यरुशलम । गाजा में इजराइली सेना के ताजा हमले में काफी संख्या में हमास लड़ाकों के मारे जाने की सूचना है। इजराइली सेना ने कहा है कि खान यूनिस में हवाई हमले में हमास के नुखबा फोर्स का कमांडर मारा गया है। यह कमांडर इजराइली शहरों पर सात अक्टूबर को हुए हमले में शामिल था।
इन हमलों के साथ शुक्रवार को गाजा में मरने वालों की कुल संख्या 24 हजार तक पहुंच गई जबकि 60 हजार से ज्यादा घायल हुए हैं। गाजा के मध्य और दक्षिण भाग में चल रही इजराइली कार्रवाई में बड़ी संख्या में हमास लड़ाके मारे जा रहे हैं। मेघाजी में इजराइली सैनिकों की कार्रवाई में 20 लड़ाके मारे गए हैं। इनमें तीन लड़ाकों को सैनिकों ने आमने-सामने की लड़ाई में मारा।
HAMAS ISRAEL WAR
काहिरा । संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों के एक दर्जन राजनयिक गाजा की जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए सोमवार को सीमावर्ती कस्बे रफाह के करीब पहुंचे। इन सदस्यों ने गाजा में मानवीय संकट की स्थिति को मौके पर जाकर देखने के बाद हालात को बदतर बताया।
संयुक्त राष्ट्र का प्रतिनिधिमंडल गाजा के नजदीक मिस्र के आरिश कस्बे में विमान से उतरा, वहां से यह गाजा के रफाह कस्बे के लिए बढ़ा, जहां लाखों फलस्तीनियों ने शरण ले रखी है। रास्ते में मिले संयुक्त राष्ट्र फलस्तीनी शरणार्थी एजेंसी के अधिकारियों ने दल को गाजा के जमीनी हालात के बारे में जानकारी दी। दल के सदस्य और संयुक्त राष्ट्र में इक्वाडोर के प्रतिनिधि जो डिला गासा ने बताया कि गाजा के जमीनी हालात जितने खराब बताए जा रहे हैं, वास्तव में उससे ज्यादा खराब है।
उन्होंने कहा, लोगों को कई-कई दिनों तक खाना नहीं मिल रहा है। लोग हफ्तों से मामूली खाना-पानी में समय काट रहे हैं। इस दल के दौरे की व्यवस्था यूएई ने की थी। इसमें अमेरिका, फ्रांस और गेबोन के प्रतिनिधि शामिल नहीं थे।
उधर गाजा की स्थिति पर विचार के लिए मंगलवार को न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र आमसभा की बैठक होगी। यह बैठक मिस्र और मारितानिया के अनुरोध पर होगी। इस बीच सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य रूस ने हमास द्वारा बंधक बनाए गए नागरिकों के संबंध में फलस्तीनी संगठनों से बात की है।
रूस के उप विदेश मंत्री मिखाइल बोग्दानोव ने रूसी नागरिकों समेत सभी बंधकों की अविलंब रिहाई की मांग की है।
तेल अवीव/यरुशलम । गाजा में छिड़े युद्ध के 38वें दिन सोमवार सुबह भी घमासान मचा हुआ है। इजराइल के सुरक्षाबलों ने फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास के गढ़ों को ध्वस्त करते हुए उत्तरी गाजा के दो प्रमुख अस्पतालों अल शिफा और अल कुद्स के आसपास शिकंजा कस दिया है। इन अस्पतालों में हमास के आतंकवादी छुपे हुए हैं। साथ ही इनके नीचे हमास की अभेद्य समझी जाने वाली सुरंगें हैं। इनमें हमास ने हथियार और गोला बारूद का भंडारण किया है। इन अस्पतालों के आसपास इजराइल के सुरक्षाबलों से हमास के आतंकवादियों की रुक-रुक कर लड़ाई चल रही है।
बमबारी से हमास बौखलाया, कहा-अब बातचीत नहींः मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इजराइल सुरक्षाबलों ने हमास की कमर तोड़ने के लिए जोरदार बमबारी की है। इसके बाद अल शिफा और अल कुद्स अस्पताल रविवार को नए मरीजों के लिए बंद कर दिए गए। यहां के कर्मचारियों ने कहा कि ईंधन और दवाओं की कमी की वजह से ऐसा किया गया है। चिकित्सा कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि अस्पतालों को इजराइली सुरक्षा बलों ने अवरुद्ध कर दिया है। इस बीच हमास ने कहा है कि अल शिफा अस्पताल पर इजराइल का नियंत्रण हो गया है। इसलिए वह बंधक बनाए गए लोगों की अदला-बदली के लिए अब बातचीत नहीं करेगा।
…तो मुर्दाघर बन जाएगाः एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि अल-शिफा अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं में शरण लेने वाले रोगी और अन्य लोग भयभीत हैं। चिकित्सा सहायता समूह डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने चेतावनी दी है कि युद्धविराम या निकासी के बिना अस्पताल “मुर्दाघर बन जाएगा”। बमबारी से आश्रय स्थल के रूप में काम करने वाली अन्य इमारतें भी प्रभावित हुई हैं। इनमें गाजा शहर में संयुक्त राष्ट्र परिसर भी है।
