नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 105वें संस्करण में कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता के बाद जी-20 के शानदार आयोजन ने हर भारतीय की खुशी को दोगुना कर दिया। भारत मंडपम तो अपने आप में एक सेलिब्रिटी की तरह हो गया है। लोग उसके साथ सेल्फी लेकर उसे गर्व से पोस्ट भी कर रहे हैं। भारत ने इस समिट में अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में पूर्ण सदस्य बनाकर अपने नेतृत्व का लोहा मनवाया है। इससे पहले प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम के संबंध में एक्स पर कहा कि प्रेरक जीवन यात्राओं को उजागर करने में हमेशा खुशी होती है।
उन्होंने कहा कि जब भारत बहुत समृद्ध था तब हमारे देश में और दुनिया में सिल्क रूट की बहुत चर्चा होती थी। यह सिल्क रूट व्यापार-कारोबार का बहुत बड़ा माध्यम था। अब आधुनिक जमाने में भारत ने एक और इकोनॉमिक कॉरिडोर जी-20 में सुझाया है। यह है इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर। यह आने वाले सैकड़ों वर्षों तक विश्व व्यापार का आधार बनने जा रहा है और इतिहास इस बात को हमेशा याद रखेगा कि इस कॉरिडोर का सूत्रपात भारत की धरती पर हुआ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली में एक और रोमांचक कार्यक्रम ‘जी-20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट प्रोग्राम’ होने जा रहा है। इस प्रोग्राम से देशभर के लाखों यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी एक-दूसरे से जुड़ेंगे। इसमें आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी और मेडिकल कॉलेजों जैसे कई प्रतिष्ठित संस्थान भी भाग लेंगे। मैं चाहूंगा कि अगर आप कॉलेज स्टूडेंट हैं तो 26 सितंबर को होने वाले इस कार्यक्रम को जरूर देखिएगा। इससे जरूर जुड़िएगा।
‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों को विश्व पर्यटन दिवस की भी याद दिलाई। उन्होंने कहा 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस है। पर्यटन को कुछ लोग सिर्फ सैर-सपाटे के तौर पर देखते हैं, लेकिन पर्यटन का बहुत बड़ा पहलू रोजगार से जुड़ा है। मेरा आप सबसे आग्रह है कि जब आप कहीं घूमने जाने की योजना बनाएं, तो ये प्रयास करें कि भारत की विविधता की दर्शन करें। बीते कुछ वर्षों में भारत के प्रति आकर्षण बढ़ा है और जी-20 के सफल आयोजन के बाद दुनिया के लोगों की रुचि भारत की ओर बढ़ गई है।
उन्होंने कहा किभारत में अब वैश्विक धरोहर की संख्या 42 हो गई है। भारत का प्रयास है कि हमारी ज्यादा से ज्यादा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जगहों को विश्व धरोहर के तौर पर मान्यता मिले। भारत में एक से बढ़कर एक विश्व हेरिटेज साइट्स हैं। कुछ ही दिन पहले शांति निकेतन और कर्नाटक के पवित्र होयसड़ा मंदिरों को विश्व धरोहर घोषित किया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 21 साल की कैसमी इन दिनों इंस्टाग्राम पर खूब छाई हुई है। जर्मनी की रहने वाली कैसमी कभी भारत नहीं आई है, लेकिन वो भारतीय संगीत की दीवानी है, जिसने कभी भारत को देखा तक नहीं उसकी भारतीय संगीत में ये रुचि बहुत ही प्रेरणादायक है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के नैनीताल जिले में कुछ युवाओं ने बच्चों के लिए अनोखे घोड़ा पुस्तकालय की शुरुआत की है। इस पुस्तकालय की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि दुर्गम से दुर्गम इलाकों में भी इसके जरिए बच्चों तक पुस्तकें पहुंच रही हैं और इतना ही नहीं, ये सेवा बिल्कुल निशुल्क है। अब तक इसके माध्यम से नैनीताल के 12 गांवों को कवर किया गया है।
