भोपाल। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मानवता के दुख के कारण का बोध कराना और उस दुख को दूर करने का मार्ग दिखाना, पूर्व के मानववाद की विशेषता है, जो आज के युग में और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। धर्म-धम्म की अवधारणा भारतीय चेतना का मूल स्वर रही है। हमारी परंपरा में कहा गया है कि जो सबको धारण करता है, वह धर्म है। धर्म की आधारशिला पर ही पूरी मानवता टिकी हुई है।
राष्ट्रपति शुक्रवार को भोपाल में 7वें अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि राग और द्वेष से मुक्त होकर मैत्री, करूणा और अहिंसा की भावना से व्यक्ति और समाज का विकास करना, पूर्व के मानववाद का प्रमुख संदेश रहा है। नैतिकता पर आधारित व्यक्तिगत आचरण और समाज व्यवस्था पूर्व के मानववाद का ही व्यावहारिक रूप है। नैतिकता पर आधारित इस व्यवस्था को बचाए रखना और मजबूत करना हर व्यक्ति का कर्तव्य माना गया है।
उन्होंने कहा कि धर्म-धम्म की हमारी परंपरा में “सर्वे भवंतु सुखिन:” की प्रार्थना हमारे जीवन का हिस्सा रही है। यही पूर्व के मानववाद का सार-तत्व है और आज के युग की सबसे बड़ी जरूरत भी है। यह सम्मेलन मानवता की एक बड़ी जरूरत को पूरा करने की दिशा में सार्थक प्रयास है। यही कामना है कि समस्त विश्व समुदाय पूर्व के मानववाद से लाभान्वित हो।
कुशाभऊ ठाकरे का स्मरण
राष्ट्रपति मुर्मू ने धर्म-धम्म सम्मेलन के लिए राज्य सरकार, साँची विश्वविद्यालय और इंडिया फाउंडेशन की सराहना की। उन्होंने कुशाभऊ ठाकरे का स्मरण करते हुए कहा कि इस सभागार को कुशाभाऊ ठाकरे का नाम दिया गया है। जन-सेवा के कार्य में धर्म-धम्म के आदर्शों के अनुरूप नि:स्वार्थ और संपूर्ण समर्पण का उदाहरण प्रस्तुत करने वाले ठाकरे जी का स्मरण सभी को नैतिकता, धर्म और सेवाभाव से जोड़ता है।
धर्म-धम्म के भाव को स्पष्टत: प्रदर्शित करते हैं हमारे राष्ट्रीय प्रतीक
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश की परंपरा में समाज व्यवस्था और राजनैतिक कार्य-कलापों में प्राचीन काल से ही धर्म को केन्द्रीय स्थान प्राप्त है। स्वाधीनता के बाद हमने जो लोकतांत्रिक व्यवस्था अपनाई उस पर धर्म-धम्म का गहरा प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। हमारे राष्ट्रीय प्रतीकों से यह स्पष्टत: प्रदर्शित होता है। अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन में विभिन्न देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं, जो धर्म-धम्म के विचार की वैश्विक अपील का प्रतीक है।
प्रारंभ में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यपाल मंगूभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में सम्मेलन का उद्घाटन किया। पुलिस बैंड द्वारा राष्ट्र-गान की धुन का वादन किया गया। साँची विश्वविद्यालय के गीत की विजुअल प्रस्तुति भी हुई। राष्ट्रपति मुर्मू को मुख्यमंत्री चौहान ने अंगवस्त्रम्, प्रतीक-चिन्ह शंकराचार्य जी का चित्र और एकात्म धाम पर केन्द्रित पुस्तक भेंट की। राज्यपाल पटेल को आर्गेनाइजिंग कमेटी के को-चेयर प्रो. एस.आर. भट्ट ने प्रतीक-चिन्ह तथा अंगवस्त्रम् भेंट किया। मुख्यमंत्री चौहान को साँची बौद्ध विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता द्वारा प्रतीक-चिन्ह भेंट किया गया।
राष्ट्रपति ने किया “द पेनारोमा ऑफ इण्डियन फिलॉस्फर्स एण्ड थिंकर्स” पुस्तक का विमोचन