तुर्किये ने कहा, अमेरिका दखल देः तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने गाजा में इजराइल के आक्रमण को रोकने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका पर दबाव डालने का आह्वान किया है। मगर उसने कहा कि जब तक वाशिंगटन इस क्षेत्र को फिलिस्तीनी भूमि के रूप में स्वीकार नहीं करता तब तक कोई समझौता नहीं होगा।
इजराइल ने कहा, अस्पताल ने ईंधन लेने से मना कियाः एक मीडिया रिपोर्ट में इजराइल ने दावा किया है कि उसके सैनिकों ने अल शिफा अस्पताल में 300 लीटर ईंधन पहुंचाने के लिए अपनी जान तक जोखिम में डाली, लेकिन वहां मौजूद हमास के आतंकवादियों ने अस्पताल को इसे लेने से मना कर दिया। इजराइल ने कहा है कि हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय हफ्तों से चेतावनी दे रहा है कि उसके अस्पतालों में ईंधन खत्म हो रहा है। अगर यह सच है तो अस्पताल को ईंधन लेने से क्यों रोका जा रहा है।
तेलअवीव। इजराइल और हमास के बीच चल रही भीषण जंग में आम लोगों की भी मौतों के साथ इसको कवर कर रहे पत्रकारों की मौतों की भी बड़ी संख्या है। इजराइल फिलिस्तीन पत्रकार मीडिया स्वतंत्रता संगठन ने दावा किया है कि इजराइल-हमास युद्ध में अब तक 34 पत्रकारों की जान जा चुकी है।
मीडिया की आजादी के लिए काम करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ने बुधवार को कहा कि इजराइल और हमास के बीच युद्ध में 34 पत्रकार मारे गए हैं। इसके साथ ही समूह ने दोनों पक्षों पर युद्ध अपराधों में शामिल रहने का आरोप लगाया है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स नामक इस संगठन ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) के अभियोजकों से पत्रकारों की मौतों की जांच करने का आह्वान किया।
संगठन ने कहा कि उसने पहले ही गाजा पट्टी में नागरिक क्षेत्रों पर इजराइल की बमबारी में 8 फिलिस्तीनी पत्रकारों और हमास के हमले में एक इजराइली पत्रकार के मारे जाने की शिकायत दर्ज कराई है। संगठन के महानिदेशक क्रिस्टोफ डेलॉयर ने कहा कि खास कर गाजा में पत्रकारों को जिस तरह से निशाना बनाया गया है, उसकी आईसीसी के अभियोजकों द्वारा प्राथमिकता से जांच किए जाने की जरूरत है।
इस संगठन का मुख्यालय फ्रांस में है। इस बीच मीडिया की आजादी के लिए काम करने वाले एक अन्य संगठन कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने बुधवार को कहा कि उसने युद्ध में पत्रकारों के “मारे जाने, घायल होने, हिरासत में लिए जाने या लापता होने’’ की खबरों की जांच की है। संगठन ने कहा कि प्रारंभिक जांच के अनुसार इस युद्ध में कम से कम 31 पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की मौत हुई है।
तेल अवीव। इजराइल ने फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास के तीन शीर्ष कमांडर को ढेर कर दिया। इजरायल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर तीनों के फोटो के साथ यह सूचना साझा की है। यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स में दी गई है।
आईडीएफ का कहना है कि उसके लड़ाकू विमानों ने हमलाकर हमास की सबसे मजबूत दाराज तुफाह बटालियन के तीन महत्वपूर्ण कमांडर इब्राहिम जादबा, रिफात अब्बास और तारेक मारूफ को ढेर कर दिया। इन तीनों ने सात अक्टूबर को इजराइल के खिलाफ आक्रमण और नरसंहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
संयुक्त राष्ट्र । संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने हमास के हमले के संबंध में अपने बयान को लेकर हंगामे के बीच बुधवार को अपनी टिप्पणियों की ‘‘गलत व्याख्या’’ किये जाने पर हैरानी व्यक्त की और कहा कि उन्होंने हमास के आतंकी कृत्यों को उचित नहीं ठहराया।
ज्ञात रहे कि इन टिप्पणियों के बाद, इजराइल के विदेश मंत्री एली कोहेन ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में मंगलवार दोपहर को गुतारेस के साथ होने वाली अपनी बैठक रद्द कर दी। बाद में संयुक्त राष्ट्र में इजराइल के राजदूत गिलाद एर्दान ने गुतारेस के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि इजराइल को इस विश्व निकाय के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करना चाहिए।
गुतारेस ने यहां संवाददाताओं से कहा, मैं सुरक्षा परिषद में मंगलवार को दिए मेरे कुछ बयानों की गलत व्याख्या से हैरान हूं। ऐसे दिखाया गया कि मैं हमास के आतंकी कृत्यों को उचित ठहरा रहा हूं। यह गलत है।
गुतारेस ने सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा था, यह भी मानना महत्वपूर्ण है कि हमास द्वारा किए गए हमले अकारण नहीं हुए। फिलिस्तीन के लोगों को 56 वर्षों से घुटन भरे कब्जे का सामना करना पड़ रहा है। गुतारेस ने कहा था कि उन्होंने अपनी जमीन को लगातार (यहूदी) बस्तियों द्वारा हड़पते और हिंसा से ग्रस्त होते देखा है। उनकी अर्थव्यवस्था चरमरा गई। उनके लोग विस्थापित हो गए और उनके घर ध्वस्त कर दिये गए। अपनी दुर्दशा के राजनीतिक समाधान की उनकी उम्मीदें खत्म होती जा रही हैं।
इन टिप्पणियों के बाद, इजराइल के विदेश मंत्री एली कोहेन ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में मंगलवार दोपहर को गुतारेस के साथ होने वाली अपनी बैठक रद्द कर दी। बाद में संयुक्त राष्ट्र में इजराइल के राजदूत गिलाद एर्दान ने गुतारेस के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि इजराइल को इस विश्व निकाय के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करना चाहिए।
गुतारेस ने बुधवार को पत्रकारों से कहा कि मंगलवार को परिषद में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि वह इजराइल में हमास द्वारा सात अक्टूबर को किए गए आतंक के भयावह और अभूतपूर्व कृत्यों की स्पष्ट रूप से निंदा करते हैं।
गुतारेस ने परिषद में की गई अपनी टिप्पणी को दोहराते हुए कहा, ‘‘नागरिकों की जानबूझकर हत्या, घायल करने और अपहरण या नागरिक ठिकानों के खिलाफ रॉकेट हमलों को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता है।’’
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने यह भी कहा कि परिषद में उन्होंने फिलिस्तीनी लोगों की शिकायतों के बारे में भी बात की, लेकिन फिलिस्तीनी लोगों की शिकायतें हमास के भयावह हमलों को उचित नहीं ठहरा सकतीं।
बुधवार को गुतारेस ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘फिलिस्तीनी लोगों की शिकायतें हमास के भयानक हमलों को उचित नहीं ठहरा सकतीं। वे भयानक हमले फिलिस्तीनी लोगों की सामूहिक सजा को उचित नहीं ठहरा सकते।’’
इजराइल में 1,400 से अधिक लोग मारे गए हैं। इनमें अधिकतर नागरिक थे जो दक्षिणी इजराइल में हमास के शुरुआती हमले में मारे गए थे। गाजा में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि इजराइली हवाई हमलों में 6,500 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें 2,000 से अधिक बच्चे और 1,100 महिलाएं शामिल हैं, जबकि 15,000 से अधिक घायल हुए हैं।
नयी दिल्ली। क्रिकेट में भी हमास इजराइल युद्ध की एंट्री हो गयी है। पाकिस्तान के उपकप्तान शादाब खान, हारिस रऊफ, मोहम्मद नवाज, सलमान अगा और इफ्तिखार अहमद जैसे बड़े खिलाड़ियों ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) के साथ-साथ इंस्टाग्राम अकाउंट से फलस्तीन के झंडे का फोटो शेयर किया है। इतना ही नहीं पाकिस्तान के विश्व कप टीम से बाहर चल रहे ऑलराउंडर इमाद वसीम ने भी फलस्तीन का झंडा शेयर किया है। पाकिस्तान टीम से बाहर चल रहे पेस बॉलिंग ऑलराउंडर फहीम अशरफ, संन्यास ले चुके अजहर अली और मौजूद विश्व कप में अपने डेब्यू का इंतजार कर रहे उसामा मीर ने भी फलस्तीन का झंडा शेयर किया है।
रिजवान ने भी किया था गाजा का समर्थन
इससे पहले मोहम्मद रिजवान ने श्रीलंका के खिलाफ पाकिस्तान की जीत और अपने शतक को गाजा को समर्पित किया था। श्रीलंका के खिलाफ मैच में रिजवान ने शतक जड़ा था। उन्होंने नाबाद 131 रन की पारी खेली थी। इस पारी के बाद रिजवान ने एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट कर लिखा- यह जीत गाजा में हमारे भाइयों और बहनों के लिए थी। जीत में योगदान देकर खुश हूं।
इजराइल के राजदूत नाओर गिलोन का बयान आया था सामने
इसके बाद भारत ने पाकिस्तान को हराया था तो भारत में इजराइल के राजदूत नाओर गिलोन का बयान सामने आया था। इसमें उन्होंने टीम इंडिया की जीत पर खुशी जाहिर की। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान टीम और वहां के विकेटकीपर बल्लेबाज मोहम्मद रिजवान पर तंज भी कसा। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि हार के बाद पाकिस्तान अपनी जीत हमास को समर्पित नहीं कर पाया। नाओर ने लिखा- हमें खुशी है कि क्रिकेट विश्व कप 2023 में खेले गए भारत-पाकिस्तान मैच में भारत विजयी हुआ और पाकिस्तान अपनी जीत हमास के आतंकवादियों को समर्पित नहीं कर पाया।
इजराइल या फलस्तीन के समर्थन में नारे लगाने पर भी पाबंदी
इस विश्व कप में अब तक कुछ मौकों पर इजराइल -हमास युद्ध से जुड़े प्लेकार्ड और पोस्टर्स को मैदान में पकड़ा जा चुका है। अब इस पर रोक लगा दी गई है। सिर्फ प्लेकार्ड ही नहीं अब इजराइल या फलस्तीन के समर्थन में किसी भी तरीके के नारे लगाने पर पाबंदी लगा दी गई है।
इजराइल -हमास युद्ध
इजराइल और हमास के बीच युद्ध में करीब पांच हजार लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच, मंगलवार को गाजा के अल-अहली अस्पताल में विस्फोट हुआ था, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई। इस हमले का आरोप हमास और इस्राइल एक दूसरे पर मढ़ रहे हैं। फलस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अल-अहली अस्पताल में मंगलवार देर रात हुए भीषण विस्फोट में 471 लोगों की मौत हो गई, जबकि 314 अन्य घायल हुए थे । इस बीच अमेरिका ने इजराइल का पक्ष लिया है। व्हाइट हाउस का कहना है कि गाजा अस्पताल विस्फोट के लिए इजराइल जिम्मेदार नहीं है।
तेल अवीव/यरुशलम। फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास के इस महीने की सात तारीख को इजरायल पर आक्रमण के बाद समूची गाजा पट्टी युद्ध के मैदान में तबदील हो गई है। इजरायली रक्षा बल (आईडीएफ) ने मंगलवार शाम कहा कि हमास के खिलाफ युद्ध के चार दिन पूरे हो गए। इस युद्ध हमने अपने एक हजार से अधिक नागरिकों को खो दिया है। 2,800 से अधिक लोग घायल हुए हैं। 50 लोग लापता है। संभवतः उन्हें हमास ने बंधक बना लिया है। यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स में दी गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इजरायल के तीन लाख से अधिक जवानों ने गाजा पट्टी को घेर लिया है। पट्टी पर हवाई हमले जारी हैं। हमास आतंकवादियों के ठिकानों पर बम बरसाए जा रहे हैं। हमास के प्रभाव वाले 23 लाख की आबादी के गाजा में इजरायल के नभ से लेकर थल तक किए गए हमलों में अभी तक 1500 से अधिक आतंकी और नागरिक मारे जा चुके हैं और 4,600 घायल हुए हैं। मृतकों में 260 बच्चे और 230 महिलाएं हैं। मंगलवार को मारे गए लोगों में हमास का वित्तीय मामलों का प्रमुख जवाद अबू शामला, एक अन्य आतंकी सरगना और तीन पत्रकार शामिल हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार इजरायल रक्षा बल ने स्वीकार किया है कि अमेरिकी विमान सैन्य साजो-सामान लेकर मंगलवार शाम दक्षिणी इजरायल के नेवातिम एयरबेस पहुंच गया है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अमेरिका ने इजरायल को यूएसएस गेराल्ड आर. फोर्ड, नौसेना का सबसे नया और सबसे उन्नत विमानवाहक पोत भी भेजा है। इसमें उसके लगभग 5,000 नाविक भी हैं। यह युद्धपोत क्रूज और विध्वंसकों के अलावा निगरानी करने में सक्षम है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से इजरायल के राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को तीसरी बार टेलीफोन पर बातचीत की। नेतन्याहू ने कहा कि हमास, आईएसआईएस से भी बुरा है। उसके साथ उसी तरह व्यवहार किया जाना चाहिए। इसके बाद राष्ट्रपति बाइडन ने व्हाइट हाउस से एक टेलीविजन संबोधन में हमास की आतंकवादी समूह के रूप में कड़े शब्दों में निंदा की। उन्होंने कहा हमास के आतंकवादियों ने महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित 1,000 से अधिक नागरिकों को मार डाला है। इनमें 14 अमेरिकी भी शामिल हैं। उन्होंने इस दौरान इजरायल को हर तरह की मदद देने की कसम खाई।
नई दिल्ली। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को टेलीफोन कर उन्हें गाजा पट्टी से हमास आतंकियों के हमले के बाद छिड़े युद्ध से जुड़े वर्तमान हालात से अवगत कराया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने इजरायली प्रधानमंत्री को आश्वासन दिया कि भारत के लोग इस मुश्किल घड़ी में इजराइल के साथ मजबूती से खड़े हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक्स पोस्ट में कहा कि वे प्रधानमंत्री नेतन्याहू को उनके फोन कॉल और मौजूदा हालात से अवगत कराने के लिए धन्यवाद देते हैं। भारत के लोग इस मुश्किल घड़ी में इजरायल के साथ मजबूती से खड़े हैं। भारत आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़ी और स्पष्ट रूप से निंदा करता है।
उल्लेखनीय है कि हमास आतंकियों ने फलिस्तीनी-इजरायल संघर्ष के तहत शनिवार को गाजापट्टी से एक बड़ा हमला किया था। हमले में इजरायली नागरिकों की मौत हुई है और कई नागरिक हमास आतंकियों की कैद में है। भारत ने इस पूरे घटनाक्रम में इजरायल के साथ एकजुटता दर्शाई है और आतंकी हमले की निंदा की है।
वाशिंगटन । इजराइल पर हमास के हमले के बाद पश्चिमी जगत खुल कर इजराइल के साथ खड़ा हो गया है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली ने संयुक्त बयान जारी कर इजराइल के साथ होने की बात कही है। बयान में इजराइल पर हमले के लिए हमास की निंदा की गई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति के आवास व्हाइट हाउस से जारी संयुक्त वक्तव्य में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने इजराइल के प्रति अपना दृढ़ और एकजुट समर्थन व्यक्त करने और हमास व उसके आतंकवादी कृत्यों की स्पष्ट निंदा करने की बात कही है। इन नेताओं ने स्पष्ट किया है कि हमास की आतंकवादी कार्रवाइयों का कोई औचित्य नहीं है और इसकी सार्वभौमिक रूप से निंदा की जानी चाहिए। आतंकवाद का कभी कोई औचित्य नहीं होता। हाल के दिनों में, दुनिया ने भयावह रूप से देखा है कि हमास के आतंकवादियों ने परिवारों का उनके घरों में नरसंहार किया, एक संगीत समारोह का आनंद ले रहे 200 से अधिक युवाओं की हत्या कर दी और बुजुर्ग महिलाओं, बच्चों और पूरे परिवारों का अपहरण कर लिया, जिन्हें अब बंधक बनाया जा रहा है।
इन नेताओं ने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली इस तरह के अत्याचारों के खिलाफ अपनी और अपने लोगों की रक्षा करने के प्रयासों में इजराइल का समर्थन करेंगे। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यह इजराइल के प्रति शत्रुता का भाव रखने वाले किसी भी पक्ष के लिए इन हमलों का लाभ उठाने का समय नहीं है। उन्होंने कहा कि वे लोग फिलिस्तीनी लोगों की वैध आकांक्षाओं को पहचानते हैं और इजरायली एवं फिलिस्तीनियों के लिए समान रूप से न्याय और स्वतंत्रता के उपायों का समर्थन करते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि हमास उन आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है और यह फिलिस्तीनी लोगों को अधिक आतंक और रक्तपात के अलावा कुछ भी नहीं देता है। संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि आने वाले दिनों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली, इजरायल के सहयोगी और आम मित्र के रूप में एकजुट और समन्वित रहेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इजरायल अपनी रक्षा करने में सक्षम है और अंततः एक शांतिपूर्ण और एकीकृत मध्य पूर्व क्षेत्र के लिए स्थितियां निर्धारित कर सके।