उल्लेखनीय है कि ‘मन की बात’ का प्रसारण 22 भारतीय भाषाओं और 29 बोलियों के अलावा फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तू, फारसी सहित 11 विदेशी भाषाओं में किया जाता है। यह कार्यक्रम आकाशवाणी के 500 से अधिक केंद्रों से प्रसारित होता है। इसी साल 30 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ धाराविहक के 100 संस्करण पूरे हुए थे। इस ऐतिहासिक क्षण को यादगार बनाने के लिए पूरे देश में इसकी लाइव स्क्रीनिंग की गई। न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भी ‘मन की बात’ के इस संस्करण का सीधा प्रसारण किया गया। दिल्ली में 6530 स्थानों पर इसे लाइव सुना गया।
man ki baat
नई दिल्ली, 27 अगस्त । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में मिशन चन्द्रयान को नारी शक्ति से जोड़ा और कहा कि भारत की बेटियां अब अनंत समझे जाने वाले अंतरिक्ष को भी चुनौती दे रही हैं।
प्रधानमंत्री ने मन की बात के 104वें एपिसोड में अपने लाल किले से दिए भाषण को याद किया। उसमें उन्होंने महिला नेतृत्व में विकास की बात कही थी। उन्होंने कहा कि भारत के मिशन चन्द्रयान से कई महिला वैज्ञानिक जुड़ी रहीं। इन्होंने प्रोजेक्ट निदेशक और प्रोजक्ट प्रबंधक जैसी भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि मिशन चन्द्रयान-3 की सफलता का श्रेय सबके प्रयास को दिया जाना चाहिए। कई क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने इसमें अपनी भूमिका निभाई है। सबके प्रयास का यही मंत्र आगे आने वाले समय में देश को अनगिनत सफलताएं हासिल कराएगा। उन्होंने कहा कि भारत का चंद्रयान मिशन ‘नए भारत’ की भावना का प्रतीक है जो जीत सुनिश्चित करता है और किसी भी परिस्थिति में कैसे जीत हासिल की जाती है, जानता है।
उन्होंने कहा कि जी-20 देशों के नेताओं के शिखर सम्मेलन का दिल्ली में आयोजन होने जा रहा है। इसके चलते सितंबर का महीना भारत के सामर्थ्य का साक्षी बनने जा रहा है। भारत जी-20 सम्मेलन के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसमें 40 देशों के राष्ट्राध्यक्ष और अनेक वैश्विक संगठन शामिल होंगे। यह जी-20 के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी होगी। भारत ने जी-20 अध्यक्षता को समावेशी बनाने के प्रयास किए हैं। भारत के कहने पर अफ्रीकी संघ जी-20 से जुड़ा और अफ्रीका के लोगों की आवाज इस मंच तक पहुंची।
विश्वविद्यालय खेलों में भारत की उपलब्धि का विशेष उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने इससे जुड़े प्रतिभागियों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि अब तक 1959 के बाद जितने ऐसे खेल हुए हैं उसमें जितने मेडल भारत ने जीते हैं, इस बार उससे ज्यादा मेडल (26) हमने जीते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार आयोजित ‘हर घर तिरंगा’ अभियान वास्तव में ‘हर मन तिरंगा’ अभियान बन गया। देश में हर जगह तिरंगा ही तिरंगा दिखाई दिया। पोस्ट ऑफिस से डेढ़ करोड़ तिरंगे खरीदे गए। तिरंगे के साथ सेल्फी पोस्ट में भी इस बार देशवासियों ने रिकॉर्ड बना दिया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर ध्यान दिलाया कि अब योग, आयुर्वेद और दर्शनशास्त्र के शोधार्थी संस्कृत सीख रहे हैं। उन्हें खुशी है कि संस्कृत को लेकर जागरुकता और गौरव का भाव बढ़ा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संस्कृति और परंपरा से जुड़ने का सबसे सशक्त माध्यम