राष्ट्रपति ने प्रो. एसआर भट्ट द्वारा लिखित पुस्तक “द पेनारोमा ऑफ इण्डियन फिलॉस्फर्स एण्ड थिंकर्स” का विमोचन किया। कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में “नए युग में मानववाद का सिद्धांत” विषय पर हुए सम्मेलन में पांच देशों के मंत्री, 15 देशों के विद्वान, चिंतक और शोधार्थी सम्मिलित हो रहे हैं। धर्म-धम्म के वैश्विक विचारों को एक मंच प्रदान करने वाला यह सम्मेलन पांच मार्च तक चलेगा।
उद्घाटन सत्र में शामिल हुए भूटान और श्रीलंका के मंत्री तथा इंडोनेशिया के उप राज्यपाल
कार्यक्रम में प्रदेश की संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर, भूटान के गृह और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री उगेन दोरजी, श्रीलंका के संस्कृति औऱ धार्मिक मामलों के मंत्री विदुर विक्रमनायके, श्रीलंका के प्रो. राहुल अनुनायक थेरा, इंडोनेशिया के उप राज्यपाल प्रो. डॉ. आईआर तोजोकोर्डो ओका अर्थ अरदाना सुकवती उपस्थित थे। पाँच मार्च तक चलने वाले 7वें अंतरराष्ट्रीय धर्म -धम्म सम्मेलन में विभिन्न देशों में सांस्कृतिक सामंजस्य और अन्य विषयों पर चर्चा के लिए भारत सहित इंडोनेशिया, श्रीलंका, नेपाल और भूटान के संस्कृति मंत्री भाग ले रहे हैं। सम्मेलन में ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, स्पेन, मॉरीशस, दक्षिण कोरिया, नेपाल, वियतनाम, थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका, मंगोलिया और भूटान के विद्वान और शोधार्थी भी सहभागिता कर रहे हैं।
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- विवाहेतर संबंधों में एक साल व ‘लिव इन’ में छह माह की जेल
- गर्भनिरोधन व धार्मिक निंदा भी अपराध, तीन साल तक सजा
जकार्ता । इंडोनेशिया ने अपने संविधान में एक महत्वपूर्ण संशोधन किया है। नए संशोधन के अनुसार अब विवाहेतर संबंध बनाना या बिना विवाह किये साथ रहना यानी ‘लिव इन’ में रहना अपराध है। इंडोनेशियाई संसद ने इस बाबत कानून बनाकर ऐसी स्थितियों में सजा का प्रावधान किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इंडोनेशिया की संसद ने अपनी दंड संहिता में एक लंबित और चर्चित संशोधन को मंगलवार को मंजूरी दे दी। इस संशोधन के बाद इंडोनेशिया में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर (शादी से बाहर जाकर यौन संबंध) रखना या बिना विवाह साथ रहना (‘लिव इन रिलेशनशिप’) अपराध घोषित कर दिया गया है। ऐसा करने वालों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है। यह नियम इंडोनेशिया में रह रहे नागरिकों या विदेश गए हुए लोगों, दोनों पर समान रूप से लागू होगा। संसद द्वारा पारित नए संशोधन के अनुसार इंडोनेशिया में अब विवाह के बाहर यौन संबंध बनाने पर एक साल की जेल का प्रावधान है। हालांकि, इस मामले में पुलिस पति-पत्नी, माता-पिता या बच्चों द्वारा शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद ही कार्रवाई कर सकेगी।
नए संशोधनों में इंडोनेशिया में ‘लिव इन’ संबंधों में रहने वालों के लिए छह माह सजा का प्रावधान किया गया है। नए संशोधन में गर्भनिरोधन व धार्मिक निंदा भी अपराध घोषित कर दिया गया है। इसके लिए तीन साल तक सजा हो सकती है। नए कानून में गर्भपात को भी अपराध घोषित किया गया है। सिर्फ चिकित्सकीय परिस्थितियों और दुष्कर्म के मामलों को इससे दूर रखा गया है। हालांकि इन मामलों में भी भ्रूण के 12 सप्ताह से कम उम्र का होने की शर्त रखी गयी है। इंडोनेशिया के कानून व मानवाधिकार मंत्रालय के उपमंत्री एडवर्ड हिराईज ने बताया कि राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद इस आपराधिक कोड को लागू करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
