लखनऊ। विधान परिषद् के सभापति मानवेन्द्र बहादुर सिंह का कहना है कि आज वक़्त कि जरुरत है कि मेडिकल जैसे प्रोफेशनल कोर्सों में चलने वाली पुस्तकें हिंदी में हों। क्योंकि देश में बहुत से युवाओं की मूलभाषा हिंदी ही होती है। इंग्लिश में लिखी पुस्तके पढ़ने में वे अपने को सहज नहीं पाते हैं। उनको विषय वस्तु समझने में परेशानी होती है। श्री सिंह ने कहा कि ऐसे में डॉक्टर तिलक राज कालरा द्वारा मेडिकल छात्रों के लिए लिखी गयी पुस्तक ‘ पोस्ट मोर्टेम – प्रक्रिया एवं अंकन ‘ एक बहुत ही सराहनीय प्रयास है। चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में यह पुस्तक मील का पत्थर साबित होगी।
श्री सिंह ने कहा कि सरकार को भी प्रोफेशनल कोर्सों की पुस्तके हिंदी व अन्य क्षेत्रीय भाषाओ में लिखवानी चाहिए और ऐसे लेखकों को बढ़ावा भी देना चाहिए। इस मौके पर इस पुस्तक के लेखक पूर्व चिकित्सा अधीक्षक किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, पूर्व चिकित्सा अधीक्षक संजय गाँधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट डॉक्टर कालरा ने कहा कि पोस्ट मॉर्टम एक बहुत जटिल प्रक्रिया है। इसमें बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है। मेडिकल की पढाई करते समय उन्होंने साथी छात्रों को भाषागत समस्याओं से जूझते देखा था। तभी से सोच रखा था कि कभी इस समस्या से जूझते छात्रों के जब वक़्त मिलेगा हिंदी में जरूर लिखूंगा। उन्होंने बताया कि यह पुस्तक लिखने में उनको परिवार का भी भरपूर सहयोग मिला क्योंकि उनके परिवार ज्यादातर सदस्य डॉक्टर ही है।
उधर लखनऊ में ही विगत दिवस जन कल्याण नेत्र चिकित्सालय के उद्घाटन के अवसर डॉक्टर कालरा को नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जे पी गुप्ता ने इसी पुस्तक के लिए सम्मानित किया। कार्यक्रम में कई गणमान्य लोग भी उपस्थित थे।