जयपुर। राजस्थान की गहलोत सरकार ने सरकारी कर्मचारियो का समर्थन हासिल करने के लिए कई घोषणा की हैं। नए एलानों के मुताबिक राजस्थान के सिरकारी कर्मचारी अब एडवांस सैलरी का लाभ उठा सकते हैं। यह सुविधा देने वाला देश का पहला राज्य बन गया है राजस्थान। अशोक गहलोत सरकार ने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाने और प्रमोशन के बाद ये महत्वपूर्ण फैसला लिया है.
राजस्थान सरकार ने नई व्यवस्था को पहली जून से लागू कर दी है। राज्य के कर्मचारी इस व्यवस्था के तहत अपनी सैलरी का आधा हिस्सा एडवांस ले सकेंगे.
20 हजार रुपये एडवांस ले सेकेंगे
राजस्थान सरकार ने कहा है कि इसके तहत एक बार में 20 हजार रुपये अधिकतम भुगतान किया जाएगा। सरकारी कर्मचारियों को यह फायदा देने के लिए वित्त विभाग ने एक नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी के साथ डील की है और आने वाले समय में कुछ और बैंकों व वित्तीय संस्थानों के साथ डील की जाएगी.
अगर कर्मचारी किसी भी महीने की 21 तारीख से पहले अपना वेतन वापस लेने का विकल्प चुनते हैं, तो वेतन चालू माह के भुगतान से काट लिया जाएगा. इसके अलावा, कर्मचारियों से उनके द्वारा निकाले जाने वाले एडवांस सैलरी पर कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा, लेकिन कर्जदाताओं से संबंधित लेन-देन पर शुल्क लगाया जाएगा।
कैसे मिलेगी एडवांस सैलरी
एडवांस सैलरी योजना का लाभ उठाने के लिए राजस्थान सरकार के कर्मचारियों को अपनी एसएसओ आईडी का उपयोग करके आईएफएमएस 3.0 के साथ खुद को रजिस्टर्ड करना होगा। वहीं वित्तीय संस्थाओं के पास सहमति जमा करना होगी। राजस्थान सरकार के कर्मचारी अपने वित्तीय सेवा प्रदाता की वेबसाइटों पर भी जा सकते हैं और ऑनलाइन पोर्टल पर अपना अंडरटेकिंग जमा कर सकते हैं। इसके बाद कर्मचारियों को आईएफएमएस वेबसाइट पर लौटना होगा और वन टाइम पासवर्ड के माध्यम से सहमति देनी होगी.
गौरतलब है कि राजस्थान सरकार की नई योजना कांग्रेस सरकार द्वारा राज्य में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली के एक कदम के रूप में आई है। वहीं इसे चुनाव के मद्देनजर भी एक खास कदम देखा जा रहा है.
GOVT EMPLOYEE
• अब घर बैठे ऑनलाइन बना सकते हैं कैशलेस कार्ड
• पोर्टल https://sects.up.gov.in/ पर करें आवेदन
लखनऊ। प्रदेश में कैशलेस कार्ड बनने की राह और आसान हो गई है। प्रदेश सरकार का अब कोई भी अधिकारी, कर्मचारी या पेंशनर यह कार्ड घर बैठे अपने कंप्यूटर से बहुत ही आसानी से बना सकता है। यह कार्ड पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना के तहत ऑनलाइन बन रहे हैं।
कैश लेस योजना के राज्यस्तरीय नोडल डॉ बीके पाठक ने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना के अन्तर्गत सरकारी कर्मचारियों तथा पेंशनर्स के कार्ड बनने में आ रही कठिनाईयां दूर कर ली गई हैं। योजना के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से लाभार्थियों को आसानी से कार्ड उपलब्ध हो रहे हैं।
उन्होंने बताया कि पोर्टल https://sects.up.gov.in/ पर योजना से संबंधित समस्त आवश्यक जानकारी उपलब्ध हैं। स्टेट हेल्थ कार्ड बनाने की पूरी प्रक्रिया को पोर्टल पर वीडियो के रूप में भी प्रदर्शित किया गया है।
आयुष्मान योजनान्तर्गत आबद्ध प्राइवेट चिकित्सालयों के अतिरिक्त एसजीपीजीआई जैसे संस्थानों में भी सुविधा मिल दी जा रही है। उन्होंने बताया कि प्राइवेट चिकित्सालयों में अब तक 4,511 लाभार्थी कैशलेस इलाज की सुविधा प्राप्त कर चुके हैं। विभिन्न जनपदों में आबद्ध चिकित्सालयों का विशेषज्ञतावार विवरण योजना के पोर्टल पर उपलब्ध है। किसी भी तरह की मदद के लिए योजना के टोल फ्री नंबर 1800 1800 4444 को डायल कर सकते हैं।
मेडिकल बिल पर सीएमओ की मंजूरी की बाध्यता खत्म