जकार्ता । माउंट सेमेरू ज्वालामुखी में भयानक विस्फोट के बाद तेज़ी से बह रहा लावा थम नहीं रहा। जहाँ ज्वालामुखी है उसके आसपास के इलाकों में गर्म राख और गैस के गुबार छा गए हैं।
इंडोनेशिया के सबसे ऊंचे ज्वालामुखी माउंट सेमेरू कुछ दिनों से सुलग रहा था। बारिश के कारण लावा डोम टूटने से वह तेजी से सक्रिय हो गया। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता अब्दुल मुहारी ने कहा कि ज्वालामुखी से निकलने वाली राख से छह गांव ढक गए हैं। अब तक किसी के मरने की सूचना नहीं है। सैकड़ों निवासी सुरक्षित स्थान पर पहले ही चले गए हैं। धुआं और राख से आसमान काला हो गया है। दिन में भी लोगों को लाइट जलाकर रहने पर मजबूर होना पड़ रहा है। राहत एवं बचाव कार्य जारी है।
माउंट सेमेरू दक्षिणपूर्व स्थित जावा में है। यहां 121 ज्वालामुखी हैं। यह कई सालों से सक्रिय हैं। इनमें से माउंट सेमेरू सबसे खतरनाक और ऊंचा ज्वालामुखी है। यह ज्वालामुखी इस वक्त आग की लपटों से धधक रहा है। पिछले साल माउंट सेमेरू में विस्फोट होने से 51 लोगों की मौत हो गई थी। 10 हजार लोगों को अपना घर छोड़कर दूसरी जगह पर रहना पड़ा था।
इस ज्वालामुखी के डेंजर जोन में इस समय 3 हजार मकान हैं। माउंट सेमेरू के विस्फोट के बाद से राख और धुंआ पांच हजार फीट की ऊंचाई तक आसमानों में फैल गया है। धरती पर 1500 सक्रिय ज्वालामुखी में सबसे ज्यादा खतरनाक ज्वालामुखी इंडोनेशिया में ही है।
जकार्ता । शनिवार को इंडोनेशिया के पश्चिमी जावा में भूकंप के तेज झटके लगे। जानकारी के मुताबिक रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.4 थी। भूकंप का केंद्र जमीन से 118 किमी की गहराई में स्थित था।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भूकंप देश की राजधानी जकार्ता में भी महसूस किया गया। हालांकि, भूकंप से किसी तरह की जनहानि की सूचना नहीं है।
भूकंप के केंद्र से लगभग 50 किमी दूर स्थित शहर गरुत के अधिकारियों ने बताया कि वो भूकंप के बाद हुए नुकसान का आंकलन कर रहे हैं।
पश्चिमी जावा प्रांत की राजधानी बांडुंग के कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर बताया कि उन्होंने भूकंप के तेज झटके महसूस किए।
उल्लेखनीय है कि पिछले माह पश्चिमी जावा के सियानजुर में 5.6 की तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। इसमें करीब 300 लोगों की मौत की पुष्टि हुई थी।
जकार्ता, । इंडोनेशिया के पश्चिमी जावा प्रांत में सोमवार को आए शक्तिशाली भूकंप में मरने वालों की संख्या का आंकड़ा बढ़कर 162 हो गया। चारों ओर मातम पसरा हुआ है। इस प्राकृतिक आपदा में 700 से अधिक लोग जख्मी हो गए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.6 आंकी गई है। यूएस जियोलाजिकल सर्वे ने कहा कि भूकंप पश्चिम जावा प्रांत के सियानजुर क्षेत्र में 10 किलोमीटर (6.2 मील) की गहराई पर केंद्रित था।
पश्चिम जावा के शहर सियानजुर के सरकारी अधिकारी हरमन सुहरमन ने स्थानीय समाचार चैनल मेट्रो टीवी को बताया कि क्षेत्र के अकेले एक अस्पताल में 162 लोगों की मौत हो गई है और 700 से ज्यादा लोग घायल हो गए। तमाम इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई हैं।
राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण एजेंसी ने कहा कि एक इस्लामिक बोर्डिंग स्कूल, एक अस्पताल और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं सहित दर्जनों इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं। हताहतों की संख्या बढ़ सकती है। भूकंप के झटके ग्रेटर जकार्ता इलाके में भी महसूस किए गए। राजधानी में ऊंचाई पर स्थित आवास ध्वस्त हो गए हैं।
