लखनऊ। कुछ महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस को दरकिनार करते हुए उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच गठबंधन का ऐलान कर दिया गया है। दोनों दल यूपी की 80 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी की मुलाकात हुई। मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि राष्ट्रीय लोकदल और सपा के गठबंधन की सभी को बधाई, जीत के लिए सभी एकजुट हो जाएं, जुट जाएं। अखिलेश यादव के पोस्ट की रीट्वीट करते हुए जयंत चौधरी ने लिखा कि राष्ट्रीय, संवैधानिक मूल्यों के रक्षा के लिए सदैव तत्पर, हमारे गठबंधन की सभी कार्यकर्ताओं से उम्मीद है कि अपने क्षेत्र के विकास और खुशहाली के लिए कदम मिलाकर आगे बढ़े।
इस तस्वीर के बाद सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, सपा ने आरएलडी के साथ सीट बंटवारा फाइनल कर लिया है। अखिलेश ने जयंत को सात सीटें लड़ने के लिए दी हैं। 2019 में आरएलडी के हिस्से तीन सीटें थीं। इस बार आरएलडी को सात सीटें मिली हैं। माना जा रहा है कि पिछली बार वाली बागपत समेत तीनों सीटें उसे मिली हैं। उसके अलावा चार सीटें और दी गई हैं। खबरों के अनुसार बागपत, मथुरा, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, अमरोहा और कैराना लोकसभा सीट आरएलडी को जाएगी। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि रालोद के लिए सपा ने कौन सी सीटें छोड़ीं हैं। अखिलेश यादव का अभी कांग्रेस के साथ सीट बंटवारा फाइनल नही हुआ लेकिन बदले हुए घटनाक्रम के तहत आज समाजवादी पार्टी ने अपना समझौता आरएलडी के साथ फाइनल करके कांग्रेस पर दबाव बढ़ा दिया है।
वैसे तो सपा इंडिया गठबंधन का हिस्सा है, लेकिन उसके और कांग्रेस के बीच अभी तक राज्य में सीटों की डील फाइनल नहीं हो पाई है। यूपी में कांग्रेस ने कुल 80 सीटों में से 20 सीटों की डिमांड की है। हालांकि, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी कांग्रेस की इतनी सीटों की मांग से सहमत नहीं हैं। हाल ही में हुई इंडिया गठबंधन की बैठक में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने इस बात पर सहमति जताई कि जिस पार्टी के जिस सीट को जीतने की क्षमता है, उसी आधार पर सीटों का बंटवारा होना चाहिए।
jayant chaudhry
लखनऊ। अगले साल होने वाले चुनावों के लिए राजनीतिक गलियारों में नेता नए नए मुद्दे उछालने लगे हैं। जोर पकड़ती जातीय जनगणना की मांग को दबाने के लिए केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने अलग पश्चिम उत्तर प्रदेश का मुद्दा उठा कर विपक्ष को बैक फुट पर ला दिया है। बालियान की इस मांग के साथ समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के कुछ नेता भी सुर से सुर मिलाने लग गए हैं।
मेरठ में बीते दिवस हुए एक कार्यक्रम में केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बालियान ने पश्चिमी यूपी को अलग राज्य घोषित करने की मांग को उठाया था, जिसके बाद रामपुर तिराहा कांड की बरसी पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे संजीव बालियान पश्चिमी यूपी को अलग राज्य करने की मांग पर अडिग नजर आये। उन्होंने कहा कि अलग राज्य बनने पर पश्चिमी यूपी को बहुत से फायदे होंगे, एम्स बनेगा, आईआईटी बनेगी, जनता को अलग राज्य के फायदे ही फायदे हैं।
केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान ने बताया कि अलग राज्य सब चाहते है। पश्चिम उत्तर प्रदेश का हर व्यक्ति चाहता है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में अलग प्रदेश बने क्योंकि हाई कोर्ट हमसे दूर है, राजधानी हमसे दूर है। उन्होंने कहा कि एम्स जैसी सुविधाएं हर प्रदेश में दी जाए। हर प्रदेश में एक आईआईटी खुले। अगर अलग प्रदेश बनेगा एम्स भी मिलेगा आपको आईआईटी भी मिल सकती है, जो छोटे प्रदेश है जैसे उत्तराखंड है वहां एम्स भी है बाकी सब चीज हैं, जबकि हमारे यहां नहीं है, जितने हमारे दो ज़िले की आबादी है इतनी उत्तराखंड की है। उन्होंने कहा कि अलग से राज्य बनाने की मांग जनता की आवाज है।
