काठमांडू । नेपाल में अब तक के सबसे बडे़ जमीन घोटाला मामले में दो पूर्व सचिव सहित एक सौ से अधिक सरकारी कर्मचारियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई गई है। सरकारी अधिकारियों के अलावा कई भू माफिया और बडे़ व्यापारियों को भी सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही अदालत ने बेची गई करीब 10 बीघा जमीन को पुन: सरकार के नाम करने का फैसला भी सुनाया है।
काठमांडू में प्रधानमंत्री के सरकारी आवास के आसपास की करीब 10 बीघा जमीन को पहले संस्था के नाम पर करते हुए उस जमीन की प्लॉटिंग कर अलग अलग व्यक्तियों को बेचने के आरोप में नेपाल सरकार के चार पूर्व सचिव सहित 131 सरकारी कर्मचारियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई गई है। इसके अलावा इस मामले में कई भूमाफिया और बिचौलिए को भी दोषी पाया गया है। इनमें देश के सबसे बडे़ शॉपिंग मॉल चेन के मालिक भी हैं, जिन्हें दो साल तक की जेल की सजा और 80 लाख रुपये जुर्माना की सजा मुकर्रर की गई है।
सरकारी भ्रष्टाचार सम्बंधी जांच एजेंसी अख्तियार दुरुपयोग अनुसंधान आयोग की तरफ से काठमांडू की विशेष अदालत में दायर रिट पर फैसला सुनाते हुए इसमें शामिल सभी सरकारी कर्मचारियों को दोषी करार दिया गया। हालांकि अख्तियार की तरफ से दायर याचिका में दो पूर्व प्रधानमंत्री, एक पूर्व उपप्रधानमंत्री, तीन विभागीय मंत्रियों को भी आरोपित बनाया गया था। विशेष अदालत ने अपने फैसले में पूर्व प्रधानमंत्री और मंत्रियों के खिलाफ सजा सुनाने को क्षेत्राधिकार से बाहर की बात कही है।
विशेष अदालत के फैसले में इस जमीन घोटाला को नीतिगत भ्रष्टाचार बताते हुए इस जमीन को संस्था के नाम पर करने से लेकर व्यक्ति के नाम पर करने तक जितने भी सरकारी कर्मचारी भौतिक योजना मंत्रालय में कार्यरत थे, उन सबकी भूमिका पर उन्हें दोषी करार दिया गया है। सजा पाने वालों में अख्तियार दुरुपयोग अनुसंधान आयोग के पूर्व प्रमुख दीप बस्नेत भी शामिल हैं। वो अख्तियार का प्रमुख बनने से पहले भौतिक मंत्रालय में सचिव के पद पर कार्यरत थे। इसी तरह पूर्व सचिव छविराज पन्त को भी जेल की सजा सुनाई गई है।
विशेष अदालत के रजिस्ट्रार धन बहादुर कार्की ने पत्रकार सम्मेलन में बताया कि करीब 10 बीघा जमीन को पुन: सरकार के नाम पर करने का फैसला दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस जमीन घोटाला के मुख्य योजनाकार देश के सबसे बडे़ रिटेल चेन भाटभटेनी सुपर स्टोर के संचालक मीन बहादुर गुरूंग, भूमाफिया शोभाकान्त ढकाल तथा रामकुमार सुवेदी को मुख्य अभियुक्त करार दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में अख्तियार द्वारा आरोपित बनाए गए पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व उप प्रधानमंत्री, पूर्व मंत्रियों को बरी कर दिया गया है।
अदालत ने राजनीतिक नेताओं को यह कहते हुए बरी किया है कि सरकारी जमीन को संस्था के नाम पर और संस्था की जमीन को व्यक्तियों के नाम पर करने की फाइल को कैबिनेट में ले जाने के कारण ही पूर्व उपप्रधानमंत्री विजय कुमार गच्छेदार, पूर्व मंत्री द्वय चन्द्र देव जोशी तथा डम्बर बहादुर श्रेष्ठ को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि कैबिनेट से ही निर्णय कर इसे संस्थागत भ्रष्टाचार करने की बात साबित होते हुए भी कैबिनेट की अध्यक्षता करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल तथा डा बाबूराम भट्टराई को अकेले ही दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। चूंकि इस निर्णय प्रक्रिया में सम्पूर्ण कैबिनेट का हस्ताक्षर हैं, इसलिए कैबिनेट के किसी नीतिगत निर्णय पर फैसला देने का अधिकार विशेष अदालत के पास नहीं है।