जकार्ता । इंडोनेशिया के मुख्य द्वीप जावा में सोमवार को भूकंप आने से कम से कम 56 लोगों की मौत हो गई। भूकंप से दर्जनों इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं और लोगों को अपनी जान बचाने के लिए सड़कों और गलियों में भागना पड़ा।
अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे ने कहा कि 5.4 तीव्रता का भूकंप पश्चिम जावा प्रांत के सियांजुर क्षेत्र में 10 किलोमीटर (6.2 मील) की गहराई में केंद्रित था।
राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण एजेंसी के प्रमुख सुहरयांतो ने कहा कि सियांजुर क्षेत्रीय अस्पताल में 46 मृत लोग हैं और लगभग 700 लोग घायल हैं। उन्होंने आगे कहा कि कई लोग घायल हो गए क्योंकि वे ढह गईं इमारतों की चपेट में आ गए।
एजेंसी ने कहा कि एक इस्लामिक बोर्डिंग स्कूल, एक अस्पताल और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं सहित दर्जनों इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं। एक बयान में कहा गया है कि हताहतों की संख्या और नुकसान के बारे में जानकारी अभी एकत्र की जा रही है। जकार्ता में भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए। राजधानी में ऊंची इमारतें हिल गईं और कुछ को खाली करा लिया गया।
दक्षिण जकार्ता में एक कर्मचारी विडी प्रिमाधनिया ने कहा कि भूकंप बहुत तेज महसूस हुआ। मैंने और नौवीं मंजिल पर स्थित मेरे दफ्तर में मेरे सहकर्मियों ने आपातकालीन सीढय़िों से बाहर निकलने का फैसला किया। विशाल द्वीपसमूह राष्ट्र में अक्सर भूकंप आते हैं, लेकिन जकार्ता में उन्हें महसूस करना असामान्य है।
इंडोनेशिया की आबादी 27 करोड़ से अधिक है। यह भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट तथा सुनामी से अक्सर प्रभावित होता रहता है।
इस साल फरवरी में पश्चिम सुमात्रा प्रांत में 6.2 तीव्रता के भूकंप में कम से कम 25 लोगों की मौत हो गई थी और 460 से अधिक घायल हो हुए थे। जनवरी 2021 में, पश्चिम सुलावेसी प्रांत में 6.2 तीव्रता के भूकंप से 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 6,500 लोग घायल हो गए थे। 2004 में हिंद महासागर में आए एक शक्तिशाली भूकंप और सुनामी ने एक दर्जन देशों में लगभग 2,30,000 लोगों की जान ली थी जिनमें से अधिकांश इंडोनेशिया में थे।
- एक दिसंबर से आधिकारिक रूप से अध्यक्षता ग्रहण करेगा भारत
- अगले साल 9-10 सितंबर को दिल्ली में होगा जी-20 शिखर सम्मेलन
बाली । दुनिया की समृद्ध महाशक्तियों के समूह जी-20 का अध्यक्ष अब भारत बन गया है। इंडोनेशिया के बाली में आयोजित दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के समापन समारोह में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जी-20 समूह का नेतृत्व सौंपा। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इसे गर्व का क्षण करार दिया।
इंडोनेशिया के बाली में चल रहे जी-20 देशों के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन का समापन बुधवार को हो गया। समापन समारोह में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने औपचारिक रूप से भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जी-20 समूह की अध्यक्षता का जिम्मा सौंपा। भारत एक दिसंबर से आधिकारिक तौर पर जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा। इस मौके पर भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जी-20 का नेतृत्व करना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। भारत के विभिन्न शहरों और राज्यों में दी-20 समूह की गतिविधियों से जुड़ी बैठकें आयोजित की जाएंगी। इस दौरान अतिथियों को भारत की अद्भुत, विविध व समावेशी परंपराओं के साथ सांस्कृतिक समृद्धि का पूरा अनुभव मिलेगा।
