लखनऊ। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि लोकतंत्र में विधायिका की अहम भूमिका होती है लेकिन विगत कुछ वर्षों से विधायिका को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि संविधान में तय किया गया है कि जुडीशरी की कहां तक शक्तियां हैं। विधायिका की कहां तक लिमिट है और कार्यपालिका की क्या शक्तियां हैं। कुछ समय के बाद लोकतंत्र के चौथे प्रहरी के रूप में मीडिया को भी जोड़ा गया। उन्होंने कहा कि बीते एक साल में विधानसभा में बहुत कुछ नया करने का प्रयास किया गया।
विधानसभा अध्यक्ष श्री महाना शुक्रवार को अपना एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के अवसर पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यूपी विधानसभा में 29 मार्च के बाद हमारा पहला सत्र 2022 में लगभग डेढ़ महीने का था, उस समय में ही विधानसभा में हर सीट के ऊपर टैबलेट्स लगाकर कार्य को पेपरलेस करने का प्रयास हमने किया। आज सभी सदस्य विधानसभा के सत्र के दौरान अपनी उस डिवाइस पर काम करते हैं। उसी के अनुरूप पूरा एजेंडा उस पर होता है।
उन्होंने कहा कि हमारी विधानसभा केवल 403 सदस्यों की नहीं है, यूपी की 25 करोड़ जनता की है। अपनी विधानसभा में सुविधाएं बढ़ने के बाद सदस्यों की उपस्थिति भी बढ़ी है। विधायकों के जन्मदिन पर उनको शुभकामना देने की शुरुआत करने का उल्लेख करते हुए श्री महाना ने कहा कि विधानसभा में काफी कुछ बदलने की कोशिश का नतीजा है कि मैंने ज्यादा से ज्यादा प्रश्न देना शुरू किया। मंत्रीगण विधानसभा में उत्तर देते थे और उत्तर सुनने के बाद फिर अनुपूरक आता था। मैंने कहा नहीं, आपकी डिवाइस के ऊपर आप सीधा बोलिये तो उससे ज्यादा प्रश्न मिलेगा। मैंने कहा इससे काम में थोड़ी सी तेजी आयेगी। सभी के सहयोग के प्रति आभार प्रकट करते हुए विधानसभा अध्यक्ष श्री महाना ने कहा कि उनकी कोशिश होगी कि यूपी विधानसभा में भविष्य में और भी उपयोगी कार्य हों, जिससे सदस्यों की सहभागिता बढ़े और यूपी के जनता की आवाज को और बल मिले।