वाराणसी। रेल एवं संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के शताब्दी भवन में आयोजित थिंक इंडिया नेशनल कन्वेंशन-2022 का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल रेलमंत्री ने कहा कि दस साल पहले रेल के साथ अन्य क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग नहीं थी, आज भारत बहुत बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बनता जा रहा है। इस समय विश्व का दूसरा मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग करने वाला भारत है। अब हम किसी दूसरे देश पर निर्भर नहीं हैं वरन अन्य देशों को मदद कर रहे हैं।
रेल मंत्री वैष्णव ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री का विजन है अब इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हो या ट्रेनों में लगने वाले उपकरण की डिजाइन, सब भारत में ही बनेगा। रेल मंत्री ने आगामी 25 साल तक रेलवे के विकास के लिए लांच किए जाने वाले परियोजनाओं पर प्रजेंटेशन देकर बताया कि अगले दीपावली तक भारत के 100 विश्वविद्यालय 5जी नेटवर्क से लैस हो जाएंगे। पूरे देश में जनवरी से टावर लगाने के काम में तेजी आएगी। भारत तेजी से नई तकनीक के साथ आगे बढ़ता जा रहा है। नए भारत का निर्माण हो रहा है। इसमें युवा वैज्ञानिकों की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान होगी। वह चाहे क्षेत्र रेलवे का हो या फिर संचार का। मेक इन इंडिया से भारत में कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इसका देश को फायदा हो रहा है।
कार्यक्रम में विक्रम सारा भाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक डॉ. एस. उन्नीकृष्णन समेत देशभर के ख्याति प्राप्त विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम में आईआईटी बीएचयू निदेशक प्रो.प्रमोद जैन, बरेका की महाप्रबंधक अंजली गोयल, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय महासचिव निधि त्रिपाठी की भी मौजूदगी रही।
राहुल और केजरीवाल पर साधा निशाना
रेल मंत्री वैष्णव ने इस दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर जमकर निशाना साधा। रेल मंत्री ने फनी वीडियो का उल्लेख कर एक चिप दिखाते हुए कहा कि इससे लाखों चिप्स निकल सकती हैं। ‘पोटैटो चिप्स नहीं बल्कि सिलिकॉन चिप्स’। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डिजिटल और ‘मेक इन इंडिया’ का प्रोग्राम लांच किया था। तब विपक्षी दलों के नेताओं ने खूब सवाल उठाए थे। तब राहुल गांधी कहते थे कि सब जगह बब्बर शेर है। पार्लियामेंट में बब्बर शेर है। आज उसी ‘मेक इन इंडिया’ की वजह से इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग देश में बढ़ रही है। उन्होंने अरविंद केजरीवाल पर भी जमकर हमला बोला। रेल मंत्री के इस तेवर पर हाल में बैठे लोग तालियां बजाते रहे।
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश जल्द ही डेटा सेंटर का हब बन जायेगा। हाल ही में ग्रेटर नोएडा में खुले उत्तर भारत के पहले डेटा सेंटर के बाद अब योगी सरकार ने सूबे में सात और डेटा सेंटर खोलने का फैसला किया है। इस तरह ग्रेटर नोएडा के डेटा सेंटर को मिलाकर कुल आठ डेटा सेंटर हो जाएंगे। इसके लिए डेटा सेंटर 2021 नीति में संशोधनों के प्रस्ताव को प्रदेश मंत्रिपरिषद की मंजूरी मिल गई है। अब नोएडा व ग्रेटर नोएडा के अलावा अन्य जनपदों में भी डेटा सेंटर खुल सकेंगे। यह डेटा सेंटर ग्रेटर नोएडा में खुले नए डेटा सेंटर की क्षमता से कम होंगे। सरकार इन सभी डेटा सेंटर के लिए भूमि अनुदान की व्यवस्था करेगी। साथ ही डुएल फीडर की सप्लाई में एक फीडर की सप्लाई का खर्च वहन करेगी।
गौरतलब है कि मंत्रिपरिषद ने गुरुवार को आईटी विभाग से संबंधित दो प्रस्तावों पर मुहर लगाई है। ग्लोबल इनवेस्टर समिट से पहले सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि विभाग अपनी नीतियों में लक्ष्य के अनुरूप बदलाव करें, ताकि न सिर्फ वे अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर हों बल्कि निवेशकों के अनुरूप भी हों। इसी के तहत यह फैसला लिया गया है।
900 मेगावॉट तक डेटा सेंटर होंगे लाभान्वित
अतिरिक्त मुख्य सचिव (आईटी एंड इलेक्ट्रॉनिक्स) अरविंद कुमार ने बताया कि डेटा सेंटर पॉलिसी में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। वन ट्रिलियन इकॉनमी के दृष्टिगत जो दिक्कतें इसमें आ रही हैं, उन्हें संशोधनों के जरिए दूर किया गया है। डेटा सेंटर पॉलिसी के तहत जो लक्ष्य तय किए गए थे, उन्हें हमने समय से पहले ही हासिल कर लिए हैं, इसलिए उन लक्ष्यों को बढ़ाया जा रहा है। जैसे एक लक्ष्य तय किया गया था कि डेटा सेंटर में हम 250 मेगावॉट की कैपेसिटी लेकर आएंगे, लेकिन 636 मेगावॉट की कैपेसिटी के डेटा सेंटर के प्रस्ताव आ गए हैं। ऐसे में हम लक्ष्य को बढ़ाकर 900 मेगावॉट के डेटा सेंटर को लाभ प्रदान करेंगे। इसके अलावा छोटे डेटा सेंटर की भी नीति बनाई गई है ताकि डेटा सेंटर का प्रसार बाकी जनपदों में भी हो सके। भले ही वह डेटा सेंटर नोएडा के स्केल के न भी हों तब भी उन्हें मंजूरी प्रदान की जाएगी। इसके अलावा डेटा सेंटर के लिए एफएआर की परिभाषा में भी बदलाव किया है, ताकि नक्शे जल्दी पास हो सकें। पार्शियल कंप्लीशन की व्यवस्था दी गई है, जबकि बिजली कनेक्शन को लेकर भी सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। इसके अलावा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस डेटा सेंटर की फील्ड में भी दस करोड़ रुपए तक की फंडिंग की जाएगी। इन बदलावों से न सिर्फ निवेश बढ़ेगा बल्कि तेजी से आएगा। यह पॉलिसी 5 साल तक के लिए मान्य होगी।