वर्ष 2008 में आई आर्थिक मंदी के बाद जी-20 समूह का गठन हुआ था। वैश्विक स्तर पर आर्थिक मामलों में सहयोग के लिए ये समूह काम करता है। जी-20 शिखर सम्मेलन हर साल आयोजित किया जाता है। जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान एक तरह से वैश्विक अर्थव्यवस्था का एजेंडा तय किया जाता है। जी-20 समूह में दुनिया के शीर्ष अर्थव्यवस्था वाले 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल है।
भारत और यूरोपीय संघ के अलावा अमेरिका, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, ब्राजील, कनाडा, चीन, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, इटली, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब और तुर्की जी-20 समूह के सदस्य हैं। इंडोनेशिया से अध्यक्षता संभालने के बाद अब भारत अगले एक साल तक जी-20 समूह का नेतृत्व करेगा। अगले वर्ष 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी भारत करेगा और राजधानी दिल्ली में नौ और दस सितंबर को अगला जी-20 शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।
बाली/नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन में कहा कि डिजिटल परिवर्तन हमारे युग का सबसे उल्लेखनीय बदलाव है। भारत में हम डिजिटल एक्सेस को सार्वजनिक कर रहे हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभी भी बहुत बड़ा डिजिटल डिवाइड है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि डिजिटल परिवर्तन हमारे युग का सबसे उल्लेखनीय बदलाव है। गरीबी के खिलाफ दशकों से चली आ रही वैश्विक लड़ाई में डिजिटल तकनीकों का उचित उपयोग बल गुणक (फोर्स मल्टीप्लायर) बन सकता है। डिजिटल समाधान जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में मददगार हो सकते हैं, जैसा कि हमने कोविड के दौरान दूर से काम करने वाले और कागज रहित कार्यालयों के उदाहरणों में देखा, किन्तु ये लाभ हमें तभी मिलेंगे जब डिजिटल एक्सेस सच्चे मायने मे समावेशी हो, जब डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग सचमुच व्यापक हो। दुर्भाग्य से अभी तक हमने इस शक्तिशाली टूल को सिर्फ साधारण बिजनेस के मापदंड से ही देखा है, इस पॉवर को लाभ और हानि के बहीखातों मे बांध के रखा है। डिजिटल ट्रान्सफर्मेशन के लाभ मानवजाति के एक छोटे अंश तक ही सीमित न रह जाएं, यह हम जी-20 नेताओं की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि भारत के पिछले कुछ साल के अनुभव ने दिखाया है कि अगर हम डिजिटल आर्किटेक्चर को समावेशी बनाते हैं तो यह सामाजिक-आर्थिक बदलाव ला सकता है। डिजिटल उपयोग मे स्केल और स्पीड लाई जा सकती है। शासन में पारदर्शिता लाई जा सकती है। भारत ने ऐसे डिजिटल पब्लिक गुड्स विकसित किए हैं, जिनके मूल आर्किटेक्चर में ही लोकतांत्रिक सिद्धांत इन-बिल्ट हैं। ये सोल्युशंस खुला स्रोत, खुला एपीआई, खुले मानक पर आधारित हैं, जो अंतर-संचालित और सार्वजनिक हैं। भारत मे आज जो डिजिटल रेवलूशन चल रहा है, उनका आधार हमारी यही अप्रोच है। उदाहरण के तौर पर, हमारा यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) लीजिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले साल, विश्व के 40 प्रतिशत से अधिक रीयल-टाइम भुगतान लेनदेन यूपीआई के जरिए हुए। इसी तरह हमने डिजिटल आइडेंटिटी के आधार पर 460 मिलियन नए बैंक खाते खोले, जिस से भारत आज फाइनेंसियल समावेश में ग्लोबल लीडर बन रहा है। महामारी के दौरान भी हमारे ओपन सोर्स कोविन प्लेटफॉर्म ने मानव इतिहास के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को सफल बनाया।