मातृभाषा है। इसी क्रम में उन्होंने आज तेलुगु भाषा का जिक्र किया और बताया कि तेलुगु भाषा दिवस 29 अगस्त को मनाया जाएगा। इस भाषा के साहित्य और विरासत में भारतीय संस्कृति के कई अनमोल रत्न छिपे हैं। इस विरासत का लाभ पूरे देश को मिले इसके लिए कई प्रयास भी किया जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने बेंगलुरु के धनपाल के अपनी विरासत के बारे में जानने से जुड़े पैशन की सराहना की और बताया कैसे एक छोटे से घटनाक्रम ने उन्हें इसे जानने के लिए प्रेरित किया। प्रधानमंत्री ने ब्रायन डी खारपान की स्पेलियोलोजी में दिलचस्पी की सराहना करते हुए बताया कि उनकी टीम ने मेघालय की 1700 से ज्यादा गुफाओं की खोज की। इससे राज्य गुफाओं के मामले में वर्ल्ड मैप में पहुंच गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि देशवासियों को भी इन गुफाओं को घूमने की योजना बनानी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने रेलवे की ‘ट्रक ऑन ट्रेक’ सुविधा का उल्लेख किया और बताया कि कैसे इसके माध्यम से ईंधन की बचत हो रही है और प्रदूषण को रोका जा रहा है। गुजरात की बनास डेयरी इसके माध्यम से दूध को एक स्थान से दूसरे स्थान बिना खराब हुए और आसानी से ले जा पा रही है। प्रधानमंत्री राजस्थान के कोटा में डेयरी फार्म चला रहे मनप्रीत सिंह की जानकारी दी। जिन्होंने बायोगैस प्लांट के जरिए बिजली खर्च को 70 प्रतिशत कम किया है। उन्होंने केरल के मालाबार मिल्क यूनियन डेयरी के पशुओं की बीमारियों के लिए आयुर्वेदिक इलाज विकसित करने के प्रयास की भी सराहना की।
मन की बात में बोले PM मोदी- ‘देश में बह रही अमृत महोत्सव की अमृत धारा’
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशवासियों से ‘मन की बात’ के 92 वें एपिसोड में कई विषयों पर देशवासियों से सीधा संवाद किया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने अमृत महोत्सव, अमृत सरोवर अभियान, डिजिटल इंडिया और ग्रामीण भारत की सफलता की कहानियों का जिक्र करते हुए देशवासियों से अगले महीने शुरू हो रहे पोषण अभियान से जुड़ने की अपील की है। रेडियो कार्यक्रम मन की बात की शुरुआत 2014 में हुई थी। पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम की जानकारी शनिवार को खुद ट्वीट करके दी थी।
मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश में अमृत महोत्सव को काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। देश की जनता ने तिरंगा यात्रा को भी सफल बनाया है। इस समय देश में अमृत महोत्सव की अमृत धारा बह रही है। पीएम मोदी ने कहा कि देशभक्ति का जज्बा देखने को मिल रहा है। जब बात देश पर आई तो सभी लोग एकजुट हो गए। मुझे अमृत महोत्सव और तिरंगा यात्रा को लेकर कई पत्र मिले हैं।
पीएम मोदी ने कहा, ‘मैंने 4 महीने पहले अमृत सरोवर की बात की थी। इसे लेकर जिला और ब्लॉक स्तर तक में सभी लोग जुट गए। जल सर्वोत्तम औषधि और पालनहार है। तेलंगाना में भी एक सरोवर को अमृत सरोवर के रूप में विकसित किया जा रहा है।’ पीएम मोदी ने कहा कि अमृत सरोवर के कारण आसपास जलस्तर बढ़ा है। जानवरों के लिए पानी भी उपलब्ध हुआ है। उन्होंने इस दौरान तेलंगाना के वारंगल, मध्य प्रदेश के मंडला और उत्तर प्रदेश के ललितपुर में बनाए जा रहे अमृत सरोवर का उदाहरण दिया।
पीएम मोदी ने कहा, ‘मेरा, आप सभी से और खास कर मेरे युवा साथियों से आग्रह है कि आप अमृत सरोवर अभियान में बढ़-चढ़कर के हिस्सा लें और जल संचय और जलसंरक्षण के इन प्रयासों को पूरी की पूरी ताकत दें, उसको आगे बढ़ाएं।’