सरकारी अस्पताल में इलाज में खर्च होने वाले बिल को उस चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) या प्रभारी ही अंतिम रूप में प्रमाणित कर सकेंगे। जबकि पहले सीएमएस या प्रभारी की ओर से प्रमाणित बिल को सीएमओ के स्तर पर दोबारा प्रमाणित करने का प्रावधान था। इसके बाद ट्रेजरी ऑफिस से मरीज को इलाज का खर्च मिलता था। जिन लाभार्थियों का कार्ड अब तक नहीं बन पाया है, उन्हें आवश्यकता पड़ने पर एसजीपीजीआई, डॉ आरएमएल इन्स्टीट्यूट जैसे सरकारी चिकित्सा संस्थानों में इलाज कराने पर उनके चिकित्सा बिल की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति होगी। इसके लिए सीएमओ के प्रतिहस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं होगी। यह प्रावधान योजना के शासनादेश में निहित है।
ऐसे बनाएं कार्ड
1. सरकारी कर्मचारी एवं पेंशनर्स को योजना के पोर्टल https://sects.up.gov.in/ पर स्टेट हेल्थ कार्ड के आवेदन करना होगा।
2. ऑनलाइन आवेदन का सत्यापन कर्मचारियों के आहरण वितरण अधिकारी तथा पेंशनर्स के आवेदन का सत्यापन संबंधित कोषाधिकारी की ओर से किया जाएगा।
3. आवेदन सत्यापन के उपरान्त ’SETU पोर्टल के दिये गये लिंक पर जाकर ई-केवाईसी की प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी।
4. ई-केवाईसी की प्रक्रिया पूर्ण होते ही ‘’SETU’’ पोर्टल पर ‘’card download’’ का विकल्प उपलब्ध होगा। इसके जरिए सरकारी सेवक और आश्रित परिजनों का पृथक-पृथक कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं।
श्रीनगर । जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आतंकियों का साथ दे रहे पांच सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। जिन पांच कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, उनमें तनवीर सलीम, सैयद इफ्तिखार अंद्राबी, आफाक अहमद वानी, इरशाद अहमद खान और अब्दुल मोमिन पीर शामिल हैं। इन पर आतंकियों को आर्थिक रूप से भी मदद पहुंचाने का आरोप है।
सूत्रों के मुताबिक, तनवीर सलीम डार जम्मू कश्मीर पुलिस में 1991 में भर्ती हुआ और वर्ष 2002 के दौरान वह आग्जिलरी बटालियन में स्थानांतरित कर दिया गया था। तनवीर सलीम डार हमेशा अलगाववादी और कट्टरपंथी विचारधारा का समर्थक रहा हैं। आग्जिलरी बटालियन में तैनाती के दौरान वहां आतंकियों के हथियारों की मरम्मत कराने के अलावा उन तक हथियार पहुंचाने का काम शुरू कर दिया। वह लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर के लिए श्रीनगर में ओवरग्राउंड वर्कर के तौर पर काम करता था। उसने तत्कालीन एमएलसी जावेद शाला उर्फ जावेद शाह की हत्या में भी लश्कर-ए-तैयबा के आत्मघाती आतंकियों की मदद की थी।
सैयद इफ्तिखार अंद्राबी वन विभाग में प्लांटेशन सुपरवाइजर के पद रहते हुए लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के लिए ओवरग्राउंड वर्कर के तौर पर काम करता था। उसने गुलाम कश्मीर में बैठे कई आतंकी सरगनाओं के साथ अपने संबंध बढ़ाते हुए जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों की वित्तीय मदद के लिए नार्काे टेरेरिज्म का माड्यूल तैयार करने में अहम भूमिका निभाई। वह खुद भी ऐसे एक माड्यूल का अहम सदस्य था। जून 2020 में उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा में पकड़े गए नार्काे टेरेरिज्म माड्यूल में वह शामिल था।
बारामुला स्थित सेंट्रल कापोरेटिव बैंक में बतौर प्रबंधक तैनात आफाक अहमद वानी भी जून 2020 में हंदवाड़ा में पकड़े गए लश्कर एवं हिजबुल मुजाहिदीन के नार्काे टेरेरिज्म माडयूल से जुड़ा है। वह मादक पदार्थों को कश्मीर से बाहर भेजने और उनकी कमाई का एक हिस्सा आतंकियों तक पहुंचाने के अलावा गुलाम कश्मीर से हथियारों की तस्करी भी करता था।
बारामुला में जलशक्ति विभाग में बतौर चौकीदार के रूप में तैनात इरशाद अहमद खान आतंकियों को एक जगह से दूसरी जगह सुरक्षित पहुंचाने का काम करता था। वह गुलाम कश्मीर से आने वाले आतंकियों को वादी के भीतरी इलाकों में सुरक्षित ठिकाने प्रदान करने के अलावा कई आतंकियों को भारत से बाहर जाने में भी मदद करता था।
अब्दुल मोमिन पीर नार्काे टेरर माड्यूल चला रहा था। वह आतंकियों के लिए हवाला के जरिए भी पैसे का बंदोबस्त करता था। उसने वर्ष 2016-17 के दौरान दो बार पाकिस्तान की यात्रा की। अपने पाकस्तान दौरे के दौरान उसने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के अधिकारियों के अलावा कई आतंकी सरगनाओं के साथ मुलाकात की और जम्मू-कश्मीर में आतंकी एवं अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए सक्रिय था।