उन्होंने कहा कि भारत में तो हम डिजिटल एक्सेस को सार्वजनिक कर रहे हैं, किन्तु अंतर-राष्ट्रीय स्तर पर आज भी एक बहुत बड़ी डिजिटल डिवाइड है। विश्व के अधिकतर विकासशील देशों के नागरिकों के पास किसी भी प्रकार की डिजिटल पहचान नहीं है। केवल 50 देशों के पास ही डिजिटल भुगतान प्रणाली मौजूद है। क्या हम साथ मिल कर यह प्रण ले सकते हैं कि अगले दस सालों में हम हर मनुष्य के जीवन मे डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन लाएंगे, डिजिटल टेक्नॉलजी के लाभ से विश्व का कोई व्यक्ति वंचित नहीं रहेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले साल अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान भारत सभी जी-20 पार्टनर्स के साथ इस उद्देश्य के लिए काम करेगा। “विकास के लिए डेटा” का सिद्धांत हमारे प्रेसीडेंसी के कुल मिलाकर थीम “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य”का अभिन्न अंग रहेगा।
बाली। दुनिया के बीस ताकतवर देशों के समूह जी-20 के शिखर सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार को भारतवंशियों से मिले। इस दौरान उन्होंने भारत और इंडोनेशिया के बीच रिश्तों पर जोर देते हुए कहा कि भारत और इंडोनेशिया सिर्फ सुख के ही नहीं, दुख के भी साथी हैं।
बाली में दुनिया के दिग्गज राष्ट्राध्यक्षों से मेल-मुलाकात के बीच भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारतीय समुदाय के लोगों से भी मिले। इंडोनेशिया में बसे भारतवंशियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बाली आने के बाद हर भारतीय को एक अलग ही अनुभूति होती है और वे भी वही महसूस कर रहे हैं। इंडोनेशिया के साथ भारत का हजारों वर्षों का रिश्ता रहा है और दोनों देशों ने पीढ़ी दर पीढ़ी उस रिश्ते को आगे ही बढ़ाया है, कभी ओझल नहीं होने दिया।
भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और इंडोनेशिया 21वीं सदी में एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। इंडोनेशिया की जमीन ने भारत से आए हुए लोगों को न सिर्फ प्यार से स्वीकार किया बल्कि उन्हें अपने समाज में शामिल किया। जब 2018 में इंडोनेशिया में बड़ा भूकंप आया तो भारत ने तुरंत ऑपरेशन समुद्र मैत्री शुरू किया था। उन्होंने याद दिलाया कि उस समय भी उन्होंने कहा था कि भारत और इंडोनेशिया में 90 नॉटिकल मील का फैसला भले ही हो, इसके बावजूद दोनों देश 90 नॉटिकल मील दूर नहीं हैं, 90 नॉटिकल मील पास हैं।
बाली। इंडोनेशिया के बाली में जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन में भाग लेने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंचे हैं। इस दौरान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से उनकी पहली मुलाकात हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन खुद चलकर भारतीय प्रधानमंत्री से मिलने उनके पास पहुंचे।
दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन मंगलवार को शुरू हो गया। इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और भारत के प्रधानमंत्री मोदी समेत दुनिया की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के नेता शामिल हो रहे हैं।
