नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सांसद महुआ से जुड़े कैश फॉर क्वेश्चन कांड के बाद केंद्र सरकार ने सभी सांसदों को लेकर व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया गया है। इस बदलाव के बाद सांसद से जुड़े अधिकारीयों के अधिकारों में कटौती कर दी है जिससे सांसद का आईडी और पासवर्ड किसी और को शेयर नहीं किया जा सकता है।
दरअसल भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया था कि महुआ ने अपने सांसद पोर्टल की आईडी-पासवर्ड एक व्यापारी के सतह शेयर किया था और इसे दुबई से लॉग इन भी किया गया था। इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए महुआ ने कहा था कि दुबई से लॉग इन उनके सहयोगियों ने किया था।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने अब इसी व्यवस्था को लेकर बदलाव किया है। अब सांसद अपना आईडी और पासवर्ड को किसी के भी साथ शेयर नहीं कर पाएंगे। सूत्रों से मिलीजानकारी के अनुसार, लोकसभा सचिवालय ने डिजिटल संसद पोर्टल और ऐप्स से एमपी के सचिवों और निजी सहायकों का एक्सेस डिसेबल कर दिया है। इससे सांसदों के रूटीन काम जैसे- संसद में पूछे जाने वालों सवालों का सबमिशन, ईमेल एक्सेस और टीए बिल सबमिट करने भी फंस सकते हैं। अब इन सबका एक्सेस केवल सांसद के पास ही होगा। हालांकि, लोकसभा सचिवालय ने इस सम्बन्ध में अभी तक आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी करके बदलाव की पुष्टि नहीं की है।
मालूम हो कि लोकसभा की एथिक्स कमिटी ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को अपने आधिकारिक ईमेल का पासवर्ड किसी बाहरी व्यक्ति से शेयर करने का दोषी पाया गया था। जिसके बाद यह फैसला लिया गया है। अब इस फैसले के बाद लोकसभा पोर्टल या उसके ऐप पर पासवर्ड और ओटीपी शेयरिंग नहीं हो पाएगी। माना जा रहा है कि इस बदलाव से कई सांसदों को बड़ी परेशानी होने वाली है, क्योंकि उन्हें इस प्रक्रिया के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।
पुरानी व्यवस्था में यह इज़ाज़त थी कि सांसद अपना लॉग इन आईडी और पासवर्ड अपने सचिवों या सहायकों को अकाउंट का एक्सेस दे सकें। इसके लिए उन्हें कर्मचारी का ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर लोकसभा सचिवालय को देना होता था। जिसके बाद वह भी इसका एक्सेस कर सकते थे। लेकिन अब ऐसा करना मुमकिन नहीं होगा। अब सांसदों को कई सारे काम खुद ही निपटाने होंगे।
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