मुंबई। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पार्टी के नेता और राज्यसभा सदस्य संजय राऊत ने कहा कि उद्धव ठाकरे नागपुर में सोमवार से होने वाले विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि महाविकास आघाड़ी के महामोर्चे को नैनो कहना उनकी नैनो बुद्धि का ही लक्षण है। मुंबई सीएसएमटी (बोरीबंदर ) से भायखला जीजामाता उद्यान (रानी बाग) तक महाराष्ट्रप्रेमियों की भीड़ जमा थी। इतने विशाल मोर्चे को देवेंद्र फडणवीस अगर नैनो कह रहे थे, तो इसका मतलब उनका राजनीतिक कार्यकाल बेमतलब साबित हो जाता है।
राऊत रविवार को यहां पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने बताया कि देवेंद्र फडणवीस भाजपा के वरिष्ठ और बुद्धिमान नेता हैं, लेकिन महाविकास अघाड़ी मोर्चा को नैनो मोर्चा कहना गलत है। अगर यह बात शिंदे समूह ने की होती तो बात समझी जा सकती थी। इसका कारण शिंदे गुट के 40 विधायक नैनोबुद्धी के हैं। राऊत ने कहा कि राज्य में शिंदे-फडणवीस सरकार ही नैनो सरकार है। जिस तरह से नैनो गाड़ी का कारखाना बंद हो गया, उसी तरह यह नैनो कारखाने वाली सरकार भी जल्द बंद हो जाएगी।
सांसद राऊत ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस बहुत साल विपक्ष में थे, उन्हें सब कुछ सोच समझ कर व्यक्तव्य देना चाहिए, वर्ना उनकी फजीहत होगी। संजय राऊत ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज, डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर, महात्मा ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई फुले, राजर्षि शाहू महाराज के विरुद्ध अपमानजनक बयानबाजी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत शिंदे -फडणवीस सरकार में नहीं है। इसलिए सरकार को जागरूक करने के लिए इसके आगे भी इसी तरह का विरोध किया जाता रहेगा।
शनिवार को महाविकास आघाडी ने महापुरुषों के बार-बार अपमान, महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद और अन्य मुद्दों को लेकर महामोर्चा निकाला था। इस मोर्चे में समाजवादी पार्टी, शेतकरी कामगार पक्ष सहित अन्य दल सहभागी हुए थे।
Mahamorcha
मुंबई। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाविकास आघाड़ी के शनिवार को होने वाले महामोर्चा को गृह विभाग ने उनकी मांग के अनुसार अनुमति दी है। इस मोर्चे में महाविकास आघाड़ी के नेताओं को शहर की कानून व्यवस्था को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।
देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को पत्रकारों को बताया कि महाविकास आघाड़ी ने जिस मार्ग से मोर्चा निकालने की मांग की थी, उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन महाविकास आघाड़ी महापुरुषों के अपमान के नाम पर यह महामोर्चा निकाल रही है, जबकि महाविकास आघाड़ी के कई नेता खुद महापुरुषों का और साधु-संतों का अपमान कर रहे हैं। इन नेताओं को इस पर भी ध्यान देना चाहिए।
दरअसल, महाविकास आघाड़ी की ओर से छत्रपति शिवाजी महाराज का महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी की ओर अपमानजनक व्यक्तव्य के विरोध में शनिवार को महामोर्चा निकाले जाने की घोषणा की गई है। इस मोर्चे की अनुमति पुलिस ने शुक्रवार सुबह तक नहीं दी गई थी। इसी वजह से विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार ने कहा था कि लोकशाही शासन व्यवस्था में मोर्चा निकाला जाना जनता का अधिकार है और हम कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी का निवर्हन करने के लिए तैयार हैं। पूर्व मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि अगर महामोर्चे को अनुमति नहीं दी गई तो भी महामोर्चा निकाला जाएगा। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पार्टी के प्रवक्ता संजय राऊत ने आज सुबह कहा कि सरकार शायद पिछले दरवाजे से आपातकाल लागू करना चाहती है, इसी वजह से महामोर्चे को अनुमति नहीं दे रही है, लेकिन महामोर्चा किसी भी कीमत पर निकाला जाएगा।