने के किसी खगोलीय सीजन में चार पूर्णिमा आती है, तो तीसरी पूर्णिमा का चांद सीजनल ब्लूमून कहलाता है। सीजनल ब्लूमून कम बार आता है। एक अनुसंधान के अनुसार 1100 सालों में 408 सीजनल ब्लूमून तथा 456 मंथली ब्लूमून की घटना की गणना की गई है। अगला ब्लूमून 2024 में 19 अगस्त को होगा और यह सीजनल ब्लूमून होगा।
सारिका ने बताया कि यह सुपर ब्लू मून नीला नहीं दिखेगा, बल्कि पूर्णिमा के चांद की तरह ही चमक रहा होगा। दुर्लभ वस्तुओं या घटनाओं के नाम के आगे ब्लू लगा दिया जाता है। अत: मान्यता के अनुसार कुछ लोगों ने इसे ब्लूमून नाम दिया है।
उन्होंने बताया कि नीले नहीं सफेद चमक के साथ दिखने जा रहे ब्लूमून नाम के सुपरमून की चमक को रक्षाबंधन बनाते हुए आसमान में देखने का लुफ्त उठा सकते हैं। इसे तिरंगामून नाम भी दे सकते हैं, क्योंकि इस चांद के शिवशक्ति पाइंट के आसपास हमारे तिरंगे के साथ प्रज्ञान रोवर भी चहलकदमी कर रहा है।
इटावा। उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद के बसरेहर कस्बा के निवासी अंकुर गुप्ता ने जनपद का नाम एक बार फिर से रोशन कर दिया है। वैज्ञानिक अंकुर गुप्ता ने मिशन मंगल यान के बाद चंद्रयान-3 की टीम में शामिल होकर जनपद का नाम रोशन किया है। वैज्ञानिक अंकुर गुप्ता के परिवारीजन चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग और बेटे अंकुर के सफल भविष्य की कामना करते हुए पूजा अर्चना कर रहे हैं।
जनपद के बसरेहर कस्बा के निवासी सूरज प्रकाश गुप्ता के बेटे वैज्ञानिक डॉक्टर अंकुर गुप्ता पहले मिशन मंगलयान की टीम शामिल होने के बाद अब चंद्रयान -3 की स्ट्रक्चर टीम में शामिल हुए हैं। बचपन से पढ़ाई में तेज अंकुर गुप्ता ने अपनी मेहनत का लोहा चंद्रयान-3 की टीम में शामिल होकर मनवाया है। अंकुर गुप्ता के परिवारजन और इलाकाई लोग चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए हवन पूजन कर जश्न भी मना रहे हैं।
अंकुर गुप्ता के पिता सूरज गुप्ता ने बताया कि मेरा बेटा पहले मंगलयान में और उसकी पूरी टीम कामयाब हुई थी, इस बार चंद्रयान-3 में भी बेटा शामिल है, हम लोग सुबह से ही हवन पूजन और भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि यह चंद्रयान-3 भी सफलता प्राप्त करे और चंद्रमा की धरती पर सुरक्षित लैंड करे। मां मिथलेश कुमारी ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता मेरे बेटे और पूरी टीम को प्राप्त हो, ईश्वर से यही कामना कर रही हूं।
बड़े भाई संजीव गुप्ता ने बताया कि उनका छोटा भाई अंकुर शुरू से ही पढ़ने में टॉपर था और वैज्ञानिक कार्य में रुचि रखता था, उसके चलते मंगलयान में भी वह शामिल रहा और उसने सफलता को प्राप्त किया। इस बार में वह चंद्रयान-3 की टीम में शामिल है और हम सभी परिवारीजनों और पूरे बसरेहर कस्बा के लोगों की यही दुआ है कि यह सफल हो और भारत का नाम पूरे विश्व में रोशन हो। बताया कि चंद्रयान-3 सफलता के साथ चंद्रमा की धरती पर उतरता है तो पूरे इलाके में मिठाईयां बांटी जाएगी और भारत की जय-जयकार के नारे भी लगेंगे। वैज्ञानिक अंकुर गुप्ता की पत्नी दीक्षा भी वैज्ञानिक है और अपने पति की मेहनत की सफलता की कामना कर रही है।
नई दिल्ली। चंद्रयान-3 द्वारा भेजी गई चंद्रमा की कुछ और तस्वीरें इसरो ने साझा की हैं। इसरो ने मंगलवार को तस्वीरें ट्वीट कर बताया कि देश का महत्वपूर्ण चंद्रमा मिशन एकदम तय समय पर है। सभी सिस्टम की अच्छे से जांच परख की जा रही है। लैंडर विक्रम अपने लक्ष्य की तरफ तेजी से बढ़ रहा है।
इसरो ने 19 अगस्त को लगभग 70 किमी की ऊंचाई से लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (एलपीडीसी) द्वारा ली गई चंद्रमा की तस्वीरें मंगलवार को ट्वीट कीं। एलपीडीसी छवियां लैंडर मॉड्यूल को एक साथ मिलान करके उसकी स्थिति (अक्षांश और देशांतर) निर्धारित करने में सहायता करती हैं।