इस दौरान मोदी और सुनक के बीच पहली मुलाकात हुई। भारत के प्रधानमंत्री और भारतीय मूल के ब्रिटिश प्रधानमंत्री के बीच इस मुलाकात को लेकर दोनों देशों में खासी उत्कंठा थी। भारतीय प्रौद्योगिकी उद्यमी नारायणमूर्ति के दामाद ऋषि सुनक हाल ही में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने हैं। मोदी और सुनक के बीच काफी देर तक बातचीत हुई। इस दौरान सुनक ने कहा कि दुनिया के विकास के लिए भारत जरूरी है। वहीं मोदी ने कहा कि भारत अपनी सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करता रहेगा।
जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी का जलवा साफ दिख रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन खुद चल कर मोदी से मिलने उनके पास पहुंचे। दोनों नेताओं ने एक दूसरे को गर्मजोशी से गले लगाया। मोदी व बाइडन को काफी देर तक एक दूसरे से बात करते देखा गया। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने मोदी के होटल जाकर उनका स्वागत किया। इंडोनेशिया इस समय जी-20 समूह का अध्यक्ष है और अब भारत के हाथ में अध्यक्षता की कमान आने वाली है। सम्मेलन के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री मोदी और नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रूट के साथ भी बातचीत हुई। इस दौरान दोनों नेताओं ने इस बहुपक्षीय शिखर सम्मेलन को वैश्विक नेताओं के लिए विविध मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान करने का अद्भुत अवसर करार दिया। भारतीय प्रधानमंत्री ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों से भी बातचीत की। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया। मैक्रों अगले वर्ष की शुरुआत में भारत यात्रा पर आ रहे हैं।
मिलकर निकालें युद्ध रोकने का रास्ता
प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान खाद्य ऊर्जा सुरक्षा सत्र में भाग लिया। इस सत्र में उन्होंने कहा कि कोरोना और यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया की सप्लाई चेन प्रभावित हुई है। इसके परिणाम स्वरूप पूरी दुनिया परेशान है। संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्थाएं भी इन मसलों का समाधान करने में सफल नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में हम सभी को मिलकर यूक्रेन युद्ध रोकने का रास्ता निकालना होगा। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में युद्धविराम और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का रास्ता खोजना जरूरी है। पिछली शताब्दी में विश्व युद्ध के कहर के दौरान तत्कालीन नेताओं ने शांति का रास्ता अंगीकार करने का गंभीर प्रयास किया था। अब आज के नेताओं की बारी है।
भारत की ऊर्जा सुरक्षा महत्वपूर्ण
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वैश्विक विकास के लिए भारत की ऊर्जा सुरक्षा महत्वपूर्ण है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। ऊर्जा की आपूर्ति पर किसी भी प्रतिबंध को बढ़ावा नहीं देना चाहिए और ऊर्जा बाजार में स्थिरता सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि 2030 तक हमारी आधी बिजली अक्षय स्रोतों से पैदा होगी। भारत में स्थायी खाद्य सुरक्षा के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। बाजरा जैसे पौष्टिक और पारंपरिक खाद्यान्नों को फिर से लोकप्रिय बनाने की शुरुआत हुई है। बाजरा वैश्विक कुपोषण और भूख को भी दूर कर सकता है।