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रांची। झारखंड में बुधवार का दिन बहुत राजनितिक हलचल वाला रहा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लंबी पूछताछ के बाद रात में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार कर लिया गया है। वह ईडी की हिरासत में राजभवन गए हैं। जहाँ उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया। हेमंत सोरेन की जगह चम्पई सोरेन ने सरकार बनाने का दावा किया है। चम्पई सोरेन का कहना है की 47 विधायक हमारे साथ हैं इसलिए सरकार बनाने का निमंत्रण दिया जाये। राज्यपाल ने जल्दी ही स्थिति का परिक्षण करके फैसला लेने की बात की है।
इसके पूर्व दोपहर में हेमंत सोरेन से पूछताछ शुरू की। पड़ताल करीब नौ घंटे चली। इसके बाद ईडी ने उनको गिरफ़्तारी देने को कहा तो हेमंत सोरेन ने गिरफ़्तारी मेमो पर दस्तखत करने से इंकार कर दिया है। सूत्रों के अनुसार सोरेन का कहाँ है की पहले वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे फिर गिरफ़्तारी देंगे। बताया जा रहा है इस्तीफे के बाद ईडी सोरेन को आधिकारिक तौर पर गिरफ्तार कर लेगी। जेएमएम सांसद महुआ मांझी ने भी कहा कि हेमंत सोरेन को ईडी अपने हिरासत में लेकर गर्वनर हाउस तक ले गई है।
सत्ता पक्ष में शामिल गठबंधन के दलों के विधायक तीन बस और अन्य वाहनों से बुधवार रात राजभवन पहुंच गए हैं। भी विधायक राजभवन में राज्यपाल से मिलेंगे। हालाँकि जानकारी के अनुसार राज्यपाल ने विधायकों से मिलने से इंकार कर दिया है।
पहले से लटक रही थी गिरफ्तारी की तलवार
मुख्यमंत्री आवास पर डीजीपी और आईजी के पहुंचने के बाद हलचल तेज हो गई थी जिसके बाद से ही मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी की अटकलें लगने लगी थी। इससे पहले ईडी के अधिकारियों ने भारी सुरक्षा घेरे के बीच झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कथित भूमि घोटाले से मनी लांड्रिंग मामले में बुधवार को उनके आवास पर पूछताछ शुरू की। हेमंत सोरेन से ईडी ने कई घंटे सीएम हाउस पर लंबी पूछताछ की थी।
20 जनवरी को 7 घंटे से ज्यादा ईडी ने पूछताछ की थी
इससे पहले हेमंत सोरेन से 20 जनवरी को इसी मामले में पूछताछ की गई थी। एक अधिकारी ने बताया कि उस दिन पूछताछ पूरी नहीं हो पाई थी। उस दिन सोरेन से सात घंटे से अधिक वक्त तक पूछताछ की गई थी। ईडी के अधिकारियों ने कहा कि झारखंड में ‘माफिया द्वारा भूमि के स्वामित्व को गैर कानूनी तरीके से बदलने के एक बड़े रैकेट’ की जांच के तहत सोरेन से पूछताछ की जा रही है।
मुख्यमंत्री आवास के पास धारा 144 लागू
राजधानी रांची के मुख्य स्थानों और मुख्यमंत्री आवास के सौ मीटर के दायरे में सुबह नौ बजे से रात दस बजे तक धारा 144 लागू की गई है। यहां पर किसी को आने-जाने की इजाजत नहीं है। बड़ी संख्या में अद्धसैनिक बल तैनात किए गए हैं। वहीं, भारी संख्या में पुलिस भी मौके पर है।
जेएमएम विधायकों का विरोध प्रदर्शन
मुख्यमंत्री से ईडी की पूछताछ शुरू किये जाने से पहले बुधवार सुबह ही झामुमो नीत गठबंधन के विधायक यहां उनके आवास पर पहुंच गए। स्वास्थ्य मंत्री और कांग्रेस नेता बन्ना गुप्ता ने कहा कि सोरेन जांच में सहयोग कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं का यह कर्तव्य है कि वे इस प्रकार की जांच ठीक ढंग से करें। राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि सभी विधायक मुख्यमंत्री के साथ हैं। इस बीच सोरेन के खिलाफ ईडी की कार्रवाई के विरोध में झामुमो समर्थकों ने पास के मोरहाबादी मैदान और कुछ अन्य स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘केन्द्र के निर्देश पर ईडी हमारे मुख्यमंत्री को जानबूझ कर परेशान कर रही है।