इसरो ने ट्वीट किया, “मिशन तय समय पर है। सिस्टम की नियमित जांच हो रही है। सुचारू रूप से आगे बढ़ना जारी है। मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (मोक्स) ऊर्जा और उत्साह से भरा हुआ है। मोक्स पर लैंडिंग ऑपरेशन का सीधा प्रसारण शाम पांच बजे से शुरू होगा।”
मॉस्को। चंद्रमा पर एक बार फिर पहुंचने के रूस के महत्वाकांक्षी मिशन की विफलता से रूसी वैज्ञानिक परेशान हैं। चंद्रमा की ओर जा रहे रूसी अंतरिक्ष यान लूना-25 के क्रैश होने के बाद रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने चांद पर पहुंचने के रूसी मिशन को नहीं रुकने देने का एलान किया है। वहीं, लूना-25 की विफलता से निराश एक रूसी वैज्ञानिक की हालत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है।
रूसी अंतरिक्ष यान लूना-25 के क्रैश होने से रूस की चंद्रमा यात्रा के मिशन को बड़ा झटका लगा है। चांद पर रूस की पहुंचने की उम्मीदें खत्म हो गई हैं। इसके बाद रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के प्रमुख यूरी बोरिसोव ने चंद्रमा पर पहुंचने की दौड़ में बने रहने की बात कही है। बोरिसोव का कहना है कि चांद पर पहुंचने के मिशन को किसी भी सूरत में रोका नहीं जाएगा। मिशन को रोकना सबसे खराब फैसला होगा।
अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख ने लूना-25 की विफलता का देश के लंबे समय तक इंतजार करने को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि करीब 50 सालों तक चांद पर पहुंचने के मिशन को रोकना लूना-25 की विफलता का मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि सन् 1960 और 1970 में हमारे वैज्ञानिकों ने गलती से जो भी सीखा था, वह मिशन के लंबे समय तक रुकने के कारण भूल गए। स्पष्ट है कि अगर पहले ही मिशन को इतने दशकों तक रोका नहीं जाता तो आज लूना-25 क्रैश नहीं होता। पहले के प्राप्त अनुभवों को काम में लाया जा सकता था।
लूना-25 क्रैश होने से रूस के वैज्ञानिक समुदाय को करारा झटका लगा है। 90 वर्षीय वैज्ञानिक मिखाइल मारोव तो लूना-25 के क्रैश होने की खबर बर्दाश्त नहीं कर सके। यह जानकारी आते ही उनकी हालत बिगड़ गयी। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मिखाइल मारोव रूस के कई अंतरिक्ष मिशन में शामिल हो चुके हैं। उन्होंने मून मिशन को रूस की बड़ी उम्मीद करार दिया था।
बंगलुरू। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को बताया कि चंद्रयान-3 कल चंद्रमा की कक्षा में किया जाएगा स्थापित किया जायेगा। वैसे चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद से चंअब तक चन्द्रमा कि करीब दो-तिहाई दूरी तय कर ली है। पिछले तीन हफ्तों में इसरो का यह अंतरिक्ष यान को पृथ्वी से और दूरी की कक्षाओं में जा रहा है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि एक अगस्त को एक अहम प्रक्रिया के तहत यान को पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की ओर सफलतापूर्वक भेजा गया।
एजेंसी के बंगलुरू स्थित मुख्यालय ने शुक्रवार को बताया कि ट्रांस-लूनर इंजेक्शन के बाद चंद्रयान-3 पृथ्वी की परिक्रम से बच गया और एक ऐसे रास्ते पर आगे बढ़ने लगा जो इसे चंद्रमा के आसपास के क्षेत्र में ले जाएगा। कल एक और महत्वपूर्ण प्रक्रिया में अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
इसरो ने कहा कि लूनर ऑर्बिट इंजेक्शन (एलओआई) पांच अगस्त को शाम करीब सात बजे के लिए तैयार है। यह प्रक्रिया तब पूरी की जाएगी जब चंद्रयान-3 चंद्रमा के सबसे नजदीक स्थित होगा। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि भारत के तीसरे चंद्र मिशन की स्थिति सामान्य है और 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा।