नई दिल्ली। देश में पहली बार केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 59 लाख टन लीथियम का भंडार मिला है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) को राज्य के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में खोज के दौरान लीथियम मिला है। खनन मंत्रालय ने यह जानकारी दी है।
खनन मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग ने जम्मू-कश्मीर में रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 5.9 मिलियन टन (59 लाख टन) के लीथियम भंडार का पता लगाया है। इसकी खासियत है कि यह नॉन फेरस मेटल है, जो इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल की बैटरी में इस्तेमाल होने के लिए जरूरी है। भारत के लिए लीथियम का इतना बड़ा भंडार मिलना बड़ी उपलब्धि है। चीन और ऑस्ट्रेलिया दुनियाभर में इसके बड़े आपूर्तिकर्ता हैं।
खनन मंत्रालय के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में मिले लिथियम और गोल्ड सहित 51 खनिज ब्लॉक संबंधित राज्य सरकारों को सौंपे गए हैं। इन 51 खनिज ब्लॉकों में से 5 ब्लॉक सोने से संबंधित हैं। मंत्रालय ने कहा कि जिन राज्यों को ये खनिज ब्लॉक सौंपे गए, उनमें जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक सहित 11 राज्यों में फैले हैं, जो पोटाश, मोलिब्डेनम, बेस मेटल वस्तुओं से संबंधित हैं।
GSI
हिमाचल प्रदेश के सीमेंट व अन्य उद्योगों को जिप्सम के लिए अब राजस्थान पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इससे सीमेंट के भी सस्ता होने की भी उम्मीद जगी है। जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (GSI) ने लाहुल-स्पीति के काजा उपमंडल के ग्यू गांव में जिप्सम का भंडार खोजा है। आरंभिक सर्वेक्षण में यहां करीब दो वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में जिप्सम का छह मिलियन टन भंडार पाया गया है।
ग्यू में जिप्सम का कितना भंडार है, इसका सही आकलन करने के लिए GSI ने खोदाई आरंभ कर दी है। अगर उम्मीद के अनुरूप जिप्सम का भंडार मिला तो प्रदेश का खजाना भरने का काम करेगा। 1990 में भूगर्भ विज्ञानियों ने ग्यू में जिप्सम का भंडार होने की संभावना जताई थी। खनन विभाग के पास आधुनिक तकनीक का अभाव था। प्रदेश सरकार ने भी जिप्सम के दोहन को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
नतीजतन छह मिलियन टन जिप्सम का भंडार इतने साल बाद भी जमीन मे दबा पड़ा है। जिप्सम कैल्शियम सल्फेट डाइहाइड्रेट से बना एक खनिज है। प्रदेश सरकार के आग्रह पर अब GSI ने मोर्चा संभाल लिया है। कई दौर के सर्वेक्षण व परीक्षणों से ग्यू में आला दर्जे का जिप्सम होने की बात पर भूगर्भ विज्ञानी पहले ही मुहर लगा चुके है।
प्रदेश के बिलासपुर व सोलन जिले में तीन बड़े सीमेंट संयंत्र हैं। सीमेंट को मजबूती प्रदान करने के लिए करीब छह प्रतिशत जिप्सम मिलाया जाता है। सीमेंट संयंत्रों को राजस्थान से जिप्सम की सप्लाई आती है। जिप्सम का उर्वरक में भी प्रयोग होता है। इसमें कैल्शियम व सल्फर पाया जाता है। यह पौधों के विकास में मदद करता है। मेडिकल इंडस्ट्री में भी खूब प्रयोग होता है।
दांतों का डेंचर बनाने, हड्डियों के फ्रेक्चर के उपचार में प्रयुक्त होने वाले प्लास्टर व अन्य बीमारियों के उपचार में काम आता है। घरों में सफेदी के लिए पुट्टी के रूप में प्रयोग होता है। चीनी मिलों में गुड़ का रंग बदलने में काम आता है। जिप्सम के उचित भंडार का आकलन होने के बाद सरकार फिजिबिलिटी व पर्यावरण से संबंधित सर्वेक्षण करवाएगी। उसके बाद जिप्सम निकालने का काम शुरू होगा।
राज्य भूगर्भ विज्ञानी पुनीत गुलेरिया के अनुसार लाहुल-स्पीति के ग्यू में आरंभिक सर्वेक्षण में जिप्सम का करीब छह मिलियन टन भंडार होने की बात सामने आई है। GSI ने भंडार का सही पता लगाने के लिए खोदाई का काम शुरू कर दिया है। प्रदेश के लिए यह बड़ी सौगात होगी।