डा. संजीव बालियान का बयान सामने आने के बाद राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि डा. बालियान को किसने रोका है, केन्द्र व प्रदेश में उनकी सरकार है। वे केवल जुमलेबाजी कर रहे हैं और लोगों का बेवकूफ बना रहे हैं। जयंत चौधरी ने कहा कि प्रदेश सरकार को तत्काल प्रस्ताव भेजना चाहिए और केन्द्र को मंजूरी देकर अलग राज्य का गठन कर देना चाहिए। पश्चिम उत्तर प्रदेश के 22 जिलों को मिलाकर अलग प्रदेश बनने से सभी को फायदा होगा और रालोद की तो यह मांग लम्बे समय से रही है कि उत्तर प्रदेश को चार क्षेत्र में विभाजित कर मेरठ को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजधानी बनाना देनी चाहिए, जिससे हाईकोर्ट का निर्माण भी हो जायेगा और लोगों को प्रयागराज जाने से छुटकारा मिलेगा।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चर्चित नेता इमरान मसूद ने भी संजीव बालियान के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि डा. संजीव बालियान केवल चुनावी फायदे के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं। भाजपा नेताओं को ऐसे शिगुफे छोडने में मजा आता है। भाजपा सरकार में हर वर्ग परेशान है और उनका ध्यान भटकाने के लिए ही डा. संजीव बालियान ऐसे बयान दे रहे हैं।
पूर्व विधायक इमरान मसूद ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि संजीव बालियान ने यह बयान क्यों दिया है, लेकिन वह इस बयान का समर्थन करते हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रयागराज हाईकोर्ट हमसे इतना दूर है कि हमें पाकिस्तान का हाईकोर्ट नजदीक दिखाई देता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग पिछले चालीस सालों से अलग प्रदेश की मांग कर रहे हैं और अधिवक्ता भी लगातार अलग हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर आंदोलन करते आ रहे हैं, इसीलिए डा. संजीव बालियान की मांग का वे दिल से समर्थन करते हैं।
उधर , संभल के सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के पश्चिम यूपी को अलग राज्य बनाकर उसकी राजधानी मेरठ में बनाने की मांग का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि यूपी बहुत बड़ा राज्य है। पश्चिम उत्तर प्रदेश राज्य अलग होने से निजाम भी अच्छा होगा।
श्री बर्क ने कहा कि अलग राज्य की मांग पहले से होती रही है। हमारी पार्टी सपा तथा दूसरों ने भी मांग की थी। राज्य को छोटा कर दिया जाए और पश्चिम को राजधानी बनाई जाए की कहां हो, वैसे तो बनने की जरूरत है। यह तो फायदे की बात है। संजीव बालियान की यह राय है मगर ये कोई फार्मूला नहीं है। सांसद ने कहा कि समाजवादी पार्टी का रूख आने पर वे इस संबंध में अपनी राय देंगे।
मधुरेन्द्र श्रीवास्तव
लखनऊ। माफिया अतीक अहमद और अशरफ की पुलिस घेरे में हत्या पर अखिलेश यादव का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि उत्तर प्रदेश में अपराध की पराकाष्ठा हो गई है और अपराधियों के हौसले बुलंद है। जब पुलिस के सुरक्षा घेरे के बीच सरेआम गोलीबारी करके किसी की हत्या की जा सकती है तो आम जनता की सुरक्षा का क्या। इससे जनता के बीच भय का वातावरण बन रहा है, ऐसा लगता है कुछ लोग जानबूझकर ऐसा वातावरण बना रहे हैं।
उधर जयंत चौधरी ने कहा की अपराधियों के साथ किसी की सहानुभूति नहीं है , लेकिन जिस तरह से यह वारदात हुई है उससे सरकार की नीयत पर सवाल खड़े होते हैं।
योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह ने ट्वीट जारी कर कहा कि पाप और पुण्य का हिसाब इसी जन्म में हो जाता है।
इन हत्याओं पर असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिस समाज में हत्यारे हीरो होते हैं, उस समाज में कोर्ट और इंसाफ़ के सिस्टम का क्या काम? उन्होंने कहा, ”अतीक और उनके भाई पुलिस की हिरासत में थे। उन पर हथकड़ियां लगी हुई थीं। जय श्री राम के नारे भी लगाये गये। दोनों की हत्या योगी के कानून व्यवस्था की नाकामी है। एनकाउंटर राज का जश्न मनाने वाले भी इस हत्या के जिम्मेदार हैं।” वहीं ओवैसी की पार्टी के नेता वारिस पठान ने कहा कि अदालत, क़ानून ,संविधान की हत्या है। उत्तर प्रदेश में कोर्ट कचहरी सब बंद कर देना चाहिए।
जिस समय अतीक अहमद और अशरफ की हुई हत्या उस दौरान वे मीडिया के कैमरों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। पुलिस की मौजूदगी में कुछ लोगों ने उन पर हमला कर दिया। दोनों के हाथ में हथकड़ी बंधी थी अतीक के सिर में गोली मारी उसकी मौके पर ही मौत हो गई।